- राजस्थान का कुल भौगोलिक क्षैत्रफल 3,42,239 वर्ग किमी. है जो भारत के कुल क्षैत्रफल का 10.41ः है।
- राजस्थान भौतिक दृष्टि से पृथ्वी के प्राचीन अंगारालैण्ड, गौंडवाना लैण्ड व टेथिस सागर के अवशेष से निर्मित है।
- सांभर,डीडवाना,पंचपदरा आदि खारे पानी की झीले तथा खनिज पदार्थ यथा जिप्सम,लाइमस्टोन,लिग्नाइट कोयला,तेल व प्राकृतिक गैस से यह प्रमाणित होता है कि राजस्थान टेथिस सागर का अवशेष रहा है।
- प्रो॰वी॰सी॰ मिश्रा ने राजस्थान को 7 भौतिक प्रदेशो मे बाँटा है, ए॰के सेन ने राजस्थान का विभाजन जलवायु के आधार पर किया है। राजस्थान का तीसरी बार विभाजन – भौतिकी आधार पर – 1971 मे प्रो॰राम लोचन सिंह ने किया।
- राजस्थान को भौगोलिक संरचना,तापमान वर्षा,वनस्पति,मिट्टी के आधार पर चार भागों मे बाँटा गया है।
पूर्वी मैदान
- माही बेसिनः
1.छप्पन का मैदान
2.व्याघ्र, घाट
3. कांठल
- चम्बल बेसिनः
1.बीहड़
2. मेवाड़ मैदान
3. खेराड़
- बनास/बाण गंगा बेसिन
1.पिडमाँन्ट
चम्बल नदी के आस-पास नदी निर्मित कन्दरा युक्त भूमि बीहड़ कहलाती है।
स्थानीय लोग इस बीहड़ को खादर कहते है।
राज्य मे कुल बीहड़ का क्षैत्र: 2,800 वर्ग कि.मी. बिहड़ का पहाड़ी क्षैत्र: डांग कहलाता है।
डागं की रानी करौली को कहते है।
स्बसे ज्यादा बीहड़ धौलपुर जिले मे विस्तृत है।
विदित रहे थार का मरूस्थल प्लीस्टोसीन उत्तर युग मे बना।
बूँदी की पहाड़ियाँ अर्द्ध-चन्द्राकार है। सर्वोच्च शिखर सतुर है।
रामगढ की पहाड़ियाँ आकार मे घोडे़ की नाल/पंजानुमा है।
अ. हमादा: चटटानी मरूस्थल जो बालोतरा, पोकरण व फलौदी के मध्य स्थित है।
ब. मगरा: बालोतरा से पोकरण के मध्य अवशिष्ट पहाड़ियाँ।
स. लाठी सीरीज: पोकरण से मोहनगढ के मध्य एक भूगर्भित जल पटटी।
द. SEEZ [ Solar Energy enterprize zone ] :
इस क्षैत्र मे सौर ऊर्जा के निर्माण की अधिकतम सम्भावना।
य. रेग: कंकड़ युक्त मिश्रित मरूस्थल जो हमादा के चारों ओर विस्तृत है।
क. अनु दैध्र्य/रेखीय: यह एक बालुका स्तुप है जो पवन की गति मंद पड़ने से बनता है।
ख. बरखान: वायु भंवर के कारण निर्मित अ़़र्द्ध चन्द्राकार बालुका स्तुप।
ग. प्लाया: वर्षा काल मे निर्मित अस्थायी झील।
घ. डांड: मरूस्थल मे पाई जाने वाली स्थायी झील।
ड. रन: डांड के सुखने पर निर्मित दलदली भूमि।
च. खड़ीन: मरूस्थल मे पानी इकटठा करने का परपंरागत जल स्त्रोत।
छ. अर्ग/इर्ग: वनस्पति रहित लहरनुमा मरूस्थल।
ज. द्यरीयन: जैसलमेर मे पाया जाने वाला बालुका स्तूप।
झ. नाली: हनुमानगढ जिले मे बहने वाली अन्तस्त्रावी मौसमी घंग्गर नदी की शुष्क घाटी।
ञ. सेम: यहाँ बहने वाली इंन्दिरा गांधी नहर के जल रिसाव से हनुमानगढ जिले मे कुछ क्षैत्र दलदल मे परिवर्तित हो गया जिसे सेम कहते है। केशिका कर्षण क्रिया के कारण यह क्षैत्र लवणीय जलमग्न हो गया।
ट. जोहड़: राजस्थान के शेखावाटी क्षैत्र चुरू सीकर व झुझनू मे पानी एकत्रीकरण व संरक्षण हेतू अपनाया गया एक स्त्रोत।
ठ. नाड़ा: शेखावाटी के पक्के कुऐं।
ड. सर: शेखावाटी के छोटे तालाब।
ढ.पंचपाणै: शेखावाटी की पाँच बड़ी जागीर
[ मालासर,मण्डावा,डुण्डलोद,बीसाऊ,नवलगढ ]
ण. छप्पन पर्वत: बालोतरा से सिवाणा के मध्य 56 गुम्बदाकार पहाड़ियाँ है जिन्हे छप्पन पर्वत कहा जाता है।
अरावली:
निर्माण युग: प्री. केम्ब्रियन
प्रकार: वलित पर्वत माला
औसत ऊँचाई: 930 मी.
