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USHNA KATIBANDHIYA CHAKRAWAT NIRMAN PRAKRIYA | RAS

Published on June 8, 2023 by Just Prep Raj |
Last Updated on June 8, 2023 by Just Prep Raj

उष्ण कटिबन्धीय चक्रवात निर्माण प्रक्रिया 

चक्रवातो के निर्माण की प्रक्रिया :-

  • उष्ण कटिबन्धीय चक्रवात का निर्माण महासागर में स्थित द्वीपों पर होता है |
  • द्वीपीय क्षेत्र महासागरीय क्षेत्र की अपेक्षा अधिक गर्म हो जाते है अत: द्वीपों पर निम्न दाब केंद्र बनता है तथा महासागरीय क्षेत्र में इसकी अपेक्षा HP पाया जाता है |
  • दाब प्रवणता के कारण वायु HP से LP की और बढती है |
  • HP से LP की और बढने वाली वायु पर कोरियोलिस बल लगता है जिसके कारण यह LP केंद्र के चारो ओर चक्रवात गति करने लगती है |
  • उत्तरी गोलार्द्ध में चक्रवात की दिशा Anticlockwise होती है तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में चक्रवात की गति Clockwise होती है |
  • चक्रवात गति करते हुए वायु गर्म होकर ऊपर की और उठने लगती है |
  • ऊपर उठने वाली वायु जलवाष्प लेकर जाती है जिसके कारण संघनन की क्रिया एवं बादल निर्माण होता है |
  • संघनन के दौरान गुप्त ऊष्मा मुक्त होती है जिसके कारण चक्रवात की गति एवं तीव्रता बढ़ जाती है |
  • उष्ण कटिबन्धीय चक्रवात गुप्त ऊष्मा से ऊर्जा प्राप्त करते है अत: इन्हें उष्मीय इंजन (Heat Engine) भी कहते है अत: चक्रवात का प्रभाव गुप्त ऊष्मा के कारण केवल तटवर्ती क्षेत्रों में रहता है |
  • संघनन के दौरान गुप्त ऊष्मा मुक्त होती है जिसके कारण चक्रवात की गति एवं तीव्रता बढ़ जाती है |
  • उष्ण कटिबन्धीय चक्रवात गुप्त ऊष्मा से ऊर्जा प्राप्त करते है |
  • इस प्रकार द्वीप पर एक निम्न तीव्रता के चक्रवात का निर्माण होता है जिसे अवदाब (Depression) कहते है |
  • व्यापारिक पवनो के कारण यह चक्रवात महासागरीय क्षेत्रों पर विस्थापित हो जाता है |
  • महासागरीय क्षेत्र में चक्रवात को मिलने वाली जलवाष्प की मात्रा बढ़ जाती है जिसके कारण संघनन के दौरान अधिक गुप्त ऊष्मा मुक्त होती है |
  • अधिक गुप्त ऊष्मा के कारण चक्रवात की तीव्रता बढ़ जाती है | चक्रवात की गति लगभग 180-250 km/h हो जाती है |
  • यह उच्च तीव्रता का चक्रवात व्यापारिक पवनो के प्रभाव के कारण महाद्वीपों के पूर्वी तट से टकराता है |
  • यह चक्रवात तटवर्ती क्षेत्रों में भारी वर्षा उत्पन्न करते है, गुप्त ऊष्मा के आभाव के कारण यह चक्रवात धीरे-धीरे समाप्त होने लगते है |

चक्रवात की दीवार :-

  • चक्रवात के LP केन्द्र के चारो ओर स्थित परिधि क्षेत्र को चक्रवात की दीवार कहते है |
  • वायु का संवहन, बादल निर्माण आदि चक्रवात की दीवार वाले क्षेत्र में होते है अत: चक्रवात के दौरान प्राप्त होने वाली वर्षा चक्रवात के दीवार वाले क्षेत्र में होती है |

चक्रवात की आँख :-

  • यह LP केन्द्र होता है जिसका व्यास 50-80 km होता है | इस क्षेत्र में सामान्य मौसम परिस्थितियाँ पाई जाती है अत: चक्रवात के केन्द्र में स्थित शान्त क्षेत्र को चक्रवात की आँख कहते है |

Landfall of Cyclone :-

  • जब चक्रवात तटवर्ती क्षेत्र से आकर टकराता है तो उसे चक्रवात का लैण्डफॉल कहते है |

चक्रवात के विभिन्न नाम

  • हिन्द महासागर – चक्रवात (Cyclone)
  • अटलांटिक महासागर – हरिकेन (Hurricane)
  • प्रशांत महासागर – टाइफून (Typhoon)
  • ऑस्ट्रेलिया – विल्ली विल्ली (Willy- willy)
  • चक्रवात के प्रभाव :-

(1) चक्रवात में वायु की तीव्रता अधिक होने के कारण बहुत अधिक विनाश होता है |

(2) चक्रवात के दौरान बहुत अधिक मात्रा में संवहन होता है जिसके कारण कम समय में भारी वर्षा प्राप्त होती है जो अत्यधिक नुकसानदायक होती है |

(3) चक्रवात के कारण महासागरीय क्षेत्रों में ऊँची लहरे उठती है जो तटवर्ती क्षेत्र पर बाढ़ लेकर आती है | इस परिघटना को Storm surge कहते है |

Frequently Asked Questions

Q.01 उष्ण कटिबंधीय चक्रवात कहाँ पाए जाते हैं?

