JustPrepRaj Logo

राजस्थान की राजव्यवस्था एंव राज्यपाल REET | PATWAR

WhatsApp
Telegram
Facebook
Twitter

दिऐ गऐ नोट्स प्रतियोगी परीक्षाओं को मध्य नजर रखते हुऐ तैयार कीऐ गऐ है। प्रस्तुत शीर्षक राज्य की राजव्यवस्था मे राज्यपाल की भूमिका कितनी महत्वपूर्ण है, के सम्बन्ध मे विशद् जानकारी देता है। कोशिश की गई कि राज्यपाल से जुडे़ जितने भी अत्यावश्यक बिन्दू है को लिखा जाऐ ताकि परीक्षार्थी की सफलता सुनिश्चित हो।

भारतीय संविधान मे राज्यों मे भी संसदीय शासन व्यवस्था को अपनाया गया है।

भाग -6 मे राज्य सरकार के सम्बन्ध मे उल्लेख किया गया है।

संविधान के भाग 6 मे अनुच्छेद 153 से 167 तक मे राज्य कार्यपालिका का उल्लेख किया गया है।

राज्य कार्यपालिका मे राज्यपाल, मुख्यमंत्री, मंत्रीपरिषद व महाधिवक्ता [ADVOCATE GENERAL], शामिल है।

राज्यपाल राज्य का संवैधानिक प्रधान /नाममात्र का प्रधान होता है। वास्तविक प्रधान तो मुख्यमंत्री होता है।

राज्यपाल राज्य मे केन्द्र का प्रतिनिधि होता है। उपराज्यपाल राज्यों मे नही होता।

शमशेर सिंह बनाम पंजाब राज्य वाद मे निर्णय दिया गया कि राज्यपाल व राष्ट्रपति दोनो मात्र संवैधानिक प्रधान है।

अनुच्छेद 153 मे वर्णित,“ प्रत्येक राज्य के लिऐ एक राज्यपाल होगा। ” परन्तु 7 जी संवैधानिक संशौधन अधिनियम, 1956 मे प्रावधान जोडा गया कि एक व्यक्ति दो या ज्यादा राज्यों का कार्यभार एक साथ राज्यपाल के रूप मे देख सकता है।

राजस्थान मे राज्यपाल पद का सृजन 1 नवम्बर 1956 को हुआ। इससे पूर्व यह पद राजप्रमुख कहलाता था।

अनुच्छेद 154 मे वर्णित “ राज्य की समस्त कार्यपालिका शक्तियाँ राज्यपाल मे निहीत होगी। ” इनका प्रयोग वह स्वंय या अधीनस्थों के सहयोग से करेगा।

अनुच्छेद 155 के अनुसार, “ राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा एक हस्ताक्षरित व मुद्रित अधिपत्र ख्ॅंततंदज, द्वारा की जाती है।”

चूँकि राज्यपाल राज्य का संवैधानिक प्रधान मात्र होता है अतः उसके सम्बन्धे मे नियुक्ति के समय निर्वाचन के स्थान पर मनोयन पद्धति को अपनाया गया है।

राज्यपाल की नियुक्ति के सम्बन्ध मे कनाडा की संवैधानिक पद्धति अपनाई गई है।

राज्यपाल की योग्यताओं के सम्बन्ध मे प्रावधान अनु॰ 157 मे वर्णित है।

वह भारत का नागरिक हो ; उम्र कम से कम 35 वर्ष ; किसी लाभ के पद [OFFICE OF PROFIT] पर न हो ; विधानसभा सदस्य बनने की योग्यता रखता हो।

पद की शर्तो का उल्लेख अनुच्छेद 158 मे दिया गया है। वह न तो सांसद [MP] हो और न ही विधानमण्डल सदस्य हो।

वह संसद द्वारा निर्धारित उपलब्धियाँ, विशेषाधिकार व भत्तों का हकदार होगा।

यदि राज्यपाल दो या दो से ज्यादा राज्यों का राज्यपाल है तो राष्ट्रपति द्वारा तय मानकों के आधार पर राज्य सरकारों द्वारा मिलकर उसे वेतन व भत्ते दिऐ जाऐगें।

