मेवाड का इतिहास भाग-2 | RAS | REET | PATWAR

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उदय सिंह

  • मावली का युद्ध – 1540ई.(उदयसिंह v/s बनवीर)
  1. उदयसिंह ने 1559 में उदयपुर की स्थपना की |
  2. उदयसागर झील का निर्माण करवाया |
  3. 1567-68 में अकबर ने चित्तौड़ पर आक्रमण किया |
  4. उदयसिंह गिरवा की पहाडियों में चला गया |
  5. जयमल तथा पत्ता ने चित्तौड़ के किले का मोर्चा संभाला |
  6. 1568 में चित्तौड़ का तीसरा ### हुआ |
  7. फूल ### ने जौहर किया |
  8. जयमल तथा पत्ता के नेतृत्व में केसरिया किया गया |
  9. जयमल ने कल्ला राठौड़ के बन्धो पर बैठकर युद्ध किया |
  10. कल्ला राठौड़ को चार हाथो का देवता कहा जाता है |
  11. अकबर ने चित्तौड़ पर अधिकार कर लिया |
  12. अकबर ने चित्तौड़ में 30,000 लोगो का नर संहार करवा दिया |
  13. अकबर जयमल व पत्ता की वीरता से प्रभावित हुआ तथा अकबर ने जयमल व पत्ता की मूर्तियों आगरा के किले में लगवाई |
  14. यह जानकारी बर्नियर की पुस्तक ट्रेवल्स इन द मुगल एम्पायर से मिलती है |
  15. बीकानेर के जूनागढ़ किले में भी जयमल व पत्ता की मूर्तिया है |
  16. अकबर की बंदूक का नाम – संग्राम
  17. फूल कँवर – जयमल की वहन तथा पत्ता की पत्नि
  18. उदयसिंह की मृत्यू 1572 में गोगुन्दा में
  19. उदयसिंह की छतरी – गोगुन्दा में हो गई |
  20. उदयसिंह ने अपने बड़े बड़े प्रताप को राजा नही बनाया बल्कि छोटे बेटे जगमाल को राजा बनाया |

महाराणा प्रताप – 1572-97(25साल )

  • पिता – उदयसिंह
  • माता – जयवंता बाई सोनगरा
  • जन्म – 9 मई 1540ई.
  • जन्मस्थान – कुम्भलगढ़
  • बचपन का नाम – ###
  • पत्नि – अजवदे पंवार
  • प्रताप का पहला राजतिलक गोगुन्दा में हुआ |
  • सलुंम्बर के कृष्णदास चुण्डावत ने प्रताप का राज्याभिषेक किया (28 फरवरी 1572 – होली के दिन)
  • प्रताप का विधिवत राजतिलक कुम्भलगढ़ में हुआ |
  • माखाड के चन्द्रसेन ने इस राजतिलक समारोह में भाग लिया |
  • अकबर ने प्रताप को समझाने के लिए चार दूत भेजे |
  1. जलाल खां कोरची – 1572
  2. मानसिंह – 1573
  3. भगवन्तदास – 1573
  4. टोडरमल – 1573
  • हल्दीघाटी का युद्ध – 18 जून 1576ई. (अकबर v/s प्रताप)
  • मिहत्तर खां ने युद्ध में अकबर के आने की झूठी सुचना दी |
  • चेतक के घायल होने के कारण प्रताप को युद्ध से बाहर जाना पड़ा |
  • झाला मान (##) ने युद्ध का नेतृत्व किया |
  • मानसिंह प्रताप को अकबर की अधीनता स्वीकार कराने में असफल रहा | इसलिय अकबर ने मानसिंह व आसफ खां का दरबार में आना बंद करवा दिया |

इतिहास कार                      हल्दीघाटी युद्ध का नाम

1.अतुल फजल               ->    खमनौर का युद्ध

2.बंदायुनी                     ->    गोगुन्दा का युद्ध

3.जेम्स टॉड                   ->    मेवाड की थर्मोपाली

4.आदर्शी लाल श्रीवास्तव  ->    बादशाह – बाग़ का युद्ध

  • बंदायुनी ने हल्दीघाटी युद्ध में भाग लिया था |
  1. यह साम्राज्यवादी शक्ति तथा क्षैत्रीय स्वतंत्रता के मध्य युद्ध था |
  2. प्रताप कम संसाधनों के बावजूद अकबर से लड़ा, इससे मेवाड की जनता में आशा व नैतिकता का संचार हुआ |
  3. हल्दीघाटी के युद्ध में मेवाड की साधारण जनता व जनजातियो में राष्ट्रवादी भावनाओ का संचार किया था |
  4. हल्दीघाटी का युद्ध आज भी राष्ट्रवादियो के लिए प्रेरणा स्त्रोत का कार्य करता है |
  • अकबर के हाथी :- 1.मरदाना

2.गजमुक्ता

  • महाराणा प्रताप के हाथी :- 1.लूणा

2.रामप्रसाद (पीरप्रसाद)

