उदय सिंह
- मावली का युद्ध – 1540ई.(उदयसिंह v/s बनवीर)
- उदयसिंह ने 1559 में उदयपुर की स्थपना की |
- उदयसागर झील का निर्माण करवाया |
- 1567-68 में अकबर ने चित्तौड़ पर आक्रमण किया |
- उदयसिंह गिरवा की पहाडियों में चला गया |
- जयमल तथा पत्ता ने चित्तौड़ के किले का मोर्चा संभाला |
- 1568 में चित्तौड़ का तीसरा ### हुआ |
- फूल ### ने जौहर किया |
- जयमल तथा पत्ता के नेतृत्व में केसरिया किया गया |
- जयमल ने कल्ला राठौड़ के बन्धो पर बैठकर युद्ध किया |
- कल्ला राठौड़ को चार हाथो का देवता कहा जाता है |
- अकबर ने चित्तौड़ पर अधिकार कर लिया |
- अकबर ने चित्तौड़ में 30,000 लोगो का नर संहार करवा दिया |
- अकबर जयमल व पत्ता की वीरता से प्रभावित हुआ तथा अकबर ने जयमल व पत्ता की मूर्तियों आगरा के किले में लगवाई |
- यह जानकारी बर्नियर की पुस्तक ट्रेवल्स इन द मुगल एम्पायर से मिलती है |
- बीकानेर के जूनागढ़ किले में भी जयमल व पत्ता की मूर्तिया है |
- अकबर की बंदूक का नाम – संग्राम
- फूल कँवर – जयमल की वहन तथा पत्ता की पत्नि
- उदयसिंह की मृत्यू 1572 में गोगुन्दा में
- उदयसिंह की छतरी – गोगुन्दा में हो गई |
- उदयसिंह ने अपने बड़े बड़े प्रताप को राजा नही बनाया बल्कि छोटे बेटे जगमाल को राजा बनाया |
महाराणा प्रताप – 1572-97(25साल )
- पिता – उदयसिंह
- माता – जयवंता बाई सोनगरा
- जन्म – 9 मई 1540ई.
- जन्मस्थान – कुम्भलगढ़
- बचपन का नाम – ###
- पत्नि – अजवदे पंवार
- प्रताप का पहला राजतिलक गोगुन्दा में हुआ |
- सलुंम्बर के कृष्णदास चुण्डावत ने प्रताप का राज्याभिषेक किया (28 फरवरी 1572 – होली के दिन)
- प्रताप का विधिवत राजतिलक कुम्भलगढ़ में हुआ |
- माखाड के चन्द्रसेन ने इस राजतिलक समारोह में भाग लिया |
- अकबर ने प्रताप को समझाने के लिए चार दूत भेजे |
- जलाल खां कोरची – 1572
- मानसिंह – 1573
- भगवन्तदास – 1573
- टोडरमल – 1573
- हल्दीघाटी का युद्ध – 18 जून 1576ई. (अकबर v/s प्रताप)
- मिहत्तर खां ने युद्ध में अकबर के आने की झूठी सुचना दी |
- चेतक के घायल होने के कारण प्रताप को युद्ध से बाहर जाना पड़ा |
- झाला मान (##) ने युद्ध का नेतृत्व किया |
- मानसिंह प्रताप को अकबर की अधीनता स्वीकार कराने में असफल रहा | इसलिय अकबर ने मानसिंह व आसफ खां का दरबार में आना बंद करवा दिया |
इतिहास कार हल्दीघाटी युद्ध का नाम
1.अतुल फजल -> खमनौर का युद्ध
2.बंदायुनी -> गोगुन्दा का युद्ध
3.जेम्स टॉड -> मेवाड की थर्मोपाली
4.आदर्शी लाल श्रीवास्तव -> बादशाह – बाग़ का युद्ध
- बंदायुनी ने हल्दीघाटी युद्ध में भाग लिया था |
- यह साम्राज्यवादी शक्ति तथा क्षैत्रीय स्वतंत्रता के मध्य युद्ध था |
- प्रताप कम संसाधनों के बावजूद अकबर से लड़ा, इससे मेवाड की जनता में आशा व नैतिकता का संचार हुआ |
- हल्दीघाटी के युद्ध में मेवाड की साधारण जनता व जनजातियो में राष्ट्रवादी भावनाओ का संचार किया था |
- हल्दीघाटी का युद्ध आज भी राष्ट्रवादियो के लिए प्रेरणा स्त्रोत का कार्य करता है |
- अकबर के हाथी :- 1.मरदाना
2.गजमुक्ता
- महाराणा प्रताप के हाथी :- 1.लूणा
2.रामप्रसाद (पीरप्रसाद)
- 1577 में अकबर ने मेवाड पर आक्रमण किया तथा उदयपुर का नाम बदलकर मुहम्मदाबाद कर दिया |
