- भारत मे सबसे पहले तम्बांकू का पौधा कोन व कब लाऐ:1508 मे पूर्तगाली लाऐ।
- दक्षिणी राजस्थान के गरीब व आदिवासी बाहुल्य क्षैत्रों की फसल कागड़ी कहलाती है।
- ज्वार को गरीब की रोटी कहा जाता है।
- राजस्थान मे सेला साबरमति चावल बूंदी मे पैदा होते है।
- राजस्थान मे समग्र फलों की दृष्टि से श्री गंगानगर जिला अग्रणी है।
- मासलपुर, करौली मे पान की खेती होती है।
- होहोबा जोजोबा एक इजरायली तिलहन का पौधा है जिसका उत्पादन फार्म राज्य मे फतेहपुर [ सीकर ] मे विकसित किया जा रहा है।
- राजस्थान मे दश्मक गुलाब खमनौर [ राजसमंद ] मे उगाया जाता है।
- राज्य मे नत्रजन खाद का प्रयोग सबसे ज्यादा श्री गंगानगर व हनुमानगढ़ जिलों मे होता है।
- कृषि फसल संरक्षण कार्यक्रम 1983 मे शुरू हुआ।
- राजस्थान राज्य बीज निगम [ जयपुर ] की स्थापना 1978 मे हुई।
- हरा भरा राजस्थान योजना की शुरुआत 1991 मे हुई।
- राजस्थान भूमि सुधार एवं जागीरदार पुनर्ग्रहण अधिनिंयम 1952 मे पारित किया गया।
- राजस्थान का जालौर जिला ईसबगोल का भारत मे सबसे बड़ा उत्पादक क्षैत्र है।
- पीपरमेंट की खेती खण्डार, शिवाला मे होती है।
- जैतसर [ श्री गंगानगर] मे केन्द्र सरकार द्वारा स्थापित कृषि फार्म है।
- मूंगफली, उत्पादन मे लूणकरणसर [ बीकानेर ] का राजस्थान मे प्रथम स्थान है।
- सिरोही एवं बाँसवाड़ा ऐसे दो जिले है जहाँ लीची एवं बादाम की खेती की भरपूर संभावना है।
- खजूर अनुसंधान केन्द्र बीकानेर मे है।
- ईसबगोल को स्थानीय भाषा मे घोड़ा जीरा कहा जाता है।
- राष्ट्रीय सरसो अनुसंधान केन्द्र सेवर [ भरतपुर ] मे स्थित है।
- बाजरा अनुसंधान केन्द्र, मण्डोर [ जोधपुर ] मे है |
- गैहूँ की सर्वश्रेष्ट किस्म 3765 है।
- दीपावली के बाद मार्गशीर्ष मे बोऐ जाने वाली खेती पछेती कहलाती है।
- ज्वार को सोरगम भी कहते है।
- भागीरथ योजना को सर्वप्रथम कृषि सहकारिता विभाग मे लागू किया गया।
- राजस्थान मे फूलों की आधुनिक मण्डी पुष्कर मे विकसित की गई है।
- टसर विकास कार्यक्रम 1986 मे उदयपुर, कोटा व बासवाड़ा मे शुरू हुआ।
- सैवण घास मुख्यत: जैसलमेर जिले मे पायी जाती है।
- बांरा जिला मसाले का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है।
- राजस्थान काश्तकारी अधिनियम 1955 मे पारित हुआ।
- महाराणा प्रताप कृषि एवं तकनीकी विश्वविधालय उदयपुर मे है।
- श्री कर्ण नरेन्द्र डिम्ड विश्वविधालय जोबर [ जयपुर ] मे है।
- सर्वाधिक संतरा उत्पादन के कारण झालावाड़ को राजस्थान का नागपुर कहा जाता है।
- श्वेत क्रान्ति दुध उत्पादन मे वृद्धि हरित क्रान्ति खाद्ययन उत्पादन मे वृद्धि, नीली क्रान्ति मत्स्य उत्पादन मे वृद्धि, लाल क्रान्ति माँस/टमाटर उत्पादन मे वृद्धि, गोल क्रान्ति आलू उत्पादन मे वृद्धि, गुलाबी क्रान्ति झींगा उत्पादन मे वृद्धि, पीली क्रान्ति सरसों उत्पादन मे वृद्धि, काली क्रान्ति एथेनॉल व बायोडिजल के उत्पादन मे वृद्धि को कहा जाता है।
- सिचांई के साधन – श्री गंगानगर > नहर, बांसवाडा > झरना, भीलवाड़ा > तालाब, भरतपुर > नलकूप, जयपुर > कुऐ।