  • 1577 में अकबर ने मेवाड पर आक्रमण किया तथा उदयपुर का नाम बदलकर मुहम्मदाबाद कर दिया |
  • कुम्भलगढ़ का युद्ध :- 1577, 1578, 1579

– मुग़ल सेनापति शाहबाज खान ने कुम्भलगढ़ पर तीन बार आक्रमण किया |

  • शेरपुर घटना – 1580 :-

– अमरसिंह ने मुगल सेनापति रहीम की बैगमो को गिरफ्तार कर लिया था, लेकिन प्रताप ने उन्हें सह सम्मान वापस लौटाया |

  • दिबेर का युद्ध – 1582 :-

– प्रताप ने मुग़ल सेना को हरा दिया |

– अमरसिंह ने मुग़ल सेनापति सुल्तान खान को मार दिया था |

– इस युद्ध में ईडर, बांसवाडा, प्रतापगढ़ आदि रियासतों ने प्रताप का साथ दिया था |

– जेम्स टॉड ने इस युद्ध को मेवाड का मेराथन कहा है |

  • 1585 में जगन्नाथ कछवाह ने मेवाड पर आक्रमण किया था | यह अकबर का मेवाड पर अंतिम आक्रमण था |
  • प्रताप ने मालपुरा पर अधिकार कर लिया था | यहा पर प्रताप ने झालरा तालाब व नीलकंठ महादेव मंदिर का निर्माण करवाया था |
  • प्रताप ने चावंड को अपनी राजधानी बनाया तथा चावंड में चामुंडा माता के मंदिर का निर्माण करवाया |
  • चावण्ड से मेवाड की चित्रकला का स्वतंत्र विकास प्राम्भ हुआ |
  • मुख्य चित्रकार – नासिकुद्दीन
  • 19जनवरी 1597 को प्रताप की चावण्ड में मृत्यू हुई |
  • बंड़ोली में प्रताप की 8 खम्भों की छतरी है |
  • दरबारी विध्दान:-

  1. चक्रपाणि मिश्र – 1.राज्याभिषेक

2.मुहूर्त माला

3.विश्व वल्लभ- ### विज्ञान की जानकारी

  1. हेमरत्न सूरी – गौरा बादल री चौपाई
  2. सार्दुलनाथ त्रिवेदी – प्रताप ने इन्हें मंडेर जागीर दी थी |

-यह जानकारी 1588 के उदयपुर अभिलेख से मिलती है |

     4. भामाशाह – इन्होने प्रताप की आर्थिक सहायता की |

     5. ताराचंद – भामाशाह को प्रताप ने अपना प्रधानमंत्री बनाया था |

Que:- प्रताप के व्यक्तित्व की विशेषता बताइए |

  1. जनप्रिय शासक
  2. द्रढ प्रतिज्ञ एवं कर्तव्यनिष्ठ
  3. स्वतंत्रता प्रेमी व सच्चे राष्ट्र भक्त
  4. पराक्रमी योद्धा
  5. भारतीय संस्कृति के रक्षक
  6. छापामार युद्ध प्रणाली के ज्ञाता
  7. अनुशासन प्रिय व कुशल नेतृत्व कर्ता
  8. सभी वर्गों/ जातियों के लोगो आदर
  9. महिलाओं के प्रति सम्मान
  10. पर्यावण प्रेमी
  11. साहित्य को बढावा
  12. चित्रकला को बढावा
  13. विद्वानों का सरंक्षक
  14. जनप्रिय
  15. स्वाभिमानी/ द्रढ प्रतिज्ञ
  16. योद्धा
  17. संगठन निर्माता
  18. नैतिक चरित्रवान
  19. समाज सुधारक
  20. धर्मनिरपेक्ष
  21. कलाप्रेमी
  22. प्रकृति प्रेमी
  23. राष्ट्रवादी
  1. माला सांदू :-
  2. रामा सांदू :-

– चेतक की छतरी बलीचा में है |

– प्रताप ने चित्तौडगढ व मांडलगढ़ को छोड़कर ### मेवाड पर पुन: अधिकार कर लिया था |

  • जहांगीर ने युवराज कर्णसिंह को 5000 का मनसबदार बनाया |
  • जहांगीर ने अमरसिंह तथा कर्णसिंह की मुर्तिया आगरा के किले में लगवाई |
  • अमरसिंह इस संधि से निराश था वह नौचौकी नामक स्थान पर जाकर रहने लगा | कालांतर में यहाँ पर राजसमन्द झील का निर्माण किया गया |

कर्णसिंह  (1620-1628)

  • उदयपुर में जगमंदिर महलो का निर्माण शुरू करवाया |
  • खुर्रम (शाहजहाँ) अपने विद्रोह के दौरान जगमंदिर महलो में रुका |
  • उदयपुर में दिल खुश तथा कर्ण विलास महलो का निर्माण करवाया |       

जगतसिंह – I (1628-52)

  • जगमंदिर महलो का निर्माण पूरा करवाया |
  • उदयपुर में जगदीश मंदिर (जगन्नाथ राय मंदिर) का निर्माण करवाया | इसे सपने में बना मंदिर कहा जाता है |

