JustPrepRaj Logo

मेवाड का इतिहास भाग-2 | RAS | REET | PATWAR

WhatsApp
Telegram
Facebook
Twitter

उदय सिंह

  • मावली का युद्ध – 1540ई.(उदयसिंह v/s बनवीर)
  1. उदयसिंह ने 1559 में उदयपुर की स्थपना की |
  2. उदयसागर झील का निर्माण करवाया |
  3. 1567-68 में अकबर ने चित्तौड़ पर आक्रमण किया |
  4. उदयसिंह गिरवा की पहाडियों में चला गया |
  5. जयमल तथा पत्ता ने चित्तौड़ के किले का मोर्चा संभाला |
  6. 1568 में चित्तौड़ का तीसरा ### हुआ |
  7. फूल ### ने जौहर किया |
  8. जयमल तथा पत्ता के नेतृत्व में केसरिया किया गया |
  9. जयमल ने कल्ला राठौड़ के बन्धो पर बैठकर युद्ध किया |
  10. कल्ला राठौड़ को चार हाथो का देवता कहा जाता है |
  11. अकबर ने चित्तौड़ पर अधिकार कर लिया |
  12. अकबर ने चित्तौड़ में 30,000 लोगो का नर संहार करवा दिया |
  13. अकबर जयमल व पत्ता की वीरता से प्रभावित हुआ तथा अकबर ने जयमल व पत्ता की मूर्तियों आगरा के किले में लगवाई |
  14. यह जानकारी बर्नियर की पुस्तक ट्रेवल्स इन द मुगल एम्पायर से मिलती है |
  15. बीकानेर के जूनागढ़ किले में भी जयमल व पत्ता की मूर्तिया है |
  16. अकबर की बंदूक का नाम – संग्राम
  17. फूल कँवर – जयमल की वहन तथा पत्ता की पत्नि
  18. उदयसिंह की मृत्यू 1572 में गोगुन्दा में
  19. उदयसिंह की छतरी – गोगुन्दा में हो गई |
  20. उदयसिंह ने अपने बड़े बड़े प्रताप को राजा नही बनाया बल्कि छोटे बेटे जगमाल को राजा बनाया |

महाराणा प्रताप – 1572-97(25साल )

  • पिता – उदयसिंह
  • माता – जयवंता बाई सोनगरा
  • जन्म – 9 मई 1540ई.
  • जन्मस्थान – कुम्भलगढ़
  • बचपन का नाम – ###
  • पत्नि – अजवदे पंवार
  • प्रताप का पहला राजतिलक गोगुन्दा में हुआ |
  • सलुंम्बर के कृष्णदास चुण्डावत ने प्रताप का राज्याभिषेक किया (28 फरवरी 1572 – होली के दिन)
  • प्रताप का विधिवत राजतिलक कुम्भलगढ़ में हुआ |
  • माखाड के चन्द्रसेन ने इस राजतिलक समारोह में भाग लिया |
  • अकबर ने प्रताप को समझाने के लिए चार दूत भेजे |
  1. जलाल खां कोरची – 1572
  2. मानसिंह – 1573
  3. भगवन्तदास – 1573
  4. टोडरमल – 1573
  • हल्दीघाटी का युद्ध – 18 जून 1576ई. (अकबर v/s प्रताप)
  • मिहत्तर खां ने युद्ध में अकबर के आने की झूठी सुचना दी |
  • चेतक के घायल होने के कारण प्रताप को युद्ध से बाहर जाना पड़ा |
  • झाला मान (##) ने युद्ध का नेतृत्व किया |
  • मानसिंह प्रताप को अकबर की अधीनता स्वीकार कराने में असफल रहा | इसलिय अकबर ने मानसिंह व आसफ खां का दरबार में आना बंद करवा दिया |