- कुम्भलगढ़ का युद्ध :- 1577, 1578, 1579
– मुग़ल सेनापति शाहबाज खान ने कुम्भलगढ़ पर तीन बार आक्रमण किया |
- शेरपुर घटना – 1580 :-
– अमरसिंह ने मुगल सेनापति रहीम की बैगमो को गिरफ्तार कर लिया था, लेकिन प्रताप ने उन्हें सह सम्मान वापस लौटाया |
- दिबेर का युद्ध – 1582 :-
– प्रताप ने मुग़ल सेना को हरा दिया |
– अमरसिंह ने मुग़ल सेनापति सुल्तान खान को मार दिया था |
– इस युद्ध में ईडर, बांसवाडा, प्रतापगढ़ आदि रियासतों ने प्रताप का साथ दिया था |
– जेम्स टॉड ने इस युद्ध को मेवाड का मेराथन कहा है |
- 1585 में जगन्नाथ कछवाह ने मेवाड पर आक्रमण किया था | यह अकबर का मेवाड पर अंतिम आक्रमण था |
- प्रताप ने मालपुरा पर अधिकार कर लिया था | यहा पर प्रताप ने झालरा तालाब व नीलकंठ महादेव मंदिर का निर्माण करवाया था |
- प्रताप ने चावंड को अपनी राजधानी बनाया तथा चावंड में चामुंडा माता के मंदिर का निर्माण करवाया |
- चावण्ड से मेवाड की चित्रकला का स्वतंत्र विकास प्राम्भ हुआ |
- मुख्य चित्रकार – नासिकुद्दीन
- 19जनवरी 1597 को प्रताप की चावण्ड में मृत्यू हुई |
- बंड़ोली में प्रताप की 8 खम्भों की छतरी है |
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दरबारी विध्दान:-
- चक्रपाणि मिश्र – 1.राज्याभिषेक
2.मुहूर्त माला
3.विश्व वल्लभ- ### विज्ञान की जानकारी
- हेमरत्न सूरी – गौरा बादल री चौपाई
- सार्दुलनाथ त्रिवेदी – प्रताप ने इन्हें मंडेर जागीर दी थी |
-यह जानकारी 1588 के उदयपुर अभिलेख से मिलती है |
4. भामाशाह – इन्होने प्रताप की आर्थिक सहायता की |
5. ताराचंद – भामाशाह को प्रताप ने अपना प्रधानमंत्री बनाया था |
Que:- प्रताप के व्यक्तित्व की विशेषता बताइए |
- जनप्रिय शासक
- द्रढ प्रतिज्ञ एवं कर्तव्यनिष्ठ
- स्वतंत्रता प्रेमी व सच्चे राष्ट्र भक्त
- पराक्रमी योद्धा
- भारतीय संस्कृति के रक्षक
- छापामार युद्ध प्रणाली के ज्ञाता
- अनुशासन प्रिय व कुशल नेतृत्व कर्ता
- सभी वर्गों/ जातियों के लोगो आदर
- महिलाओं के प्रति सम्मान
- पर्यावण प्रेमी
- साहित्य को बढावा
- चित्रकला को बढावा
- विद्वानों का सरंक्षक
- जनप्रिय
- स्वाभिमानी/ द्रढ प्रतिज्ञ
- योद्धा
- संगठन निर्माता
- नैतिक चरित्रवान
- समाज सुधारक
- धर्मनिरपेक्ष
- कलाप्रेमी
- प्रकृति प्रेमी
- राष्ट्रवादी
- माला सांदू :-
- रामा सांदू :-
– चेतक की छतरी बलीचा में है |
– प्रताप ने चित्तौडगढ व मांडलगढ़ को छोड़कर ### मेवाड पर पुन: अधिकार कर लिया था |
- जहांगीर ने युवराज कर्णसिंह को 5000 का मनसबदार बनाया |
- जहांगीर ने अमरसिंह तथा कर्णसिंह की मुर्तिया आगरा के किले में लगवाई |
- अमरसिंह इस संधि से निराश था वह नौचौकी नामक स्थान पर जाकर रहने लगा | कालांतर में यहाँ पर राजसमन्द झील का निर्माण किया गया |
कर्णसिंह (1620-1628)
- उदयपुर में जगमंदिर महलो का निर्माण शुरू करवाया |
- खुर्रम (शाहजहाँ) अपने विद्रोह के दौरान जगमंदिर महलो में रुका |
- उदयपुर में दिल खुश तथा कर्ण विलास महलो का निर्माण करवाया |
जगतसिंह – I (1628-52)
- जगमंदिर महलो का निर्माण पूरा करवाया |
