लोक देविया राजस्थान G.K हेतू महत्वपूर्ण नोटस REET | PATWARI

WhatsApp
Telegram
Facebook
Twitter

राजस्‍थान अनेक साधु- सन्‍तो की जन्‍म भूमि व तपो भूमि रही है। अत: इन सन्‍तो ने अनेक सम्‍प्रदाय चलाऐ तथा साथ ही साथ समाज सुधार के भी अने‍क कार्य किऐ। उक्‍त शीषर्क महत्‍वपूर्ण बिन्‍दू है अत: अभ्यर्थि इन सभी तथ्‍यों को कण्‍ठस्‍थ करले।

लोक देवी

  • बिना पति के सती होने वाली माता – घेवरमाता,[राजसमंद]
  • सफेद चुहों की देवी – करणी माता,देशनोक [बीकानेर]
  • कुंवारी कन्या का मंदिर – दिलबाड़ा [सिरोही]
  • शीतला माता मंदिर – चाकसू [जयपुर]
  • हिंगलाज माता मंदिर – लोद्रवा [जैसलमेर]
  • जोगणिया माता मंदिर – भीलवाड़ा
  • शाकम्भरी माता मंदिर – उदयपुर वाटी [झुंझुनू]
  • ज्वाला माता मंदिर – जोबनेर [जयपुर]
  • कैवाय माता मंदिर – किणसरिया [नागौर]
  • सच्चियाय माता मंदिर – ओसिया [जोधपुर]
  • चौथ माता मंदिर – चौथ का बरवाड़ा [सवाई माधोपुर]
  • भँवाल माता मंदिर – भँवाल [नागौर]
  • सुन्धा माता मंदिर – सुन्धा पर्वत [जालौर]
  • सुभद्रा माता मंदिर – भाद्राजून [जालौर]
  • आशापुरा माता मंदिर – दुर्ग [जालौर]
  • राणी भटियाणी मंदिर – जसोल [बाडमेर]
  • रवीमल माता मंदिर – बंसतगढ [सिरोही]
  • आवरी माता मंदिर – निकुम़्भ [चितौड़गढ़]
  • तनोट माता मंदिर – तनोट [जैसलमेर]
  • त्रिपुरा सुन्दरी – तलवाड़ा [बांसवाडा]
  • छिंच माता मंदिर – [बांसवाडा]
  • लटियाल भवानी मंदिर – फलौदी [जोधपुर]
  • भद्रकाली माता मंदिर – [हनुमानगढ़]
  • खोडियार देवी मंदिर – खोडाल लोंगवाला [जैसलमेर]
  • मरकण्डी माता मंदिर – निमाज [पाली]
  • चारभुजा देवी मंदिर – खमनौर [राजसमन्द]
  • दधिमति माता मंदिर – गोठ मांगलोद [नागौर]
  • सायर माता मंदिर – दांतारामगढ [सीकर]
  • बीजवा बाईसा मंदिर – आसपुर [डूंगरपुर]
  • शिला देवी माता मंदिर – आमेर [जयपुर]
  • नागणेची माता मंदिर – [जोधपुर]
  • इया माता मंदिर – गामेड़ी [उदयपुर]
  • स्वागियां माता मंदिर – गजरूप सागर [जैसलमेर]
  • मनसा देवी मंदिर – [चुरू]
  • शाकम्भरी माता मंदिर – सांभर [जयपुर]
  • हिचकी माता मंदिर – सनवाड़ा [सवाईमाधोपुर]
  • महामाया माता मंदिर – [उदयपुर]
  • पिपलाज माता मंदिर – लालसोट [दौसा]
  • धूणी माता मंदिर – डबोक [उदयपुर]
    जमवाय माता मंदिर – जमवायरामगढ [जयपुर]
  • नारायणी माता मंदिर – बरवा डूँगरी [अलवर]
  • विरात्रा माता मंदिर – चैहटन [बाडमेर]
  • हर्षद माता मंदिर – आभानेरी [दौसा]
  • चामुण्डा माता मंदिर – मेहरानगढ दुर्ग, [जोधपुर]
  • कैला देवी का मंदिर – कैला देवी [करोली]
  • अर्बूदा देवी का मंदिर – आबू [सीरोही]
  • जीण माता मंदिर – हर्ष पर्वत [सीकर]
  • आईनाथ माता मंदिर – [जोधपुर]
  • आमजा माता मंदिर – कैलवाड़ा [उदयपुर]
  • शिवाजी की कुलदेवी – तुलजा भवान