कार्यकाल के दौरान उसके वेतन व भत्तों को कम नही किया जा सकता।

अनुच्छेद 159 के अनुसार राज्यपाल को शपथ उस राज्य के उच्च न्ययालय का मुख्य न्यायाधीश यदि मुख्य न्यायाधीश अनुपस्थित है तो वरिष्ठत्तम्् न्यायाधीश द्वारा दिलाई

जाती है। राज्यपाल संविधान के संरक्षण [PROTECTION], परिरक्षण [PRESERVATION] व प्रतिरक्षण [DEFENCE] की शपथ लेता है।

अनुच्छेद 156 के अनुसार सामान्यतः राज्यपाल का कार्यकाल 5 वर्ष होता है परन्तु वह राष्ट्रपति के इच्छापर्यन्त [to the pleasure of the president], ही पद धारण करता है अर्थात राष्ट्रपति 5 वर्ष से पूर्व भी उसे हटा सकते है। राष्ट्रपति ही उसे अन्य राज्य मे स्थानांतरित करते है ; पुनः उसी राज्य मे नियुक्त करते है।

राज्यपाल अपना त्यागपत्र राष्ट्रपति को सौपता है। नया राज्यपाल नियुक्त होने तक वह अपना पद धारण करता है।

अनुच्छेद 361 के तहत उसे कुछ विशेषधिकार प्राप्त है यथा अपने कत्र्तव्य पालन व शक्तियों के प्रयोग के विषय मे वह किसी न्यायालय के प्रति उत्तरदायि नहीं होगा।

पदावधि के दौरान किसी भी न्यायालय मे उसके विरूद्ध अपराधिक कार्यवाही नहीं की जा सकती। पदग्रहण से पूर्ववत या पश्चात किऐ गऐ अपराध हेतू उसके विरूद्ध सिर्फ

सिविल वाद दायर किया जा सकता है। उसकी भी उसे दो माह पूर्व सूचना देनी होगी।

राज्य सरकार के सभी कार्यकारी कार्य, क्रियान्वयन इत्यादि औपचारिकतावश उसी के नाम पर होते है।

वह मुख्यमंत्री की नियुक्ति करता है तत्पश्चात मुख्यमंत्री की सिफारिश पर अन्य मंत्रियों की नियुक्ति करता है अनु॰ 164।

सभी मंत्री राज्यपाल की इच्छा पर्यन्त ही पद पर रहते है।

अनु॰ 243 ा के तहत वह निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति करता है।

राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों की नियुक्ति करता है।

विदित रहे राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों को हटाने का अधिकार सिर्फ राष्ट्रपति को है।

अनु॰ 165 के तहत वह राज्य महाधिवक्ता जो कि राज्य सर्वोच्च प्रशासनिक अधिकारी होता है की नियुक्ति करता है, उसका पारिश्रमिक तय करता है। महाधिवक्ता राज्यपाल के प्रसादपर्यन्त ही पद पर रहता है।

अनु॰ 167 मे वर्णित है कि व मुख्यमंत्री से किसी विधायी या प्रशसनिक मुद्दे की जानकारी मांग सकता है।

यदि किसी मंत्री ने कोई निर्णय ले लिया मगर मंत्री परिषद के संज्ञान मे नही है तो ऐसे विषय मे वह मुख्यमंत्री से विचार करने की बात कह सकता है।

वह राज्य मे अनु॰ 356 [राष्ट्रपति शासन]  के तहत संवैधानिक तंत्र विफल होने पर आपातकाल लगाने की सिफारिश राष्ट्रपति से कर सकता है।

अनु॰ 243 (|) झ के तहत राज्यपाल प्रत्येक 5 वर्ष के लिऐ राज्य वित्त आयोग का गठन करता है।

राज्यपाल राज्य के लोकायुक्त, मुख्य सुचना आयुक्त तथा आयुक्त राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष की नियुक्ति भी करता है।

राज्यपाल राज्य सैनिक बोर्ड, संरक्षक स्काऊट एवं गाइड राजस्थान, पश्चिमी क्षैत्रीय सांस्क्तिक केन्द्र, उदयपुर, राजस्थान के भूतपूर्व सैनिकों के हितार्थ गठित समेकित निधि

