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राजस्थान में संभागीय व्यवस्था व प्रतीक चिन्ह एवं उपनाम | RAS | REET | PATWAR

Published on January 10, 2022 by Just Prep Raj |
Last Updated on March 15, 2023 by Just Prep Raj
इस श्रृंखला में सभी अभ्यार्थी को उपर्युक्त शीर्षक से सम्बंधित महत्वपूर्ण नोट्स प्राप्त होंगे |
  • राजस्थान में संभागीय व्यवस्था की शरुआत 30 मार्च 1949ई. को हुई थी |
  • संम्भागीय व्यवस्था की शरुआत राजस्थान एकीकरण के चौथे चरण में हुई | तात्कालिक राजस्थान संघ में 5 संभाग – जयपुर, जोधपुर, कोटा, उदयपुर तथा बीकानेर व 25 जिले थे |
  • अप्रैल 1962 में तात्कालिक मुख्यमंत्री श्री मोहनलाल सुखाडिया ने संम्भागीय व्यवस्था बंद कर दी थी |
  • 26जनवरी 1987 को तात्कालिक मुख्यमंत्री श्री हरिदेव जोशी ने संम्भागीय व्यवस्था को पुन: चालू किया |
  • 1987 में हरिदेव जोशी सरकार के समय अजमेर को जयपुर से अलग करके नया संम्भाग बनाया गया | अजमेर राज्य का 6ठा संम्भाग बना | राजस्थान का नवीनतम संम्भाग भरतपुर 4 जून 2005 को बना जिसको शामिल करके राजस्थान में कुल 7 संम्भाग हो गये |
  1. जोधपुर संम्भाग:
-क्षैत्रफल में सबसे बड़ा जिला- जैसलमेर व सबसे छोटा जिला सिरोही|-जोधपुर संम्भाग क्षैत्रफल में सबसे बड़ा संम्भाग है |-सर्वाधिक अंतर्राष्ट्रीय सीमा भी इसी संम्भाग की लगती है| इसके अलावा सर्वाधिक पशुधन व सर्वाधिक शुष्क भूमि वाला संम्भाग भी यही है| मारवाड़ी भाषा का चलन सर्वाधिक इसी संम्भाग में है| परन्तु जनसंख्या धनत्व में यह संम्भाग न्यूनतम है|
  1. बीकानेर संम्भाग:
-क्षैत्रफल में सबसे बड़ा जिला बीकानेर व सबसे छोटा जिला हनुमानगढ़ है |-इस संम्भाग में सर्वाधिक सिंचाई की जाती है |-नदियों की द्रष्टि से इस संम्भाग में सबसे कम नदियाँ है |-क्षैत्रफल की द्रष्टि से यह संम्भाग दूसरा सबसे बड़ा संम्भाग है |
  1. अजमेर संम्भाग:
-क्षैत्रफल में सबसे बड़ा जिला नागौर व सबसे छोटा जिला टोंक है |-आकृति में यह जम्मू कश्मीर के समान है |-क्षैत्रफल में तीसरा सबसे बड़ा संम्भाग|-इस संम्भाग की सीमा अन्य संम्भागो को स्पर्श करती है |-इस संम्भाग में सम्मिलित कुछ शहरो से जुड़े नाम:अजमेर – राजस्थान का ह्रदय भारत का मक्का |नागौर – राजस्थान की धातु नगरी |भीलवाडा – राजस्थान की वस्त्र नगरी |टोंक – नवाबो की नगरी |
  1. उदयपुर संम्भाग :
-क्षैत्रफल में सबसे बड़ा जिला – उदयपुर व सबसे छोटा जिला प्रतापगढ़ |-सर्वाधिक पशु घनत्व वाला संम्भाग |-सर्वाधिक लिंगानुपात वाला संम्भाग – डूंगरपुर |
  1. जयपुर संम्भाग :
