JustPrepRaj Logo

राजस्थान के ऐतिहासिक युद्ध व 1857 की क्रान्ति मे राजस्थान का योगदान | RAS EXAM

WhatsApp
Telegram
Facebook
Twitter

उपर्युक्त वर्णित विषयान्तर्गत जितने भी महतवपूर्ण नोट्स बन सकते है, बनाने की कोशिश की गई है | अत: सभी परीक्षार्थियों से यह आशा की जाती है की वे इन तथ्यों को कन्ठस्त करलें |

  1. सिवाना का युद्ध : शीतलदेव चौहान व अलाउद्दीन खिलजी के मध्य युद्ध | इस युद्ध में खिलजी की जीत हुई | यह युद्ध 1308ईस्वी में लड़ा गया |
  2. जालौर का युद्ध : कान्हड़ देव व अलाउद्दीन खिलजी के मध्य 1311ईस्वी में हुआ | इस युद्ध में भी खिलजी विजय रहा है |
  3. चित्तौड़ का प्रथम युद्ध : राजा रत्न सिंह व अलाउद्दीन खिलजी के मध्य 1303ईस्वी में हुआ जिसमे खिलजी विजेता रहा |
  4. रणथम्भौर का युद्ध : यह सुप्रसिद्ध युद्ध 1301ईस्वी में राजा हम्मीर चौहान व अलाउद्दीन खिलजी के बीच में हुआ जिसमे खिलजी विजेता रहा |
  5. सारंगपुर का युद्ध : यह युद्ध महाराणा कुम्भा व महमूद खिलजी के मध्य 1436-37 ईस्वी में हुआ जिसमे महाराणा कुम्भा विजेता रहे |
  6. खातौली का युद्ध : यह युद्ध राणा सांगा व इब्राहिम लोदी के मध्य 1517ईस्वी में हुआ जिसमे राणा सांगा विजेता रहे |
  7. बाड़ी का युद्ध : यह युद्ध राणा सांगा व इब्राहिम लोदी के मध्य 1518ईस्वी में हुआ जिसमे राणा सांगा विजेता रहे |
  8. गागरोन का युद्ध : यह युद्ध राणा सांगा व महमूद खिलजी-## के मध्य 1519ईस्वी में हुआ जिसमे राणा सांगा विजेता रहे |
  9. चित्तौड़ का युद्ध : यह युद्ध गुजरात के शासक बहादुर शाह व हांडा रानी कर्मवती के मध्य 1534-35ईस्वी में हुआ जिसमे बहादुर शाह विजेता रहे |
  10. चित्तौड़ का युद्ध : यह युद्ध उदयसिंह व अकबर के मध्य 1567-68ईस्वी में हुआ जिसमे अकबर विजेता रहा है |
  11. खानवा का युद्ध : यह युद्ध राणा सांगा व बाबर के मध्य 1527ईस्वी में हुआ जिसमें बाबर विजेता रहा |
  • बयाना का युद्ध : यह युद्ध राणा सांगा व बाबर के मध्य फरवरी 1527ईस्वी में हुआ जिसमे राणा सांगा विजेता रहा |
  • गिरी-सुमेल का युद्ध : यह युद्ध अफगान शासक शेरशाह सूरी व मालदेव के मध्य 1544ईस्वी में हुआ जिसमे शेरशाह सूरी विजेता रहे |
  • हल्दीघाटी का युद्ध : यह एक एतिहासिक व स्वाभिमानी हिन्दू राजा व साम्राज्यवादी मुगल शासक के मध्य लड़ा गया युद्ध था, परन्तु इस युद्ध के सम्बन्ध कई विवादग्रस्त तथ्य है यथा-

हल्दीघाटी के युद्ध के घटित होने की तिथि अलग अलग दर्शाई गई है- 18 जून 1576रा. मा. शि. बोर्ड बता रहा है तो वही 21जून 1576 हिंदी ग्रन्थ अकादमी बता रहा है |

इस युद्ध का नामकरण भी अलग अलग रहा है- अबुल फजल ने इसे ख़मनौर का युद्ध कहा है तो वही बंदायूनी ने इसे गोगुन्दा का युद्ध कहा है | यह युद्ध महाराणा प्रताप व मानसिंह [अकबर की तरफ से] के मध्य हुआ था जिसे अनिर्णित युद्ध कहा जाता है परन्तु परिस्तिथितियो व ऐतिहासिक तथ्यों के आधार पर विजेता महाराणा को मानाजाता है | यह युद्ध बनास नदी के पास गाँव ख़मनौर [वर्तमान में जिला राजसमन्द लगता है] में हुआ था |