इतिहास कार                      हल्दीघाटी युद्ध का नाम

1.अतुल फजल               ->    खमनौर का युद्ध

2.बंदायुनी                     ->    गोगुन्दा का युद्ध

3.जेम्स टॉड                   ->    मेवाड की थर्मोपाली

4.आदर्शी लाल श्रीवास्तव  ->    बादशाह – बाग़ का युद्ध

  • बंदायुनी ने हल्दीघाटी युद्ध में भाग लिया था |
  1. यह साम्राज्यवादी शक्ति तथा क्षैत्रीय स्वतंत्रता के मध्य युद्ध था |
  2. प्रताप कम संसाधनों के बावजूद अकबर से लड़ा, इससे मेवाड की जनता में आशा व नैतिकता का संचार हुआ |
  3. हल्दीघाटी के युद्ध में मेवाड की साधारण जनता व जनजातियो में राष्ट्रवादी भावनाओ का संचार किया था |
  4. हल्दीघाटी का युद्ध आज भी राष्ट्रवादियो के लिए प्रेरणा स्त्रोत का कार्य करता है |
  • अकबर के हाथी :- 1.मरदाना

2.गजमुक्ता

  • महाराणा प्रताप के हाथी :- 1.लूणा

2.रामप्रसाद (पीरप्रसाद)

  • 1577 में अकबर ने मेवाड पर आक्रमण किया तथा उदयपुर का नाम बदलकर मुहम्मदाबाद कर दिया |
  • कुम्भलगढ़ का युद्ध :- 1577, 1578, 1579

– मुग़ल सेनापति शाहबाज खान ने कुम्भलगढ़ पर तीन बार आक्रमण किया |

  • शेरपुर घटना – 1580 :-

– अमरसिंह ने मुगल सेनापति रहीम की बैगमो को गिरफ्तार कर लिया था, लेकिन प्रताप ने उन्हें सह सम्मान वापस लौटाया |

  • दिबेर का युद्ध – 1582 :-

– प्रताप ने मुग़ल सेना को हरा दिया |

– अमरसिंह ने मुग़ल सेनापति सुल्तान खान को मार दिया था |

– इस युद्ध में ईडर, बांसवाडा, प्रतापगढ़ आदि रियासतों ने प्रताप का साथ दिया था |

– जेम्स टॉड ने इस युद्ध को मेवाड का मेराथन कहा है |

  • 1585 में जगन्नाथ कछवाह ने मेवाड पर आक्रमण किया था | यह अकबर का मेवाड पर अंतिम आक्रमण था |
  • प्रताप ने मालपुरा पर अधिकार कर लिया था | यहा पर प्रताप ने झालरा तालाब व नीलकंठ महादेव मंदिर का निर्माण करवाया था |
  • प्रताप ने चावंड को अपनी राजधानी बनाया तथा चावंड में चामुंडा माता के मंदिर का निर्माण करवाया |
  • चावण्ड से मेवाड की चित्रकला का स्वतंत्र विकास प्राम्भ हुआ |
  • मुख्य चित्रकार – नासिकुद्दीन
  • 19जनवरी 1597 को प्रताप की चावण्ड में मृत्यू हुई |
  • बंड़ोली में प्रताप की 8 खम्भों की छतरी है |
  • दरबारी विध्दान:-

  1. चक्रपाणि मिश्र – 1.राज्याभिषेक

2.मुहूर्त माला

3.विश्व वल्लभ- ### विज्ञान की जानकारी

  1. हेमरत्न सूरी – गौरा बादल री चौपाई
  2. सार्दुलनाथ त्रिवेदी – प्रताप ने इन्हें मंडेर जागीर दी थी |

-यह जानकारी 1588 के उदयपुर अभिलेख से मिलती है |

     4. भामाशाह – इन्होने प्रताप की आर्थिक सहायता की |

     5. ताराचंद – भामाशाह को प्रताप ने अपना प्रधानमंत्री बनाया था |

Que:- प्रताप के व्यक्तित्व की विशेषता बताइए |

  1. जनप्रिय शासक
  2. द्रढ प्रतिज्ञ एवं कर्तव्यनिष्ठ
  3. स्वतंत्रता प्रेमी व सच्चे राष्ट्र भक्त
  4. पराक्रमी योद्धा
  5. भारतीय संस्कृति के रक्षक
  6. छापामार युद्ध प्रणाली के ज्ञाता
  7. अनुशासन प्रिय व कुशल नेतृत्व कर्ता
  8. सभी वर्गों/ जातियों के लोगो आदर
  9. महिलाओं के प्रति सम्मान
  10. पर्यावण प्रेमी
  11. साहित्य को बढावा
  12. चित्रकला को बढावा
  13. विद्वानों का सरंक्षक
  14. जनप्रिय
  15. स्वाभिमानी/ द्रढ प्रतिज्ञ
  16. योद्धा
  17. संगठन निर्माता
  18. नैतिक चरित्रवान
  19. समाज सुधारक
  20. धर्मनिरपेक्ष
  21. कलाप्रेमी
  22. प्रकृति प्रेमी
  23. राष्ट्रवादी
  1. माला सांदू :-
  2. रामा सांदू :-

