
Abhishek Shekhawat
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राजस्थान के लोक देवी एंव देवता
Published on March 11, 2023 by Abhishek Shekhawat |
Last Updated on March 14, 2023 by Abhishek Shekhawat
राजस्थान के लोक देवी एंव देवता सूचि
- भोमिया जी को भूमि रक्षक देवता कहा जाता है |
- बांस दूगारी [बूंदी] – तेजा जी की कर्मस्थली है |
- जायल / घोडला – गोगा जी के मुस्लिम पुजारी सांप के जहर के तोड़ के रूप में गोबर की राख व गौमूत्र के प्रयोग की शुरुआत तेजाजी ने की |
- पाबू जी ऐसे लोक देवता माने जाते है जिन्होंने अपनी शादी को बीच में ही छोडकर केसर कालमी घोड़ी पर सवार होकर जींदराव खींची से देवल चारणी की गायो को मुक्त करने हेतु लड़ाई लड़ी व वीर गति को प्राप्त हुए |
- बाबा रामदेव ने पोकरण के आस पास के क्षैत्र में आतंक के पर्याय बन चुके भैरव राक्षस का नाश किया |
- तेजाजी ने अपने वचन की खातिर जीभ पर सर्पदंश करवाकर प्राण त्याग दिए |
- देव बाबा ने धार्मिक विचारो का प्रचार करते हुए पशु चिकित्सा का पर्याप्त ज्ञान प्राप्त किया, विदित रहे इस लोक देवता का मंदिर भरतपुर के नगला जहाज में है |
- मीणा जाति के लोग भुरिया बाबा, गौतमेश्वर की झूठी कसम नही खाते
- निर्गुण निराकर ईश्वर में विश्वास रखने वाले मल्लीनाथ के नाम पर ही बाड़मेर परगने का नाम मालानी पड़ा |
- हरिराम बाबा के गुरु का नाम भूरो बाबा था | गोगा मेंडी की बनावट मकबरे नुमा है |
- मेहावाल जाति के भक्त रिखिया कहलाते है |
- मल्लीनाथ का मेला तिलवाड़ा [बाड़मेर] में भरता है |
- कल्ला जी के गुरु का नाम भैरवनाथ था |
- चौबीस वाणियाँ ग्रन्थ बाबा रामदेव के जीवन से सम्बंधित है | ध्यान रहे लोक देवता रामदेव जी एक देवपुरुष थे जो कवि भी थे |
- रूपनाथ झरडा राजस्थान के ऐसे देवता है जिनको हिमाचल में बालक नाथ के रूप में पूजते है |
राजस्थान के लोक संत व सम्प्रदाय
संत जाम्भोजी विश्नोई सम्प्रदाय के आराध्य है |
- विश्नोई सम्प्रदाय में हिरण को सर्वाधिक महत्व देते हुए इसकी रक्षा की जाती है |
- इस सम्प्रदाय में हरे पेड़ो की कटाई व पशु – हत्या पर रोक लगाई गई |
- गुरु जम्भेश्वर को पर्यावरण वैज्ञानिक सन्त व जांगल प्रदेश का सन्त कहा जाता है |
- गुरु जम्भेश्वर की माता हंसा देवी व पिता लोहर जी थे |
- मूल नाम : धनराज |
- विश्नोई सम्प्रदाय के प्रमुख ग्रन्थ : 1. जम्भ सागर 2. जम्भ संहिता 3. विश्नोई धर्म प्रकाश 4.जम्भ वाणी
संत जसनाथ जी :- जसनाथी सम्प्रदाय के प्रवर्तक |
संत दादूदयाल जी : सन 1574 में सांभर में दादू पंथ की स्थापना की |
संत भाव जी :- निष्कलंक सम्प्रदाय के प्रवर्तक
हरिदास जी :-
धन्ना जी सन्त :-
भक्त शिरोमणि मीरा बाई :–
गवरी बाई:-
संत पीपा जी :-
संत लालदास जी :-
भक्त कवि दुर्लभ :-
सन्त रैदास [रविदास]