कालीबंगा :
- राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में घग्गर नदी के किनारे स्थित |
- 1951 में अमलानन्द घोष ने खोज की बाद में 1961 से लेकर दस वर्ष वी.के.थापर व बी.बी. लाल के निर्देशन में उत्खनन कार्य जरी रहा |
- उत्खनन में दो टीले मिले है जिनमे छोटे टीले से प्राप्त अवशेष यहाँ प्राक हडप्पा सभ्यता की और इंगित करते है |
- कालीबंगा सभ्यता लगभग 4000ई.पू. अस्तित्व में थी जिनका सम्बन्ध दृषद्वती व सरस्वती नदी से था |
- कालीबंगा सिन्धु भावा का शब्द है | पंजाबी भाषा में बंगा चुडियों को कहा जाता है |
- कालीबंगा से दो संस्कृतियो के अवशेष मिले है – 1. प्राक हडप्पा संस्कृति हडप्पा युगीन संस्कृति
- प्राक हडप्पा काल में संस्कृति एक परकोटे से सुरक्षित की गई थी जिसमे कच्ची ईटो का प्रयोग किया गया |
- भवन निर्माण के लिए कच्ची ईटों का व नालिया व #### निर्माण में पक्की ईटों का प्रयोग होता था |
- उत्खनन में जुते हुए खेत, घीया, पत्थर, शंख की चुड़ी, बैल की खण्डित मूर्ति, पत्थर के सिलबट्टे, मिट्टी की गेंद आदि प्राप्त हुए है |
- गेहूं व जौ फसले उगाई जाती थी |
- विदित रहे दृषद्वती – सरस्वती का नवीन रूप घग्गर – हकरा कहलाता है |
- मोहन जोदड़ो हडप्पा के बाद कालीबंगा हडप्पा सभ्यता का तीसरा सबसे बड़ा नगर था |
- ताम्र निर्मित औजार, हथियार मिलने से यह स्पष्ट होता है की अब पत्थर युग की जगह ताम्रयुग शुरू हो गया था |
- कालीबंगा एक योजनाबध्द तरीके से बसाया गया नगर था जहाँ सदके एक दुसरे को समकोण पर काटती थी |
- भवनों के द्वार गली की सडक की तरफ खुलते थे | सडको के दोनों तरफ पक्की इंटो की बनी नालिया थी |
- घरो के द्वार पर एक ही फाटक होता था; मकानों के फर्श पर प्लास्टर किया जाता था; छतो का पानी निकालने हेतू लकड़ी निर्मित नाली का प्रयोग किया जाता था |
- समाज में कई पेशेवर लोग होते थे यथा पुरोहित, कुम्हार, चिकित्सक, बढ़ई, दस्तकार, व्यापारी, सुनार इत्यादि |
- धार्मिक उत्सव व त्यौहार धूमधाम से मनाये जाते थे |
- लोग मांसाहारी व शाकाहारी दोनों होते थे | भेड़, बकरी, कछुआ, सूअर, हिरण, मछली, मुर्गे के मांस का प्रयोग होता था |
- उत्खनन में प्राप्त अग्निवेदिकाऐ यह स्पष्ट करती है की बलि प्रथा का प्रचलन था | वेदिकाओ के पास हड्डियों के टुकड़े मिले है |
- उत्खनन में प्राप्त शवो के पास मिले आभूषण, दर्पण, मणके, खाद्य सामग्री से यह अनुमान लगाया जाता है की व सम्भवत: मृत्योपरांत जीवन में विश्वास करते थे |
- कालीबंगा के निवासी भेड़, बकरी, गाय, बैंस, बैल, भैंसा, सूअर, ऊँट,व कुत्ता पालते थे |
- कृषक कार्य में सिंचाई हेतू वर्षा व नदी के जल पर निर्भर थे |
- उत्खनन में प्राप्त अवशेषों के आधार पर यह कहा जा सकता है की शिल्पकला व मृदमांड #### विकसित अवस्था में थे |
- उत्खनन में प्राप्त अवशेषों [कर्णफुल, बालियाँ, पिन, चूड़ियाँ, मणको की माला, अंगूठी वगैरह] के आधार पर पता चलता है की कालीबंगा निवासी प्रसाधन प्रेमी थे | एक शव के पास ताम्र दर्पण व कुण्डल मिला है |
- खुदाई में मिट्टी पर बनी कुछ मोहरे प्राप्त हुई है जिन पर बैल व अन्य पशु के चित्र बने हुए है |
- इन मोहरों पर कुछ लिखा हुआ है जिन्हें अभी तक पढ़ा नही गया है | यह लिपि दायें से बाऐ लिखी जाती थी |
- उत्खनन में पत्थर निर्मित तौलने के बाद भी मिले है |
- कालीबंगा सभ्यता 4000ई.पू. से भी प्राचीन मानी जाती है |
- कालीबंगा हनुमानगढ़ जिले [राजस्थान] की पीलीबंगा तहसील में एक गावं है |
- हनुमानगढ़ जिले की नोहर व भादरा तहसीले प्राचीन दृषद्वती व सरस्वती नदियों का संगम था |