– चेतक की छतरी बलीचा में है |

– प्रताप ने चित्तौडगढ व मांडलगढ़ को छोड़कर ### मेवाड पर पुन: अधिकार कर लिया था |

  • जहांगीर ने युवराज कर्णसिंह को 5000 का मनसबदार बनाया |
  • जहांगीर ने अमरसिंह तथा कर्णसिंह की मुर्तिया आगरा के किले में लगवाई |
  • अमरसिंह इस संधि से निराश था वह नौचौकी नामक स्थान पर जाकर रहने लगा | कालांतर में यहाँ पर राजसमन्द झील का निर्माण किया गया |

कर्णसिंह  (1620-1628)

  • उदयपुर में जगमंदिर महलो का निर्माण शुरू करवाया |
  • खुर्रम (शाहजहाँ) अपने विद्रोह के दौरान जगमंदिर महलो में रुका |
  • उदयपुर में दिल खुश तथा कर्ण विलास महलो का निर्माण करवाया |       

जगतसिंह – I (1628-52)

  • जगमंदिर महलो का निर्माण पूरा करवाया |
  • उदयपुर में जगदीश मंदिर (जगन्नाथ राय मंदिर) का निर्माण करवाया | इसे सपने में बना मंदिर कहा जाता है |

    वास्तुकार – 1.अर्जुन

2.भाणा

3.मुकुन्द

  • जगन्नाथ राय प्रशक्ति के लेखक – कृष्ण भट्ट

अमरसिंह प्रथम (1597-1620)

  • मुगल मेवाड संधि:- 5 फरवरी 1615ई. [इस संधि का वर्णन टॉमस रो ने किया है] [जहांगीर + अमरसिंह- I ]

                                   – अमरसिंह ने यह संधि युवराज कर्ण सिंह के दबाव में की थी |

हरिदास व शुभकरण मेवाड की तरफ से संधि का प्रस्ताव लेकर गये |

मुगलों की तरफ से खुर्रम (शाहजहाँ) ने संधि की |

  • संधि की शर्ते :-
  1. मेवाड का राणा मुगल दरबार में नही जायेगा |
  2. मेवाड का युवराज मुगल दरबार में जायेगा |
  3. चित्तौड़ का किला मेवाड को वापस दिया जायेगा लेकिन मेवाड का राणा उसका पुननिर्माण नही करवा सकता |
  4. मेवाड मुगलों को 1000 घुडसवारों की सहायता देगा |
  5. वैवाहिक सम्बंध स्थापित नही किये जायगे |
  • संधि का महत्व:-
  1. सांगा तथा प्रताप के समय से चली आ रही स्वतंत्रता की भावना का पतन हुआ |
  2. संधि के कारण मेवाड में शांतिपूर्ण वातावरण स्थापित हुआ जिससे कलात्मक गतिविधियों को बढावा मिला |
  3. जगन्नाथ राय प्रशस्ति हल्दीघाटी युद्ध की जानकारी देती है |
  4. उदयपुर में नौजूबाई मंदिर का निर्माण करवाया | नौजूबाई जगत सिंह की धाय माँ थी |
  5. जगतसिंह- I अपनी दानवीरता के लिए प्रसिद्ध था |

राजसिंह (1652-80)

  • चित्तौड़ का पुननिर्माण आरम्भ करवाया तथा शाहजहाँ के खिलाफ आक्रमक नीति अपनाई|
  • उत्तराधिकार संघर्ष में राजसिंह ने औरंगजेब का समर्थन किया था |
  • इस समय राज सिंह ने टीका दौड़ का आयोजन करवाया तथा कही मुग़ल क्षैत्रो पर अधिकार कर लिए |
  • औरंगजेब के खिलाफ जोधपुर के अजीत सिंह का समर्थन किया इसे राठौड़ – सिसोदिया गठबंधन कहा जाता है |
  • इसने औरंगजेब के खिलाफ हिन्दू- देवी देवताओ की मूर्तियों की रक्षा की |
  • औरंगजेब के खिलाफ हिन्दू राजकुमारीयो की रक्षा की | जैसे – रूपनगढ़ की राजकुमारी चारुमती |
  • सहल कँवर:-