Ans: उष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों के महासागरों में उत्पन्न तथा विकसित होने वाले चक्रवातों को ‘उष्ण कटिबंधीय चक्रवात’कहते हैं। ये 5° से 30° उत्तर तथा 5° से 30° दक्षिणी अक्षांशों के बीच उत्पन्न होते हैं।

Q.02 उष्ण कटिबंधीय चक्रवात कैसे बनते हैं?

Ans: उष्णकटिबंधीय चक्रवात एक तूफान प्रणाली है जो एक विशाल निम्न दबाव केंद्र और भारी तड़ित-झंझावातों द्वारा चरितार्थ होती है और जो तीव्र हवाओं और घनघोर वर्षा को उत्पन्न करती है। उष्णकटिबंधीय चक्रवात की उत्पत्ति तब होती है जब नम हवा के ऊपर उठने से गर्मी पैदा होती है, जिसके फलस्वरूप नम हवा में निहित जलवाष्प का संघनन होता है

Q.03 उष्णकटिबंधीय चक्रवात के केंद्र को क्या कहते हैं?

Ans: एक विकसित उष्ण कटिबंधीय चक्रवात की सबसे बड़ी विशेषता इसके केंद्र पर शांत क्षेत्र पाया जाता है जिसके ऊपर आकाश खुला या बादल रहित होता है इस वृताकार केंद्रीय क्षेत्र को चक्रवात की आँख या चक्रवात चक्षु कहा जाता है। इस भाग में हवाओं का वेग विल्कुल कम होता है तथा तापमान अधिक और आर्द्रता कम होती है।

Q.04 उष्णकटिबंधीय और शीत कटिबंध में क्या अंतर है?

Ans: उष्णकटिबंधीय चक्रवात उत्तरी गोलार्ध में पूर्व से पश्चिम और दक्षिणी गोलार्ध में पश्चिम से पूर्व की ओर बढ़ते हैं, जबकि शीतोष्ण चक्रवात उत्तरी गोलार्ध में पश्चिम से पूर्व की ओर और दक्षिणी गोलार्ध में पूर्व से पश्चिम की ओर बढ़ते हैं।

Q.05 उष्णकटिबंधीय चक्रवात की विशेषताएं क्या हैं?

Ans: एक उष्णकटिबंधीय चक्रवात बहुत हिंसक हवाएं, मूसलाधार बारिश, ऊंची लहरें और कुछ मामलों में, बहुत विनाशकारी तूफान और तटीय बाढ़ लाता है। हवाएँ उत्तरी गोलार्ध में वामावर्त और दक्षिणी गोलार्ध में दक्षिणावर्त चलती हैं।

Q.06 भारत में उष्णकटिबंधीय जलवायु क्या है?

Ans: भारत के उष्णकटिबंधीय नम जलवायु क्षेत्र में दो द्वीपों अंडमान और निकोबार, लक्षद्वीप, पश्चिमी मालाबार क्षेत्र और दक्षिण असम शामिल हैं। उष्ण कटिबंधीय गीला क्षेत्र देश में सबसे अधिक गीला क्षेत्र है जो मानसून के मौसम में वर्षा की उच्च मात्रा के कारण पूरे वर्ष आर्द्रता बनाए रखता है।

Q.07 उष्णकटिबंधीय चक्रवात के लिए दूसरा शब्द क्या है?

Ans: तूफान और आंधी एक ही मौसम की घटना है: उष्णकटिबंधीय चक्रवात। एक उष्णकटिबंधीय चक्रवात एक सामान्य शब्द है जिसका उपयोग मौसम विज्ञानियों द्वारा बादलों और झंझावातों की एक घूर्णन, संगठित प्रणाली का वर्णन करने के लिए किया जाता है जो उष्णकटिबंधीय या उपोष्णकटिबंधीय जल से उत्पन्न होता है और निम्न-स्तर परिसंचरण बंद कर देता है।

Q.08 उष्णकटिबंधीय जलवायु की दो विशेषताएं क्या हैं?

Ans: उष्णकटिबंधीय जलवायु को सबसे अच्छे महीने में 18 डिग्री सेल्सियस (64.4 डिग्री फारेनहाइट) या उससे अधिक के मासिक औसत तापमान द्वारा परिभाषित किया जाता है, और पूरे वर्ष गर्म तापमान की विशेषता होती है। वार्षिक वर्षा अक्सर उष्णकटिबंधीय जलवायु में प्रचुर मात्रा में होती है, और एक मौसमी लय दिखाती है लेकिन अलग-अलग डिग्री के लिए मौसमी सूखापन हो सकता है।

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उष्णकटिबंधीय चक्रवात  WIKIPEDIA

भारत मौसम विज्ञान विभाग पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय भारत सरकार

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