विस्तार: पालनपुर ख्गुजरात, से फरिदाबाद ख्हरियाणा,
कुल लम्बाई: 692 किमी.
विस्तार दिशा: दक्षिण पश्चिम से उत्तर पूर्व राजस्थान मे अरावली की कुल लम्बाइ्र्र: 550 किमी. राज्य के कुल भु-भाग का 9.1ः क्षैत्र घेरती है। अरावली राज्य के 7 जिलों मे फैली हुई है। अरावली राजपुताने के दुर्गो की रक्षा करती है अतः अबुल फजल ने इसे ऊँट की गर्दन कहा तो कर्नल जेम्स टाँड ने इसे राजपूताना की सुरक्षा दीवार कहा।
गुरूशिखर व सेर अरावली पर्वतमाला की क्रमशः प्रथम व द्वितिय स्तर की सर्वाधिक ऊँची चोटियाँ है। दोनों ही चोटियां सिरोही जिले मे आती है। गुरूशिखर ख्1722मी., व सेर ख्1597मी.,
गिर्वा, देशहरों, कुकरा, मानगढ मेवाड़ से गुजरने वाली अरावली शाखा की पहाड़ियाँ है।
अरावली के मध्य भाग की प्रमुख पहाड़ियाँ है – मेरवाड़ा पहाड़िया, मोराम जी टाँडगढ, तारागढ व नाग पहाड़ियाँ।
फुलवारी की नाल: महाराणा प्रताप की कार्य स्थली, महाराणा द्वारा निर्मित भागल गढ दुर्ग मे स्थित है।
कामलीधाट व गोरमघाट: मारवाड़ जंक्शन पाली से आमेट ख्राजसमंद, के मध्य रेल मार्ग।
जीलावल: वह स्थान ख्जिला राजसमंद, जहाँ महाराणा मोकल व पृथ्वीराज ख्मेवाड़, की हत्या हुई।
बिठ्ठली पहाड़ी: अजमेर की इस पहाड़ी पर 1113 मे अजयराज ने दुर्ग बनवाया। पृथ्वीराज मेवाड़ ने पत्नि ताराबाई हेतू तारा महल बनवायाः तब से यह तारागढ कहलाया।
राजस्थान का चार भौतिक प्रदेशों मे विभाजनः
1.पश्चिमी मरूस्थल/थार मरूस्थल
2. अरावली पर्वतमाला
3. पूर्वी मैदानी भाग
4. दक्षिणी-पूर्वी पठारी प्रवेश
पश्चिमी मरूस्थल/थार मरूस्थल
शुष्कतम
- बालुका स्तुपा
- हमादा
- रेगा
- लाठी सीरीज
- धरियन
- प्लाया व बालसन
- डांड/ रन
अर्द्धशुष्क
- घग्गर बेसिन
- शेखावाटी
- बेसिन
- नागौर
- लूनी बेसिन
इसरो की भु-उपयोग रिपोर्ट 2007-08 के तहत राज्य का 67ः भाग मरूस्थलीय है। थार: विश्व की सर्वाधिक सौर उर्जा संभावना के कारण इसे विश्व शक्ति गृह कहा जाता है।