  1. दिवेर का युद्ध : यह युद्ध महाराणा प्रताप व अकबर के मध्य 1582ईस्वी में हुआ जिसमे महाराणा प्रताप विजेता रहे |
  2. मतीरे री राड़ युद्ध : यह युद्ध नागौर शासक अमर सिंह राठौड़ व बीकानेर शासक कर्ण सिंह के बीच हुआ जिसमे अमर सिंह विजेता बने | यह युद्ध 1644ईस्वी में हुआ |
  3. दौराई का युद्ध : यह युद्ध औरंगजेब व दारा शिकोह के मध्य 1659 ईस्वी में हुआ जिसमे औरंगजेब विजेता रहा |
  4. तुंगा का युद्ध : यह युद्ध राजस्थान के राजपूतो व मराठों के मध्य 1787ईस्वी में हुआ जिसमे मराठे पराजित हो गऐ | मराठों को राजस्थान से बाहर खदेड़ने हेतु यह युद्ध जुलाई 1787ईस्वी में जयपुर व जोधपुर की सैना व मराठा सैना के मध्य हुआ |
  5. राजमहल का युद्ध : यह युद्ध ईश्वर सिंह व माधो सिंह के मध्य मार्च 1747ईस्वी में हुआ जिसमे ईश्वर सिंह विजेता बने |
  6. बगरू का युद्ध : यह युद्ध जयपुर के उत्तराधिकारी को लेकर इश्वरी सिंह व माधो सिंह के मध्य 1748ईस्वी में हुआ जिसमे इश्वरी सिंह विजेता बने |
  7. हरमाड़ा का युद्ध : यह युद्ध राणा उदय सिंह व हाजी खां के बीच 25जनवरी 1557ईस्वी को हुआ जिसमे हाजी खां विजेता बने |

राजस्थान में 1857 की क्रान्ति के दौरान कुल 6 सैनिक छावनियाँ थी-

  1. नसीराबाद छावनी – इस यह जिला अजमेर में है ; राजस्थान में 1857 की क्रान्ति का बिगुल यही बजा |
  2. एरिनपुरा छावनी – वर्तमान में जिला पाली लगता है; यह उस समय की सबसे बड़ी सैनिक छावनी थी |
  3. देवली छावनी – वर्तमान में जिला टोंक लगता है; यह एकमात्र मुस्लिम रियासित की छावनी थी |
  4. ब्यावर छावनी – वर्तमान में जिला अजमेर लगता है | राजस्थान की पहली छावनी जहाँ क्रान्ति नही हुई |
  5. खैरवाडा छावनी – वर्तमान में जिला उदयपुर लगता है | राजस्थान की दूसरी छावनी जहाँ क्रान्ति नही हुई |
  6. नीमच छावनी – वर्तमान समय में यह मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले में है, परन्तु क्रान्ति के समय यह राजस्थान के मेवाड क्षेत्र का भाग थी |

ब्रिटिश काल में राजस्थान में ब्रिटिश सरकार की दो राजधानियाँ थी- माउंट आबू [ग्रीष्मकाल में], अजमेर [शीतकाल में] |

क्रान्ति के समय राजस्थान की एकमात्र मुस्लिम रियासत टोंक के शासक थे- वजिरुदोला |

क्रान्ति के समय राजस्थान के A.G.G थे लार्ड पैट्रिक लौरेंस |

रियासतों के पॉलिटिकल एजेंट

   रियासित                          पॉलिटिकल एजेंट       

  1. जयपुर                               ईडन
  2. मारवाड़                             मैसन
  3. भरतपुर                             मारिसन
  4. मेवाड                               शावर्स
  5. कोटा                                मेजर बर्टन
  6. प्रतापगढ़                           कर्नल रॉक
  7. सिरोही                             जे.डी.हॉल
  8. अलवर                             कमीशनर डिक्सन

राजस्थान के प्रथम पॉलिटिकल एजेंट थे- मि. लॉकेट नसीराबाद छावनी में क्रान्ति की शुरुआत 28मई 1857 को हुई |