    वास्तुकार – 1.अर्जुन

2.भाणा

3.मुकुन्द

  • जगन्नाथ राय प्रशक्ति के लेखक – कृष्ण भट्ट

अमरसिंह प्रथम (1597-1620)

  • मुगल मेवाड संधि:- 5 फरवरी 1615ई. [इस संधि का वर्णन टॉमस रो ने किया है] [जहांगीर + अमरसिंह- I ]

                                   – अमरसिंह ने यह संधि युवराज कर्ण सिंह के दबाव में की थी |

हरिदास व शुभकरण मेवाड की तरफ से संधि का प्रस्ताव लेकर गये |

मुगलों की तरफ से खुर्रम (शाहजहाँ) ने संधि की |

  • संधि की शर्ते :-
  1. मेवाड का राणा मुगल दरबार में नही जायेगा |
  2. मेवाड का युवराज मुगल दरबार में जायेगा |
  3. चित्तौड़ का किला मेवाड को वापस दिया जायेगा लेकिन मेवाड का राणा उसका पुननिर्माण नही करवा सकता |
  4. मेवाड मुगलों को 1000 घुडसवारों की सहायता देगा |
  5. वैवाहिक सम्बंध स्थापित नही किये जायगे |
  • संधि का महत्व:-
  1. सांगा तथा प्रताप के समय से चली आ रही स्वतंत्रता की भावना का पतन हुआ |
  2. संधि के कारण मेवाड में शांतिपूर्ण वातावरण स्थापित हुआ जिससे कलात्मक गतिविधियों को बढावा मिला |
  3. जगन्नाथ राय प्रशस्ति हल्दीघाटी युद्ध की जानकारी देती है |
  4. उदयपुर में नौजूबाई मंदिर का निर्माण करवाया | नौजूबाई जगत सिंह की धाय माँ थी |
  5. जगतसिंह- I अपनी दानवीरता के लिए प्रसिद्ध था |

राजसिंह (1652-80)

  • चित्तौड़ का पुननिर्माण आरम्भ करवाया तथा शाहजहाँ के खिलाफ आक्रमक नीति अपनाई|
  • उत्तराधिकार संघर्ष में राजसिंह ने औरंगजेब का समर्थन किया था |
  • इस समय राज सिंह ने टीका दौड़ का आयोजन करवाया तथा कही मुग़ल क्षैत्रो पर अधिकार कर लिए |
  • औरंगजेब के खिलाफ जोधपुर के अजीत सिंह का समर्थन किया इसे राठौड़ – सिसोदिया गठबंधन कहा जाता है |
  • इसने औरंगजेब के खिलाफ हिन्दू- देवी देवताओ की मूर्तियों की रक्षा की |
  • औरंगजेब के खिलाफ हिन्दू राजकुमारीयो की रक्षा की | जैसे – रूपनगढ़ की राजकुमारी चारुमती |
  • सहल कँवर:-

– सलुम्बर के रतन सिंह चुण्डावत की हाड़ी रानी थी | अपने पति द्वारा निशानी मांगने पर अपना सिर काटकर दे दिया था |

– मेघराज मुकुल की कविता – सैनाणी हाडी रानी सहल कँवर का वर्णन |

  • राजसिंह की सांस्कृतिक उपलब्धियाँ:-

मंदिर:- 1.श्रीनाथ जी का मंदिर – सिहाड़ (नाथद्वारा) राजसमंद

2. द्वारिकाधीश मंदिर – कांकरोली राजसमंद

3.अम्बामाता मंदिर – उदयपुर

        झील:-

  1. राजसमंद झील (1662 में)
  2. त्रिमुखी बावड़ी उदयपुर
  3. जानासागर तालाब उदयपुर

दरबारी विध्दान:-

  1. किशोरदास – राजप्रकास
  2. सदाशिव भट्ट – राज रत्नाकर
  3. रणछोड़ भट्ट तैलंग – 1. राज प्रशस्ति

2. अमर दाव्य वंशावलि

       राजसिंह की उपलब्धियाँ:-

  1. विजय कटकातु
  2. हाइड्रोलिक ###

       राज प्रशस्ति:-

  • लेखक – रणछोड़ भट्ट तेलग
  1. राजसमन्द झील के पास नौचौकी नामक स्थान पर स्थित है |
  2. यह 25 पत्थरों पर लिखी गई है |
  3. यह भारत का संस्कृत का सबसे बड़ा अभिलेख है |
  4. बप्पा रावल से लेकर राजसिंह तक के मेवाड के राजाओ की जानकारी है |
  5. यह मुगल-मेवाड संधि की जानकारी देती है |
  6. इसमें शक्ति सिंह (प्रताप का छोटा भाई) का वर्णन है |
  7. इस प्रशस्ति में अकाल राहत कार्यो का वर्णन है |(1662-1676)

      अमर काव्य वंशावलि :-

  • इसमें शक्ति सिंह तथा चेतक की जानकारी है |
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