प्रबंध समिति, भारतीय रेडक्रास सोसाइटी, राजस्थान राज्य शाखा के पद स्वंय धारण करता है या इनके अध्यक्ष की नियुक्ति करता है।

वह राज्य के विश्वविधालयों का कुलाधिपति होता है। कुलपतियों की नियुक्ति राज्यपाल करता है।

अनु॰ 174 के तहत वह राज्य विधानमण्डल के सत्र [Session] को बुलाता है व विघटित [dissolve] करता करता है।

अनु॰ 176 मे उल्लेखित है कि विधानमण्डल /विधानपरिषद के चुनाव के पश्चात प्रथम सत्र को राज्यपाल संबोधिंत करता है।

वह विधानमण्डल के सदनों मे विचाराधीन विधेयकों के मामले मे संदेश भेज सकता है।

विधानसभा अध्यक्ष व उपाध्यक्ष दोनों के अनुपस्थित होने पर राज्यपाल द्वारा निर्देशित सदस्य सदन की कार्य वाही देखता है।

अनु॰ 175 [5] के तहत वह साहित्य, विज्ञान, कला, सहकारिता आन्दोलन और समाज सेवा मे विशेषज्ञता/ख्याति रखने वाले लोगों मे से 1/6 सदस्यों को विधान परिषद के लिऐ नामित करता है।

अनु॰ 333 कहता है कि यदि राज्यपाल को लगे कि आंग्ल – भारतीय समुदाय से किसी भी व्यक्ति को विधानसभा मे प्रतिनिधित्व नहीं मिला तो वह ऐसे एक आंग्ल – भारतीय को विधानसभा मे मनोनित करता है।

अनु॰ 192 [2] कहता है कि किसी विधानसभा सदस्य की निर्हरता [disqualification] पर राज्यपाल निर्वाचन आयोग के साथ मिलकर विचार करता है।
जब कोई विधेयक राज्यपाल के पास हस्ताक्षर निमित जाता है तो वह विधेयक को –

  1.  स्वीकार कर सकता है, या
  2.  स्वीकृत हेतू रोक सकता है, या
  3.  पुनर्विचार हेतू वापस भेज सकता है।
  4.  विधेयक को राष्ट्रपति के विचारार्थ अपने पास सुरक्षित रख सकता है|
  •  धन विधेयक को पुनर्विचार हेतू वापस नही भेजा जाता है ।
  •  पुन र्विचार हेतू भेजे जाने पर विधानमंडल जब उस विधेयक को संशोधि या बिना संशोधन के जब वापस राज्यपाल के पास आता है तो राज्यपाल को हस्ताक्षर करने   पडते है।

निम्नलिखित मामलों मे राज्यपाल विधेयक को अपने पास सुरक्षित रख लेता है-

  •  जब विधेयक उच्च न्यायालय की स्थिति को खतरे मे डाले।
  • जब विधेयक संवैधानिक उपलन्धो के विरूद्ध हो।
  •  राज्य केे नीती निर्देशक तत्वों के विरूद्ध हो।
  •  देश हित के विरूद्ध हो।
  •  राष्ट्रीय महत्व का हो।
  •  अनु॰ 31 के तहत सम्पति के अनिवार्य अधिग्रहण से जुड़ा हो।

राज्यपाल राज्य वित्त आयोग, राज्य लोक सेवा आयोग, व नियन्त्रक एवं महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट को राज्यविधान सभा के सामने प्रस्तुत करता है।

राज्यसूचि मे उल्लेखित किसी विषय पर कानून बनाना हो, परन्तू उस समय यदि विधानसभा सत्र मे न हो तो अनु॰ 213 के तहत राज्यपाल अघ्यादेश ख्व्तकपदंदबम, जारी कर सकता है।

राज्यपाल द्वारा जारी अघ्यादेश 6 माह तक प्रभावी रहता है। लेकिन जैसे ही विधान सभा का सत्र शुरू होता है 6 सप्ताह के अन्दर इस अध्यादेश का अनुमोदन अनिर्वाय है, अन्यथा 6 सप्ताह बाद अध्यादेश स्वतः समाप्त हो जाऐगा।