  • राठौड़ो की कुलदेवी – करणी मात देशनोक [बीकानेर]
  • करणी माता के मंदिर मे पाये जाने वाले सफेद चुहे को काबा कहा जाता है।
  • किस जाति के लोग काबा को अपना पूर्वज मानते है – चारण जाति।
  • जीण माता की तांती बांधने से बीमार व्यक्ति भी स्वस्थ हो जाता है,ऐसी मान्यता है।
  • बिस्सा जाति – राजस्थान की एक ऐसी जाति जिसमे विवाहिता वधु मेंहदी नहीं लगा सकती।
  • तनोट माता को राजस्थान मे सैनिकों की देवी कहा जाता है।
  • जीण माता को मधुमक्खियों की देवी भी कहा जाता है। औरंगजेब जीण माता के मंदिर को नहीं तोड़ पाया था।
  • चामुण्डा माता – जोधपुर गुर्जर-प्रतिहार वंश की कुल देवी मानी जाती है।
  • जोधपुर दुर्ग की नींव करणी माता ऋद्धि बाई, ने रखी ।
  • इडाणा माता – उदयपुर के सम्बन्ध मे मान्यता है कि ये अग्नि स्नान करती है।
  • माता राणी सती का वास्तविक नाम नारायणी बाई है।
  • शीतल माता की पूजा खण्डित रूप मे की जाती है।
  • शीतला माता का वाहन गधा होता है।
  • सिरवी जाति मे आई माता के मंदिर को दरगाह कहा जाता है।
  • मान्यता है कि भदाणा माता कोटा, नूठ के झपट मे आऐ व्यक्ति को भी मौत के मुँह से बचा लेती है।
  • स्वांगिया माता – जैसलमेर के भाटी शासकों की कुल देवी।
  • मेदरी देवी महोदरी देवी, जालौर के सोनगरा चैहनों की कुल देवी।
  • ज्वाला देवी – खंगारोत राजपुतों की कुल देवी।
  • आशापुरा,जालौर – नाडोल पाली, के चैहनों की कुल देवी।
  • शाकम्भरी देवी – सांभर जयपुर, व अजमेर के चैहनों की कुल देवी।
  • नागणेची माता – जोधपुर के शासकों की कुलदेवी।
  • करणी माता – बीकानेर के राठौड़ शासकों की कुल देवी।
  • सकराय माता उदयपुर वाटी – झुझुनू, खण्डेलवालों की कुल देवी।
  • सच्चियाय माता – औसियां जोधपुर, ओसवालों की कुल देवी।
  • आई माता – बिलाड़ा जोधपुर, सिखी जाति की कुल देवी
  • बाण माता कुल देवी की आराधना मेवाड़ मे होती है।
  • आई माता का थान बाडेर कहलाता है।
  • महिलाऐं अपने घर की दशा सुधारने हेतू चैत्र मास मे तिथि एकम से दशमी तक लोकदेवी दशामाता की कहानियाँ सुनती है।
  • आवरी माता की पूजा लूले – लंगडे़ व लकवाग्रस्त लोग स्वास्थ्य कामना हेतू करते है।
  • बीकानेर व शेखावटी क्षैत्र की कुल देवी मंशा देवी है।
  • जमुवाय माता को कभी भी मांस का भोग नहीं लगााया जाता।
  • अकाल पीड़ित जनता को बचाने निमित शाकम्भरी देवी ने फल,सब्जियाँ,कंदमूल उत्पन्न कर दिऐ थे।
  • शिला देवी की मूर्ति के उपरी हिस्से पर पंचदेवी की प्रतिमाऐं उत्कीर्ण की गई है।
  • राणी सती दादी जी के नाम से भी पुकारी जाती है।
  • आऊवा के ठाकुर परिवार की कुल देवी सुगाली माता है जिसकी प्रतिमा के 10 सिर व 54 हाथ है।
  • सिसो दिया वंश की कुल देवी बाण माता है।
  • कच्छावा वंश की कुल देवी जमुवाय माता है।
  • एकमात्र देवी जिसकी सवारी हाथी है गोरनियां देवी कोटा।

