राजस्थान के अलग अलग शहरों, कस्बों व गाँवो मे अनेक प्रकार के हस्तनिर्मित पदार्थ बनाऐ जाते है। राज्य स्तर के प्रतियोगी परीक्षाओं यथा REET , पटवार, कृषि पर्यवेक्षक इत्यादि मे इनसे जुड़े कई प्रश्न आते है। अत: सभी उम्मीदवार ध्यानपूर्वक इनका अध्ययन करे। प्रस्तुत है ऐसे कुछ परीक्षापयोगी नोट्स:
जयपुर अनेक हस्तकला
उद्योग का केन्द्र है यथा-
1.जरी 2. संगमरमर मूतियाँ 3. ढाबू, ठप्पा – बगरू कस्बा, 4. जस्ते की मूर्ति, 5. हाथी दांत की चूड़ियाँ 6. ओढनी, लहरीया, चुनरीयाँ 7. ब्ल्यू पॉटरी, 8. कठपुतली, 9. कोफता कला, 10. मीनाकारी, 11. कुन्दन कार्य 12. सांगानेरी प्रिन्ट एवं बगरू प्रिन्ट 13. हाथी दांत की कलात्मक चूड़ियाँ 14. बेलबूटों की छपाई की पारम्परीक कला व काली लाल छपाई हेतू प्रसिद्ध स्थान – बगरू ।
बाड़मेर के हस्तकला उद्योग –
- अजरक प्रिन्ट 2. मलीर प्रिन्ट 3. बकरी के बालों से निर्मित जट पटियों का केन्द्र – जसोल ( बाड़मेर ), 4. लकडी पर पीपल की जड़ाई व नक्काशी का केन्द्र – गाँव सूरा [बाड़मेर]
कोटा के हस्तकला उधोग : 1. राजस्थान मे सूत व सिल्क के डोरिया हेतू प्रसिद्ध केन्द्र – कैथुन [कोटा], 2. ब्लेक पॉटरी,
अलवर के हस्तकला उद्योग : 1. कागजी पॉटरी, 2. संगमरमर मूर्तिया, 3. तहनिशा
बीकानेर के हस्तकला उद्योग : 1. सुराही, 2. मथैरणा, 3. ऊनी कम्बल व कालीन, 4. ऊँट की खाल पर स्वर्ण नक्काशी, 5. कूपी ऊँट की खाल से बना पात्र
जैसलमेर हस्तकला उद्योग : 1. बरड़ी, 2. पट्टू, 3. दर्पण, 4. ऊनी कम्बल व कालीन
जोधपुर के हस्तकला उद्योग : 1. बादला, 2. मौठड़े, 3. बटवे, 4. हाथी दाँत की चूड़ियाँ, 5. सालावास कला, 6. मोचडी, 7. ओढनी लहरिया, 8. काँच का समान
- विवाह के अवसर पर दी जाने वाली गालियां सीठणे कहलाती है।
- गोरबंद, मोरखा, तंग व पिलाण ऊँट के सजावट मे काम आने वाली वस्तुऐ हैं।
- राजस्थान मे प्रचलित ब्ल्यू पॉटरी की जननी पर्शिया [इरान] है।
- अलवर जिले मे स्थित किशोरी गाँव संगमरमर की कलाकृतियों व मूर्तियों के लिऐ प्रसिद्ध है।
- पारम्परिक मैण छपाई का काम सवाई माधोपुर जिले मे होता है।
- काँच पर सोने का सूक्ष्म चिंत्राकन ही थेवाकला है।
- अशौक गौड एक ऐसा राजस्थानी कलाकार है जिसके द्वारा निर्मित कांसे की एक कलाकृति हौलेण्ड़ के शहर राटडम मे लगाई गई है।
- पीतल के बर्तन पर मुरादाबादी काम जयपुर शहर मे होता है।
- गाँव मऊ [ श्री माधोपुर – सीकर ] निवासी श्री कृपाल सिंह शेखावत को ब्ल्यू पॉटरी हेतू पद्म श्री से सम्मानित किया ।
- हस्तकला की वस्तुओं मे सर्वाधिक निर्यात हीरे आभूषण व जवारत का होता है।
- जैसलमेर, बाड़मेर क्षैत्र मे हेतू प्रयुक्त कशिदाकारी की हुई बिछोनी को राली कहते है।
- पाटोदा का लूगड़ा शेखावाटी क्षैत्र मे प्रसिद्ध है।
- ठप्पे द्वारा दबाकर वस्त्रों पर की जाने वाली छपाई की विधि को दाबू प्रिन्ट कहते है।
- राजस्थान मे मंसूरिया के लिए मांगरोल, बांरा विख्यात है।
- सलमा सितारों व गोटा किनारों का काम खण्डेला [सीकर] मे होता है।
- कपड़े पर डिजायन बनाकर बारिक धागों से छोटी छोटी गांठे बांधना नग बांधना कहलाता है।
- मिट्टी को महलनुमा आकृति को वील कहते है।
- आरडू पेड की लकड़ी कठपुतली बनाने के काम आती है।
- तारकशी के जेवर का काम नाथद्वारा [राजसमंद] मे होता है।
- खेल सामग्री का निर्माण हनुमानगढ मे होता है
- सूंघनी नसवार का निर्माण ब्याावर मे होता है ।
- शेखावाटी के हस्तकला उधोग: 1. पेंचवर्क, 2. पीला पोमची, 3. चटापटी
- जिला चित्तौड़गढ: 1. बस्सी – काष्ठ कला का सर्वोत्तम कार्य होता है, 2. आकोला – दाबू प्रिन्ट का सर्वोत्तम कार्य 3. बस्सी – कावड़, देवाण, बेवाण ।
- जयपुर राजधराने ने ब्ल्यू पॉटरी को कॉफी महत्व दिया ।
- मिट्टी की मूर्तियों के निर्माण हेतू राजसमंद जिले का मोलेला स्थान प्रसिद्ध है।
- बंधेज का कार्य ज्यादा शेखावाटी मे होता है।
- दरियों का निर्माण सालावास [जोधपुर], टाँकला [नागौर] मे होता है।
- पाली जिले का फालना कस्बा टी.वी. रेडियों व छाता [अम्ब्रेला] के लिऐ ख्यात है।
- खसले लेटा [जालौर], पोकरण व नमदे टोंक मे निर्मित होते है।
- लोकदेवता को जिस कपड़े पर चित्रित किया जाता है उसे फड़ कहते है । फड़ का निर्माण शाहपुरा [भीलवाड़ा] मे होता है।