-क्षैत्रफल में सबसे बड़ा जिला: जयपुर व सबसे छोटा जिला दौसा |-सर्वाधिक साक्षरता वाला संम्भाग [72.33%]-सर्वाधिक जनसंख्या घनत्व वाला संम्भाग [जयपुर- 595] |-सर्वाधिक SC में 5वा बड़ा संम्भाग |-क्षैत्रफल में उदयपुर व जयपुर संम्भाग बराबर है |
  1. कोटा संम्भाग:
-क्षैत्रफल में सबसे बड़ा जिला – बारां व सबसे छोटा जिला है बूंदी |-यह संम्भाग सबसे कम जनसंख्या वाला है |-क्षैत्रफल में सबसे बड़ा संम्भाग |-सर्वाधिक वर्षा वाला संम्भाग | मानसून का सर्वप्रथम प्रवेश कोटा संम्भाग में ही होता है |
  1. भरतपुर संम्भाग:
-क्षैत्रफल में सबसे बड़ा जिला है सवाई माधोपुर तो सबसे छोटा जिला है धौलपुर |-यह राजस्थान का नवीनतम संम्भाग है जो 4 जून 2005 को बना था |-क्षैत्रफल में सबसे छोटा संम्भाग |-भरतपुर पृथक संम्भाग बनने से पूर्व कोटा व जयपुर संम्भाग का हिस्सा था |-यह संम्भाग सबसे ज्यादा राज्यों से सीमा बनाता है- हरियाणा, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश |-राजस्थान का क्षैत्रफल है : 3,42,239 वर्ग कि.मी.-राज्य का लोक वाद्य यन्त्र है : अलगोजा-राज्य पुष्प रोहिडा है जिसे राजस्थान का सागवान, राजस्थान की मरुशोभा भी कहा जाता है |-जोधपुर में रोहिडे को ‘मारवाड़ टीक’ भी कहा जाता है |-रोहिडे में पुष्पों का रंग केसरिया- हिरमिच पीला होता है |-राज्य वृक्ष खेजड़ी है जिसका वैज्ञानिक नाम ‘प्रोसेसिप- सिनेरेरिया’ है | इसे राज्य वृक्ष का दर्जा 1983 में मिला था |-खेजड़ी की हरी फली- सांगरी, सुखी फली- खोखा व इसकी पत्तियों से बना चारा लूंग/लूम कहलाता है |-वैज्ञानिक ने खेजड़ी की कुल आयु 5000वर्ष मानी है |-राजस्थान में खेजड़ी के 1000 वर्ष पुराने 2 वर्ष अजमेर जिले में मिले है |-अम्रतादेवी विश्नोई ने 363 अन्य लोगो के साथ खेजड़ी वृक्ष को बचाते हुए शुक्ल दशमी के दिन बलिदान दिया था |-अम्रतादेवी विश्नोई के पति का नाम रामोजी विश्नोई था |-विश्नोई समाज में यह बलिदान खड़ाना या साका कहलाता है |-प्रत्येक वर्ष 12 सितम्बर खेजडली दिवस के रूप में मनाया जाता है |-वन्य जीव सरंक्षण हेतु दिए जाने वाला सर्वक्ष्रेष्ठ पुरुस्कार ‘अम्रतादेवी वन्य जीव पुरुस्कार’ है | यह पुरुस्कार 1994 में शुरू किया गया था जिसमे संस्था को 50,000/- रु व व्यक्ति को 25000/- रु पुरुस्कार स्वरुप दिए जाते है |-प्रथम अम्रतादेवी विश्नोई पुरुस्कार पाली के गंगाराम विश्नोई को दिया गया था |-ऑपरेशन खेजडा की शुरुआत 1991 में हुई |-राज्य पक्षी गोडावण का वैज्ञानिक नाम – ‘क्रायोटिस नाइग्रेसेप्स’ है |-गोडावण को राज्य पक्षी का दर्जा 1981 में दिया गया है | इसे माल – मोरडी भी कहा जाता है | यह नाम हाडौती क्षैत्र में प्रचलित है |-इसके अलावा इसके अन्य वैकल्पिक नाम भी है – सारंग, हुकना, तुकदर, बड़ा तिलोर |-गोडावण प्रजनन के लिऐ जोधपुर जन्तुआलय प्रसिद्ध है | गोडावण का प्रजनन समय अक्टूबर नवंम्बर होता है | यह मूलतः अफ्रीका का पक्षी है | इसकी ऊँचाई 4फीट होती है|-गोडावण का प्रिय भोजन मूंगफली व तारामीरा है| इसका उपरी रंग नीला होता है |-राजस्थान के 3 जिलो में गोडावण पक्षी पाया जाता है –
  1. मरुउद्यान – जैसलमेर, बाड़मेर |
  2. सोरसेन – बारां |
  3. सोक लिया – अजमेर |
-राजस्थान का राज्य पशु चिंकारा है |-चिंकारा का वैज्ञानिक नाम – गजैला- गजैला है |-इसे छोटा हिरण भी कहा जाता है |-इसे राज्य पशु का दर्जा 1981 में दिया गया था |-चिंकारो के लिए नाहरगढ़ अभ्यारण प्रसिद्ध है |-ऊँट को राज्य पशु का दर्जा 2014 में मिला | इसे पशुधन श्रेणी में रखा गया है |राज्य गीत – “केसरिया बालम आओनी पधारो म्हारे देश”| यह गीत मुख्यतः मांड गायकी में गाया जाता है |-इस गीत को सर्वप्रथम उदयपुर की मोगी बाई ने गया था |-अंतर्राष्ट्रीय स्तर प्र इस गीत को प्रसिद्ध किया अल्लाह जिल्ला बाई ने |-अल्लाह जिल्ला बाई को ‘मरु कोकिला’ कहा जाता है |-राज्य नृत्य घूमर है जिसे राज्य के नृत्यों की आत्मा कहा जाता है | महिलाऐ गोल घेरा बनाकर यह नृत्य करती है |-यह नृत्य नृत्यों का सिरमौर भी कहलाता है |-राज्य का शास्त्रीय नृत्य कथक है | जिसके #### भानु जी महाराज है | कथक के दो प्रमुख घराने है – लखनऊ व जयपुर |-राजस्थान का राज्य खेल बास्केट बॉल है जिसे 1948 में राज्य खेल का दर्जा मिला |

उपनाम

  1. सौ द्वीपों का शहर – बांसवाडा |
  2. राजस्थान की हिमालय नगरी – मा. आबू |
  3. राजस्थान की वैष्णो देवी – अर्बूदा माता [सिरोही]
  4. राजस्थान का ताजमहल – जसवंतथडा [जोधपुर]
  5. हाडौती का ताजमहल – अबली मीणी महल [कोटा]
  6. राजस्थान का विंडरसर महल – राजमहल [उदयपुर]
  7. शैक्षणिक नगरी – कोटा
  8. मिनी खजुराहो – भिंडदेवरा [बारां]
  9. राजस्थान का खजुराहो – सोमेश्वर मंदिर किराडू [बाड़मेर]
  10. राजस्थान का राजकोट – लूणकरणसर [बीकानेर]
  11. राजस्थान का मेनचेस्टर – भीलवाडा
  12. जल महलो की नगरी – डीग [भरतपुर]
  13. लोढ़ी काशी – बांसवाडा
  14. आदिवासियों का शहर – बांसवाडा
  15. वराह नगरी – बारां
  16. थार का घडा – चांदन नलकूप [जैसलमेर]
  17. कोंकण तीर्थ/ 5वा तीर्थ/ तीर्थो का मामा – पुष्कर
  18. राजस्थान की काशी – बूंदी
  19. मंकी वेली – गलती जी [जयपुर]
  20. मूर्तियों का अजायब घर– विजय स्तम्भ