- उदयपुर में जगदीश मंदिर (जगन्नाथ राय मंदिर) का निर्माण करवाया | इसे सपने में बना मंदिर कहा जाता है |
वास्तुकार – 1.अर्जुन
2.भाणा
3.मुकुन्द
- जगन्नाथ राय प्रशक्ति के लेखक – कृष्ण भट्ट
अमरसिंह प्रथम (1597-1620)
- मुगल मेवाड संधि:- 5 फरवरी 1615ई. [इस संधि का वर्णन टॉमस रो ने किया है] [जहांगीर + अमरसिंह- I ]
– अमरसिंह ने यह संधि युवराज कर्ण सिंह के दबाव में की थी |
– हरिदास व शुभकरण मेवाड की तरफ से संधि का प्रस्ताव लेकर गये |
– मुगलों की तरफ से खुर्रम (शाहजहाँ) ने संधि की |
- संधि की शर्ते :-
- मेवाड का राणा मुगल दरबार में नही जायेगा |
- मेवाड का युवराज मुगल दरबार में जायेगा |
- चित्तौड़ का किला मेवाड को वापस दिया जायेगा लेकिन मेवाड का राणा उसका पुननिर्माण नही करवा सकता |
- मेवाड मुगलों को 1000 घुडसवारों की सहायता देगा |
- वैवाहिक सम्बंध स्थापित नही किये जायगे |
- संधि का महत्व:-
- सांगा तथा प्रताप के समय से चली आ रही स्वतंत्रता की भावना का पतन हुआ |
- संधि के कारण मेवाड में शांतिपूर्ण वातावरण स्थापित हुआ जिससे कलात्मक गतिविधियों को बढावा मिला |
- जगन्नाथ राय प्रशस्ति हल्दीघाटी युद्ध की जानकारी देती है |
- उदयपुर में नौजूबाई मंदिर का निर्माण करवाया | नौजूबाई जगत सिंह की धाय माँ थी |
- जगतसिंह- I अपनी दानवीरता के लिए प्रसिद्ध था |
राजसिंह (1652-80)
- चित्तौड़ का पुननिर्माण आरम्भ करवाया तथा शाहजहाँ के खिलाफ आक्रमक नीति अपनाई|
- उत्तराधिकार संघर्ष में राजसिंह ने औरंगजेब का समर्थन किया था |
- इस समय राज सिंह ने टीका दौड़ का आयोजन करवाया तथा कही मुग़ल क्षैत्रो पर अधिकार कर लिए |
- औरंगजेब के खिलाफ जोधपुर के अजीत सिंह का समर्थन किया इसे राठौड़ – सिसोदिया गठबंधन कहा जाता है |
- इसने औरंगजेब के खिलाफ हिन्दू- देवी देवताओ की मूर्तियों की रक्षा की |
- औरंगजेब के खिलाफ हिन्दू राजकुमारीयो की रक्षा की | जैसे – रूपनगढ़ की राजकुमारी चारुमती |
- सहल कँवर:-
– सलुम्बर के रतन सिंह चुण्डावत की हाड़ी रानी थी | अपने पति द्वारा निशानी मांगने पर अपना सिर काटकर दे दिया था |
– मेघराज मुकुल की कविता – सैनाणी हाडी रानी सहल कँवर का वर्णन |
- राजसिंह की सांस्कृतिक उपलब्धियाँ:-
मंदिर:- 1.श्रीनाथ जी का मंदिर – सिहाड़ (नाथद्वारा) राजसमंद
2. द्वारिकाधीश मंदिर – कांकरोली राजसमंद
3.अम्बामाता मंदिर – उदयपुर
झील:-
- राजसमंद झील (1662 में)
- त्रिमुखी बावड़ी उदयपुर
- जानासागर तालाब उदयपुर
दरबारी विध्दान:-
- किशोरदास – राजप्रकास
- सदाशिव भट्ट – राज रत्नाकर
- रणछोड़ भट्ट तैलंग – 1. राज प्रशस्ति
2. अमर दाव्य वंशावलि
राजसिंह की उपलब्धियाँ:-
- विजय कटकातु
- हाइड्रोलिक ###
राज प्रशस्ति:-
- लेखक – रणछोड़ भट्ट तेलग
- राजसमन्द झील के पास नौचौकी नामक स्थान पर स्थित है |
- यह 25 पत्थरों पर लिखी गई है |
- यह भारत का संस्कृत का सबसे बड़ा अभिलेख है |
- बप्पा रावल से लेकर राजसिंह तक के मेवाड के राजाओ की जानकारी है |
- यह मुगल-मेवाड संधि की जानकारी देती है |
- इसमें शक्ति सिंह (प्रताप का छोटा भाई) का वर्णन है |
- इस प्रशस्ति में अकाल राहत कार्यो का वर्णन है |(1662-1676)
अमर काव्य वंशावलि :-
- इसमें शक्ति सिंह तथा चेतक की जानकारी है |