डी॰सी॰ वाधवा बनाम बिहार राज्य वाद मे निर्णय दिया गया कि राज्यपाल अध्यादेश विशेष परिस्थितियों मे ही जारी करेगा।

अनु॰202 के तहत राज्यपाल की पुर्वानुमति से बजट विधानमण्डल मे प्रस्तुत किया जाता है।

धन विधेयक भी राज्यपाल की सहमति से ही विधानसभा मे रखा जाता है।

अनु॰ 203 [3] के तहत कोई भी अनुदान ख्ळतंदज, तभी स्वीकार होगा जब राज्यपाल सहमति देगा।

अचानक धन की यदि जरूरत पड़ जाऐ तो राज्यपाल आकस्मिक निधि से निकालने की इजाजत देता है।

पंचायतो व नगरपालिकाओं की वित्तीय स्थिति की समीक्षा करने निमित राज्यपाल अनु॰ 243 (|) के तहत 5 वर्ष के लिऐ राज्य वित्त आयोग का गठन करता है।

दोषी घोषित व्यक्ति के विषय मे राज्यपाल को अनु॰ 161 के अन्तर्गत दण्ड को क्षमा, प्रविलम्बन, विराम या परिहार करने की शक्ति प्राप्त है।

उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति, स्थानातंरण के सन्दर्भ मे राज्यपाल मुख्य न्यायाधीश के साथ विचार साझा करता है।

राज्यपाल मुख्य न्यायाधीशों के साथ विचार कर जिला न्यायाधीशों की नियुक्ति, स्थानातंरण व पदौन्नति करता है [अनु॰ 233]।

राज्यपाल राज्य उच्च न्यायालय व राज्य लोक सेवा आयोग से परामर्श कर राज्य न्यायिक आयोग से जुडे लोगो की नियुक्ति भी करता है [ जिला न्यायाधीश के अलावा ]।
जब विधानसभा चुनाव मे किसी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलता तो राज्यपाल अपनी स्व विवेकीय शक्ति [Discretionary Power]  के आधार पर बहुमत सिद्ध करने वाले दल के नेता को सरकार बनाने हेतू आमंत्रित करता है।
अनुच्छेद 163 मे कहा गया है कि राज्यपाल को उसके कार्य मे सहायता देने हेतू मंत्रीपरिषद अपना कत्र्तव्य पूरा करेगी। परन्तु यह नियम स्व, विवेकीय शक्तियों मे लागू नही होता।
राज्यपाल निम्न स्थितियों मे मंत्रीपरिषद को भंग कर सकता है-

  • जब मंत्रीपरिषद सदन मे बहुमत खो दे।
  • जब मंत्रीपरिषद के विरूद्ध अविश्वास प्रस्ताव पारित हो जाऐ।
  • जब मंत्रीपरिषद संवैधानिक तरीके से कार्य न कर रहा हो ; जब किसी मुद्दे पर केन्द्र से टकराव की सम्भावना हो।
  • जब राज्य का मुख्यमंत्री जाँच मे भ्र्रष्टाचार का दोषी पाया जाऐ।

राज्यपाल मुख्यमंत्री की सलाह पर विधानसभा का अधिवेशन बुलाता है ; असाधारण परिस्थितियों मे विशेष अधिवेशन बुलाता है।

सामान्यतः मुख्यमंत्री की सलाह पर राज्यपाल विधानसभा को भंग [Dissalve] करता है, परन्तु विशेष परिस्थिति मे बिना मुख्यमंत्री की सलाह के राज्यपाल विधानसभा को भंग कर सकता है।

यदि भुतपूर्व या वर्तमान कार्यरत: मुख्यमंत्री भ्रष्टाचार या किसी अन्य अपराध मे संलिप्त पाया जाता है तो राज्यपाल उसके विरूद्ध वैधानिक कार्यवाही की इजाजत दे सकता है।

भारत मे प्रथम महिला राज्यपाल सरोजिनी नायडू जो 1947 से 1949 तक उत्तर प्रदेश की राज्यपाल रही।

सरोजिनी नायडू ने राज्यपाल की स्थिति पर कहा था

“ राज्यपाल सोने के पिंजरे मे निवास करने वाली चिडिया के बराबर है। ”