नसीराबाद छावनी में सिपाहीयों [भारतीय] में असंतोष फ़ैल गया | कारण था-

1. बंगाल से आई 15वी बंगाल नेटिव इन्फेन्ट्री को अजमेर के स्थान पर नसीराबाद छावनी में भेजना|

  1. यूरोपियन सैनिक टुकड़ी, मेरवाडा रेजीमेंट, भील कोर वबम्बई लौनर्स द्वारा बंगाल से आई टुकड़ी पर पहरा लगाना|
  • भारतीय सैनिको ने छावनी में विद्रोह कर दिया, अंग्रेज अधिकारी न्यूबरी, स्पोटीस वुड एवं पैनी की हत्या कर दी |
  • सैनिको ने नसीराबाद छावनी को लूट लिया |
  • अजमेर का तारागढ़ किला अंग्रेजो का शस्त्रागार था तथा अजमेर राजस्थान में ब्रिटिश केंद्र था|
  • धोलपुर में विद्रोह 27अक्टूबर 1857 को शुरू हुआ| नेता थे- हीरालाल राणा, रामचंद्र व देवा गुर्जर|
  • पटियाला की सेना ने यहाँ विद्रोह को दबाया|
  • धोलपुर राजस्थान की एकमात्र ऐसी रियासत थी जहाँ विद्रोही क्रान्तिकारी भी बाहर के थे व विद्रोह को दबाने वाले भी बाहरी  थे|
  • नीमच में क्रान्ति की शुरुआत 3जून, 1857 को हुई| नेता थे- हीरा सिंह व मोहम्मद अली बेग| शपथ के दौरान मोहम्मद अली [अवध निवासी] ने शपथ लेने से इनकार कर दिया|
  • क्रांतिकारी ने छावनी को लूट लिया|
  • अंग्रेज अधिकारी भाग गये जिनको शरण मेवाड के शासक स्वरुप सिंह व पी. ए.शावर्स ने दी अर्थात शावर्स व स्वरुप सिंह अंग्रेज अधिकारियो को छुड़ाकर ले गये|
  • इस प्रकार लूटपाट करके क्रन्तिकारी दिल्ली पहुंचे|
  • शाहपुरा रियासत के शासक ने अंग्रेजो को घुसने नही दिया परन्तु क्रांतिकारीयो के लिए दरवाजे खोल दिए|
  • देवली छावनी में क्रान्ति 4जून 1857 को शुरू हुई| नेता थे- आलम खां|
  • विदित रहे टोंक के नवाब जो की अंग्रेज भक्त था ने कहा की वह रियासत में क्रान्ति नही होने देगा| उसने सैनिको को वेतन तक नही दिया|
  • यहाँ हुए विद्रोह में महिलाओ व बच्चो ने भाग लिया |
  • कोटा में क्रान्ति की शुरुआत 15 अक्टूबर,1857 को हुई|
  • यहाँ छावनी ना होने के बावजूद क्रान्ति हुई|
  • यहाँ पॉलिटिकल एजेंट [पी.ए.] था- मेजर बर्टन
  • विद्रोहियो व शासक रामसिंह के मध्य संधि संत गौसाई नाथ जी ने करवाई|
  • नेता थे- एडवोकेट लाला जयदयाल, नारायण व भवानी पलटन, रिसालदार मेहराब खां|
  • क्रान्ति के दौरन फांसी पर चढाये जाने वाले पहले क्रान्तिकारी थे- मेहराब खां |
  • कोटा क्रान्ति के दौरान विद्रोहियो ने मेजर बर्टन का सर काटकर पुरे कोटा शहर में घुमाया|
  • जनरल रोबर्ट ने करौली के शासक मदनपाल के सहयोग से 30मार्च,1858 को इस विद्रोह का दमन कर दिया|
  • अंग्रेजो ने शासक मदनपॉल को ‘ग्रॉस कमांडर स्टार ऑफ़ इण्डिया’ की उपाधि देकर सम्मानित किया| मदनपाल को दी जाने वाली तोपों की सलामी अब 13 टॉप की जगह 17  तोप कर दी, दूसरी तरफ कोटा के शासक राम सिंह  की सलामी अब 17तोपों की जगह 13 तोप कर दी गई|
  • ऐरिनपुरा छावनी में हुए विद्रोह के नेता थे- शीतल प्रसाद, मोती खां व तिलकराम| यहा विद्रोह 23अगस्त 1857 को हुआ| आसुपा के ठाकुर शिवनाथ सिंह द्वारा ‘चलो दिल्ली मारो फिरंगी’ का नारा दिया गया| शिवनाथ के नेतृत्व  में क्रान्तिकारी दिल्ली पहुंचे|
  • 1857 की क्रान्ति के दौरान आउवा के ठाकुर कुशालसिंह चंपावत थे|
  • जोधपुर के तात्कालिक शासक तख़्त सिंह से वहाँ के जागीरदार नाखुश थे| इन जागीरदारो का नेतृत्व कुशाल सिंह चंपावत कर रहे थे|
  • चंपावत का सामना करने ब्रिटिश अधिकारी हीथकोट के नेतृत्व में जोधपुर सैना आई जिसको कुशालसिंह ने परास्त कर दिया| जार्ज लारेन्स ने जब विद्रोहीयो को खदेड़ने निमित आउवा के किले पर आक्रमण किया तो लोरेन्स इस आक्रमण में घायल हो गया|  जोधपुर का पॉलिटिकल एजेंट मोक मेसन इस आक्रमण में मारा गया|
  • आउवा राजघराने की कुलदेवी माता सुगाली माता थी| युद्ध की हार का बदला लेने बिग्रेडियर होम्स ने फिर आउवा पर आक्रमण किया|
  • कुशाल सिंह को अपनी दिखाई देने लगी, उसने किले की जिम्मेदारी अपने छोटे भाई प्रथ्वी सिंह को सौंप स्वयं सलुम्बर चला गया| अंग्रेजो ने कुछ ही दिनों में आउवा के किले को जीत लिया|
  • बीथोड़ा का युद्ध 8 सितम्बर 1857 को कुशाल सिंह चंपावत व हीथकोट के बीच हुआ| इस युद्ध में ओनाड़ सिंह ने हीथकोट का साथ दिया| परन्तु दुर्भाग्यवश ओनाड़ सिंह इस युद्ध में मारे गये|
  • विदित रहे A.G.G मोक मेसन की धड को शरीर से अलग करके क्रान्तिकारीयो ने उसके सिर को आउवा के किले के दरवाजे पर लटका दिया|
  • चेलावास का युद्ध जिसे गोरे-काले का युद्ध भी कहते है 18 सितम्बर 1857 को कुशाल सिंह चंपावत  व पैरिक लोरेन्स के बीच हुआ | इस युद्ध में लोरेन्स का साथ मोक मेसन ने दिया था|
  • कुशाल सिंह को शरण सलुम्बर के रावत केशरी सिंह चुडावत ने दी|
  • कुशाल सिंह के विद्रोह की जांच के लिय  ‘टेलर कमीशन’  बैठाया गया|
  • इस जांच में कुशाल सिंह चंपावत निर्दोष साबित हुए|
faq