लोक देवता

  • पश्चिमी राजस्थान के लोक देवता ‘रामदेवजी़/रामसा पीर‘ की मूल जन्म भूमि बाड़मेर जिले का गाँव ठँडू काश्मीर है।
  • साँपो के देवता गोगा जी का समाधी स्थल/मूल आस्था स्थल चुरू जिले मे गाँव ददरेवा है।
  • तेजा जी का मूल गाँव नागौर जिले मे खड़नाल है।
  • गुर्जर समुदाय के आराध्य देव नारायण जी का मूल आस्था स्थल भीलवाड़ा जिले मे गाँव आसीन्द है।
  • वीर कल्ला जी का सम्बन्ध मेड़ला नागौर, से तो हड़बू जी का भूडे़ल नागौर, से है।
  • मल्लीनाथ जी का सम्बन्ध तिलवाड़ा बाडमेर, से है तो झूंझार जी का सम्बन्ध गाँव इमलोहा तहसील नीम का थाना सीकर से है।
  • बाबा रामदेवजी का मेला साम्प्रदायिक सदभाव का सबसे बड़ा मेला है।
  • प्रकृति प्रेमी व पेड – पौधों के रक्षक तल्ली नाथ जी थे।
  • चार हाथों वाले देवता के रूप मे प्रसिद्धी वीर कल्ला जी को मिली ।
  • मीणा जनजाति भूरिया बाबा को अपना ईष्ट मानती है
  • शस्त्र विधा के ज्ञाता वीर फत्ता जी थे।
  • झुंझार जी की पूजा खेजड़ी वृक्ष के नीचे होती है।
  • पनराज जी नामक लोक देवता का जीवन गायों के बीच गुजरा।
  • कल्ला जी राठौड़ ने अकबर से यु़द्ध किया।
  • मामा देव जो कि बरसात के देवता है का मंदिर न होकर लकडी का कलात्मक तोरण होता है।
  • पाबू जी एक ऐेेसे लोक देवता है जिन्हे भाला धारित अश्वारोही के रूप मे दिखाया जाता है।
  • नेजा – पाँच रंग की ध्वजा।
  • जातरू – पैदल तीर्थ यात्री।
  • शीर्ष मेदी का स्थान – ददरेवा [चुरू]
  • धुरमेदी का स्थान – नोहर [हनुमानगढ़]
  • गेगा जी की ओल्डी स्थित है – सांचैर [जालौर]
  • आशिया जी मोडिया ने पाबू जी के जीवन दर्शन पर एक पुस्तक लिखी थी।
  • रामदेव जी के मेले का प्रमुख आकर्षण तेरहताली नृत्य है।
  • मारवाड़ के पंच पीरो मे गोगा जी भी शामिल है। गोगाजी की धोड़ी का रंग नीला था।
  • श्री देव नारायण जी के पिता का नाम सवाई भोज था।
  • तेजा जी को गायों का मुक्ति दाता व नागों का देवता कहा जाता है।
  • तेजा जी के पुजारी को घोड़ला कहा जाता है।
  • तेजा जी की पत्नि का नाम पेमल दे था।
  • लाद्धा गुजरी की गायों को मेर के मीणाओं से छुडाते समय तेजा जी शहीद हो गऐ।
  • शकुन शास्त्र के ज्ञाता हड़बू जी को कहा जाता है।
  • धांधल जी राठौड़ पाबू जी के पिता थे।
  • राठौड़ गांगदेव बाबा तल्लीनाथ का वास्तविक नाम था।
  • योगाभ्यास व जड़ी बूटी का ज्ञान कल्ला जी को था।
  • राजस्थान के वो लोकदेवता तेजा जी थे जिन्होने गायों को मेरों से छुडाते हुऐ अपने प्राण त्याग दिऐ।
  • राजस्थान के हनुमान गढ जिले की नोहर तहसील के गाँव गोगामेड़ी मे गोगा जी का सुप्रसिद्ध मेला लगता है।
  • लोक देवता गोगा जी ने विदेशी आक्रांता महमूद गजनबी से युद्ध किया था।
  • गोगा जी का थान खेजड़ी के पेड के नीचे बनाया जाता है।
  • राजस्थान मे ऊँट के बीमार होने पर पाबू जी की पूजा की जाती है।
  • पाबू जी को लक्ष्मण का अवतार कहा जाता है।
  • रामदेव जी एकमात्र ऐसे लोक देवता थे जो कवि भी थे।
  • तेजा जी की धोड़ी का नाम लीलण था।
  • रामदेव जी की मां का नाम मैणादे था।
  • मुसलमान बाबा रामदेव जी को रामशाह पीर के नाम से पुकारते है।
  • बाबा राम देव ने गाँव रूणिचा मे कामड़िया पंथ की शुरूआत की।
  • भोमिया जी को भूमि रक्षक देवता कहा जाता है |
  • बांस दूगारी [बूंदी] – तेजा जी की कर्मस्थली है |
  • जायल / घोडला – गोगा जी के मुस्लिम पुजारी सांप के जहर के तोड़ के रूप में गोबर की राख व गौमूत्र के प्रयोग की शुरुआत तेजाजी ने की |
  • पाबू जी ऐसे लोक देवता माने जाते है जिन्होंने अपनी शादी को बीच में ही छोडकर केसर कालमी घोड़ी पर सवार होकर जींदराव खींची से देवल चारणी की गायो को मुक्त करने हेतु लड़ाई लड़ी व वीर गति को प्राप्त हुए |
  • बाबा रामदेव ने पोकरण के आस पास के क्षैत्र में आतंक के पर्याय बन चुके भैरव राक्षस का नाश किया |
  • तेजाजी ने अपने वचन की खातिर जीभ पर सर्पदंश करवाकर प्राण त्याग दिए |
  • देव बाबा ने धार्मिक विचारो का प्रचार करते हुए पशु चिकित्सा का पर्याप्त ज्ञान प्राप्त किया, विदित रहे इस लोक देवता का मंदिर भरतपुर के नगला जहाज में है |
  • मीणा जाति के लोग भुरिया बाबा, गौतमेश्वर की झूठी कसम नही खाते
  • निर्गुण निराकर ईश्वर में विश्वास रखने वाले मल्लीनाथ के नाम पर ही बाड़मेर परगने का नाम मालानी पड़ा |
  • हरिराम बाबा के गुरु का नाम भूरो बाबा था | गोगा मेंडी की बनावट मकबरे नुमा है |
  • मेहावाल जाति के भक्त रिखिया कहलाते है |
  • मल्लीनाथ का मेला तिलवाड़ा [बाड़मेर] में भरता है |
  • कल्ला जी के गुरु का नाम भैरवनाथ था |
  • चौबीस वाणियाँ ग्रन्थ बाबा रामदेव के जीवन से सम्बंधित है | ध्यान रहे लोक देवता रामदेव जी एक देवपुरुष थे जो कवि भी थे |
  • रूपनाथ झरडा राजस्थान के ऐसे देवता है जिनको हिमाचल में बालक नाथ के रूप में पूजते है |
faq