विजय लक्ष्मी पण्डित के अनुसार, “ राज्यपाल वेतन के आकर्षण का पद है। ”

एम॰ वी पायली के अनुसार, “ राज्यपाल एक सूझ बूझ वाला परामर्श दाता तथा राज्य मे शान्ति का संस्थापक है।”

सन् 2007 मे केन्द्र – राज्य सम्बन्धों पर मदन मोहन पूँछी आयोग गठित किया गया । आयोग की संस्तुतियाँँ [Recommendations] इस प्रकार थी-

  • जिस व्यक्ति ने गत 2 वर्षो से सक्रिय राजनीति मे भाग नहीं लिया को राज्यपाल बनाया जाऐ।
  • राज्यपाल के चयन मे सम्बन्धित राज्य के मुख्यमंत्री से बातचीत की जानी चाहिऐ।
  • राज्यपाल का कार्यकाल 5 वर्ष निश्चित करना हटाने के लिऐ विधानसभा मे महाभियोग की प्रक्रिया लगाने की सिफारिश की।
  • राज्य सरकार की इजाजत के बगेर मंत्री के विरूद्ध मुकदमा चलाने हेतू आज्ञा देने का अधिकार राज्यपाल के पास होना चाहिऐ।

पूँछी आयोग ने तो स्थानीय आपातकाल ख्स्वबंस [Local Emergency] लगाने का भी सुझाव दिया था।

भारत मे बर्खास्त होने वाला प्रथम राज्यपाल तमिलनाडू का राज्यपाल प्रभूदास पटवारी था जिसे 1980 मेे बर्खास्त किया गया।

राजस्थान मे बर्खास्त होने वाला प्रथम राज्यपाल था रधुकूल तिलक जिसे 1981 मे बर्खास्त किया गया।

एस॰ आर॰ बोम्म्ई बनाम भारत सरकार – 1994 मे धोसित इस वाद मे कहा गया कि मंत्रीमंडल के बहुमत का निर्णय विधानमण्डन मे होना चाहिऐ राजभवन मे नही।

राजमन्नार आयोग – इस आयोग ने तो राज्यपाल के पद को ही समाप्त करने की अनुशंसा की।

रामेश्वर प्रसाद बनाम भारत सरकार: इस वाद मे निर्णय दिया गया कि चुनाव मे स्पष्ट बहुमत न मिलने पर कुछ दल मिलकर गठबंधन की सरकार बना सकते है।

faq

Frequently Asked Questions

Get answers to the most common queries

FAQ content not found.

Crack Railway Exam with RAS Insider

Get free access to unlimited live and recorded courses from India’s best educators

Structured syllabus

Daily live classes

Ask doubts

Tests & practice

Notifications

Get all the important information related to the RPSC & RAS Exam including the process of application, important calendar dates, eligibility criteria, exam centers etc.

Related articles

Learn more topics related to RPSC & RAS Exam Study Materials

RAJASTHAN RIGHT TO HEALTH BILL | RAS EXAM

स्वास्थ्य का अधिकार | RAS EXAM प्रदेशवासियों को मिला स्वास्थ्य का अधिकार प्रावधान :- Frequently Asked Questions Q.01 What is in right to health bill? Ans: The Act gives every

राजस्थान प्रमुख भू-आकृतिक प्रदेश एवं उनकी विशेषताएँ | GEOMORPHIC | RAS | PRE | MAINS

GEOMORPHIC REGIONS OF RAJASTHAN | RAS राजस्थान प्रमुख भू-आकृतिक प्रदेश एवं उनकी विशेषताएँ राजस्थान प्रमुख भू-आकृतिक प्रदेश एवं उनकी विशेषताएँ -राजस्थान एक विशाल राज्य है अत: यहाँ धरातलीय विविधताओ का

मेवाड का इतिहास | HISTORY OF MEWAR | RAS |

राजस्थान के इतिहास में मेवाड रियासत का एक अभूतपूर्व स्थान है | इस रियासत ने अनेक वीर शासको को जन्म दिया ; अत: ऐसे में इस रियासत से सम्बंधित अनेक

Access more than

100+ courses for RPSC & RAS Exams