– सलुम्बर के रतन सिंह चुण्डावत की हाड़ी रानी थी | अपने पति द्वारा निशानी मांगने पर अपना सिर काटकर दे दिया था |

– मेघराज मुकुल की कविता – सैनाणी हाडी रानी सहल कँवर का वर्णन |

  • राजसिंह की सांस्कृतिक उपलब्धियाँ:-

मंदिर:- 1.श्रीनाथ जी का मंदिर – सिहाड़ (नाथद्वारा) राजसमंद

2. द्वारिकाधीश मंदिर – कांकरोली राजसमंद

3.अम्बामाता मंदिर – उदयपुर

        झील:-

  1. राजसमंद झील (1662 में)
  2. त्रिमुखी बावड़ी उदयपुर
  3. जानासागर तालाब उदयपुर

दरबारी विध्दान:-

  1. किशोरदास – राजप्रकास
  2. सदाशिव भट्ट – राज रत्नाकर
  3. रणछोड़ भट्ट तैलंग – 1. राज प्रशस्ति

2. अमर दाव्य वंशावलि

       राजसिंह की उपलब्धियाँ:-

  1. विजय कटकातु
  2. हाइड्रोलिक ###

       राज प्रशस्ति:-

  • लेखक – रणछोड़ भट्ट तेलग
  1. राजसमन्द झील के पास नौचौकी नामक स्थान पर स्थित है |
  2. यह 25 पत्थरों पर लिखी गई है |
  3. यह भारत का संस्कृत का सबसे बड़ा अभिलेख है |
  4. बप्पा रावल से लेकर राजसिंह तक के मेवाड के राजाओ की जानकारी है |
  5. यह मुगल-मेवाड संधि की जानकारी देती है |
  6. इसमें शक्ति सिंह (प्रताप का छोटा भाई) का वर्णन है |
  7. इस प्रशस्ति में अकाल राहत कार्यो का वर्णन है |(1662-1676)

      अमर काव्य वंशावलि :-

  • इसमें शक्ति सिंह तथा चेतक की जानकारी है |
faq

Frequently Asked Questions

Get answers to the most common queries

FAQ content not found.

Crack Railway Exam with RAS Insider

Get free access to unlimited live and recorded courses from India’s best educators

Structured syllabus

Daily live classes

Ask doubts

Tests & practice

Notifications

Get all the important information related to the RPSC & RAS Exam including the process of application, important calendar dates, eligibility criteria, exam centers etc.

Related articles

Learn more topics related to RPSC & RAS Exam Study Materials

RAJASTHAN RIGHT TO HEALTH BILL | RAS EXAM

स्वास्थ्य का अधिकार | RAS EXAM प्रदेशवासियों को मिला स्वास्थ्य का अधिकार प्रावधान :- Frequently Asked Questions Q.01 What is in right to health bill? Ans: The Act gives every

राजस्थान प्रमुख भू-आकृतिक प्रदेश एवं उनकी विशेषताएँ | GEOMORPHIC | RAS | PRE | MAINS

GEOMORPHIC REGIONS OF RAJASTHAN | RAS राजस्थान प्रमुख भू-आकृतिक प्रदेश एवं उनकी विशेषताएँ राजस्थान प्रमुख भू-आकृतिक प्रदेश एवं उनकी विशेषताएँ -राजस्थान एक विशाल राज्य है अत: यहाँ धरातलीय विविधताओ का

मेवाड का इतिहास | HISTORY OF MEWAR | RAS |

राजस्थान के इतिहास में मेवाड रियासत का एक अभूतपूर्व स्थान है | इस रियासत ने अनेक वीर शासको को जन्म दिया ; अत: ऐसे में इस रियासत से सम्बंधित अनेक

Access more than

100+ courses for RPSC & RAS Exams