Frequently Asked Questions

Get answers to the most common queries

FAQ content not found.

Crack Railway Exam with RAS Insider

Get free access to unlimited live and recorded courses from India’s best educators

Structured syllabus

Daily live classes

Ask doubts

Tests & practice

Notifications

Get all the important information related to the RPSC & RAS Exam including the process of application, important calendar dates, eligibility criteria, exam centers etc.

Related articles

Learn more topics related to RPSC & RAS Exam Study Materials

RAJASTHAN RIGHT TO HEALTH BILL | RAS EXAM

स्वास्थ्य का अधिकार | RAS EXAM प्रदेशवासियों को मिला स्वास्थ्य का अधिकार प्रावधान :- Frequently Asked Questions Q.01 What is in right to health bill? Ans: The Act gives every

राजस्थान प्रमुख भू-आकृतिक प्रदेश एवं उनकी विशेषताएँ | GEOMORPHIC | RAS | PRE | MAINS

GEOMORPHIC REGIONS OF RAJASTHAN | RAS राजस्थान प्रमुख भू-आकृतिक प्रदेश एवं उनकी विशेषताएँ राजस्थान प्रमुख भू-आकृतिक प्रदेश एवं उनकी विशेषताएँ -राजस्थान एक विशाल राज्य है अत: यहाँ धरातलीय विविधताओ का

मेवाड का इतिहास | HISTORY OF MEWAR | RAS |

राजस्थान के इतिहास में मेवाड रियासत का एक अभूतपूर्व स्थान है | इस रियासत ने अनेक वीर शासको को जन्म दिया ; अत: ऐसे में इस रियासत से सम्बंधित अनेक

Access more than

100+ courses for RPSC & RAS Exams