Frequently Asked Questions

Get answers to the most common queries

FAQ content not found.

Crack Railway Exam with RAS Insider

Get free access to unlimited live and recorded courses from India’s best educators

Structured syllabus

Daily live classes

Ask doubts

Tests & practice

Notifications

Get all the important information related to the RPSC & RAS Exam including the process of application, important calendar dates, eligibility criteria, exam centers etc.

Related articles

Learn more topics related to RPSC & RAS Exam Study Materials

RAJASTHAN RIGHT TO HEALTH BILL | RAS EXAM

स्वास्थ्य का अधिकार | RAS EXAM प्रदेशवासियों को मिला स्वास्थ्य का अधिकार प्रावधान :- Frequently Asked Questions Q.01 What is in right to health bill? Ans: The Act gives every

राजस्थान प्रमुख भू-आकृतिक प्रदेश एवं उनकी विशेषताएँ | GEOMORPHIC | RAS | PRE | MAINS

GEOMORPHIC REGIONS OF RAJASTHAN | RAS राजस्थान प्रमुख भू-आकृतिक प्रदेश एवं उनकी विशेषताएँ राजस्थान प्रमुख भू-आकृतिक प्रदेश एवं उनकी विशेषताएँ -राजस्थान एक विशाल राज्य है अत: यहाँ धरातलीय विविधताओ का

मेवाड का इतिहास | HISTORY OF MEWAR | RAS |

राजस्थान के इतिहास में मेवाड रियासत का एक अभूतपूर्व स्थान है | इस रियासत ने अनेक वीर शासको को जन्म दिया ; अत: ऐसे में इस रियासत से सम्बंधित अनेक

Access more than

100+ courses for RPSC & RAS Exams