- राजस्थान बाजरे का सबसे बड़ा उत्पादक है।
- श्री गंगानगर को ‘अन्न का कटोरा ’ कहा जाता है।
- मिश्रित कृषि मे खेती व पशुपालन दोनों शामिल है।
- गेहूँ मे काला किट व स्मट नाम के दो कबक रोग पाये जाते है।
- बूंदी गन्ने का, जयपुर ज्वार का सबसे बड़ा उत्पादक जिला है।
- जालौर ईसबगोल के साथ साथ सभी मादक पदार्थो का सबसे बड़ा उत्पादक जिला है।
- खरीफ की फसल को स्थालू व रबी की फसल को उनालू कहा जाता है।
- अरडू वृक्ष – राजस्थान का एक ऐसा वृक्ष जो बंजर जमीन पर तेजी से फैलकर रेगिस्तान को रोकने मे मदद करता है साथ ही चारा व ईंधन की मांग को भी पूरा करता है।
- पछेती – दीपावली के बाद मार्गशीर्ष माह मे बोऐ जाने वाली कृषि।
- राजस्थान मे कई प्रकार की तिलहन फसलें [ Oilseed Crops ] पैदा होती है, परन्तु सबसे कम पैदावर तिल की होती है।
- राजस्थान मे सेब की खेती सर्वप्रथम माउण्ट आबू मे प्रारम्भ हुई।
- मूंगफली उत्पादन मे बीकानेर, मक्का उत्पादन मे चित्त्तौडगढ़, कपास उत्पादन मे श्री गंगानगर का प्रथम स्थान है।
- राजस्थान की ग्रामीण भाषा मे बणिया शब्द कपास की फसल के लिऐ प्रयुक्त किया जाता है।
- ईसबगोल को स्थानीय भाषा मे घोड़ा जीरा कहा जाता है।
- कृषि उत्पादों मे वृद्धि हेतू राज्य मे उवरक वितरण प्रणाली की शुरूआत 1963 मे हुई थी।
- राजस्थान मे बीज परीक्षण प्रयोगशालाऐं कोटा व जयपुर मे है।
- राष्ट्रीय सरसों अनुसंधान केन्द्र सेवर जिला भरतपुर मे है।
- सिरोही व बाँसवाड़ा ऐसे दो जिले है जहाँ लीची व बादाम की खेती की भरपूर सम्भावनाऐं है।
- राज्य मे तीसरी क्रान्ति मछली के क्षैत्र मे हुई।
- गेहूँ की सर्वश्रेष्ठ किस्म 3765 है।
- 172 महाराणा व 285 चेतक दोनों अफीम की खेती की उन्नत किस्मे है।
- राजस्थान मे फूलों की अधुनिक मण्डी पुष्कर मे विकसित की जा रही है।
- अरण्डी उत्पादन मे जलौर, तम्बाकू व सरसों उत्पादन मे अलवर, तिल उत्पादन मे पाली, अंजीर उत्पादन मे उदयपुर व बीकानेर प्रथम है।
- दक्षिणी राजस्थान के गरीब व आदिवासी प्रधान क्षैत्रों की फसल कागड़ी कहलाती है।
- चने व गेहूँ की मिश्रित खेती [ साथ – साथ बुआई ] गोचनी / बेझड़ कहलाती है।
- ज्वार को गरीब की रोटी कहा जाता है।
- हरणखुरी व चरपरी – उनाल की फसल मे पैदा होने वाली घास कहलाती है।
- वानस्पतिक नाम गैहूँ – Triticum Aestivum जौ – Hkrdeum Vulgare ; ज्वार Sorglum Valgare बाजरा – Orize Sativa ; सरसों – Brassica Comefris ; आलू – Salamum Tberasum ; मिर्च – Spin Cacia ; आम – Mungifera indiea ; टमाटर – L ycopericum ;
- राजस्थान मे प्रति हैक्टर 188 कि.ग्रा. उत्पादन क्षमता है।
- राज्य मे होहोबा उत्पादन फार्म फतहेपुर [ सीकर ] मे है।
- पान की खेती मासलपुर [ करोली ] मे होती है।
- नाबार्ड – 1985 : खेती तथा ग्रामीण विकास प्रक्रियाओं की सभी प्रकार की साख आवश्यकताओं को पूरा करने वाली संस्था है।
राजस्थान मे कृषि- व्यवस्था REET | PATWAR
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