राजस्थान में अनेको जनजातियाँ रहती है जिनसे जुड़े अनेक प्रश्न अक्सर प्रतियोगी परीक्षाओ में पूछे जाते है| इसी बात को मध्य नजर रखते हुए यहाँ अनेक अतिमहत्वपूर्ण नोटस आपके अध्ययनार्थ लाये गये है| अत: अभ्यार्थी इनको कंठस्त करलें|
- राज्य की एकमात्र आदिम जनजाति सहरिया है|
- सहरिया जनजाति का कुम्भ सीताबाड़ी बारां में भरता है|
- कोडिया देवी सहरिया जनजाति की कुलदेवी है|
- राजस्थान में श्रीगंगानगर सर्वाधिक जनजाति साक्षरता वाला जिला है|
- जालौर न्यूनतम जनजाति साक्षरता वाला जिला है|
- राजस्थान की कालबेलिया जनजाति का मुख्य व्यवसाय सांप पकड़ना है|
- ट्राइबल अनुसन्धान संसथान उदयपुर में बेणेश्वर धाम जिला डूंगरपुर आदिवासियों का महा मुक्तिधाम कहलाता है |
- राजस्थान में पाई जाने वाली जनजाति सांसी दो भाग – बीज व माल में विभक्त है|
- हस्त्शिल्प्कला सांसी जनजाति का प्रमुख कार्य है |
- सहरिया जनजाति अपना गुरु वाल्मीकि को मानती है |
- गरसिया जनजाति में घार को घेर कहा जाता है |
- मनखारो मेला व सीमलवाडा आदिवासी मेला डूंगरपुर गरसियो का सबसे बड़े मेले है|
- सहरिया जनजाति मुख्य रूप से बारां जिले में रहती है |
- सहरिया जनजाति का मुख्य व्यवसाय खेती है |
- सहरिया जनजाति के मकान बांस व घास – फूस के बने होते है |
- सहरिया गाँव की सबसे छोटी इकाई फला कहलाती है |
- सहरिया जनजाति के गाँव को सहरोल कहा जाता है |
- सहरिया जनजाति का मुखिया कोतवाल होता है |
- गरासिया जनजाति का मुख्या त्यौहार होली है |
- गरासिया जनजाति में मुख्य व्यवसाय खेती है|
- गरासिया जनजाति राजस्थान के सिरोही जिले व मारवाड़ के दक्षिणी–पूर्वी भागो में मिलती है |
- मीणाओ की सबसे बड़ी पंचायत चौरासी है |
- मीणाओ का देवता बुझ देवता है |
- मीणा जाति के धर्म –ग्रन्थ मीणा पुराण के रचनाकार मगन सागर मुनि है |
- इस समय जो मीणा जाति के लोग है वो मतस्य राज के शासक के वंशज है |
- मीणा जनजाति के लोग हिन्दू धर्म में आस्था रखते है |
- मीणा जनजाति में परम्परागत नेता को पटेल कहा जाता है |
- मीणा शब्द का शाब्दिक अर्थ है – मीन / मछली|
- मीणा जनजाति 24 खेपो में विभक्त है |
- मीणा जनजाति में यदि कोई लड़की को लेकर भाग जाये तो पंचायत द्वारा दोषी व्यक्ति से जो जुरमाना राशि वसूली जाति है उसे झगड़ा कहते है |
- भील जनजाति के लोग तीर चलाने में कुशल होते है |
- भील जनजाति में बहुविवाह पद्धति प्रचलित है |
- भील जनजाति के बने छोटे छोटे झोपड़ो के समूह को फला /पाल कहा जाता है |
- भील जनजाति में मानव शरीर पर चित्र गुदवाने की प्रथा प्रचलित है |
- भील जनजाति में पुरुष द्वारा कमर पर जो वस्त्र लपेटा जाता है उसे फालु कहा जाता है |
- भील जाति के लोग महुआ से बनी शराब का सेवन करते है |
- भील जनजाति में बड़े गावों को पाल कहा जाता है |
- भील महिलाओ द्वारा छाती से नीचे धारण किया जाने वाला वस्त्र कछाबू कहलाता है |
- भीलो के गौत्र अटक कहलाते है |
- भील पुरुषो द्वारा पहने जाने वाली तंग धोती को देपाडा कहा जाता है|
- भील जनजातियो की स्त्रियों द्वारा विवाह के मौके पर पहने जाने वाला पीला लहंगा पिरिया कहलाता है |
- भील लोग होली के मौके पर गैर व नेजा नामक नृत्य करते है |
- भीलों की गेठार उपजाति में राजपूतो का रक्त नही पाया जाता|
- उदयपुर रियासत में राजसिंह के प्रतीकात्मक तथा झंडे पर भील राजा को दर्शाया गया था|
- भील जनजाति में मृतको को जलाया जाता है जो उनके हिन्दू होने का प्रमाण देता है|
- गरासिया जनजाति के लोग मेलो में अपना जीवन साथी चुनते है|
- राजस्थान के भरतपुर में नरो के राजा का गावँ पाया जाता है|
- भीलो द्वारा पहाड़ी क्षेत्रो में पेड़ो को जलाकर की जाने वाली कृषि चिमाता कहलाती है|
- डामोर जनजाति के लोग हिन्दू धर्म में आस्था रखते है|
- डामोर जनजाति में पुरुष व महिलाऐ समान रूप से गहने पहनती है जो पुरुष व महिलाऐ के मध्य समानता को इंगित करता है|
- डामोर जनजाति के परिवार पितृसतात्मक होते है|
- सांसी जनजाति के लोग अपने आप को हरिजनों से भी नीचा मानते है|
- सांसी जनजाति के लोग अपनी उत्पत्ति सहसमल से मानते है|
- सांसी जनजाति में मुख्य व्यवसाय है हस्तशिल्प कार्य|
- डामोर जनजाति का मुख्य भोजन चावल व मक्का है|
- कंजर जनजाति के लोग मृतक के मुहँ में शराब की बुँदे डालते है|
- कंजर जनजाति के लोगो की मुख्य पहचान चोरी/ डकैती करना है|
- गिरफ़्तारी से बचने हेतु कंजर जाति के लोग अपने मकान के पीछे खिड़की रखते है|
- कंजर जाति की महिलाये कमर पर जो वस्त्र धारण करती है करती है उसे खुसनी कहा जाता है|
- कंजर जनजाति के महिलाऐ विदेशो में लोक-नृतय [धाकड़-चकरी] कला का प्रदर्शन करती है|
- कथोड़ी जनजाति के लोगो का मुख्य व्यवसाय खैर के वृक्षों से कत्था तैयार करना है|
- गाड़िया लुहार जनजाति के लोग अपने आप को महाराणा प्रताप की प्रतिज्ञा से बंधा मानकर आज भी खानाबदोश की तरह जीवन जीते है| कालबेलिया दक्षिण- भारत की गाने- बजाने वाली जनजाति है|
- बाप ने इश्क किया– यह कालबेलिया जनजाति में नृत्य का नाम है|
- भीलो के सिर पर धारण किया जाने वाले सफ़ेद साफा पोत्या कहलाता है|
- कंजर जनजाति के लोग हाकम राजा का प्याला पीकर यदि सौगंध ले तो झूठ नही बोलते|
- भील जनजाति का रणघोष फाइरे कहलाता है|
- सहरिया जनजाति में बस्ती को सहराना कहा जाता है|
- सहरिया जनजाति में पुरुष की अंगरखी सलूका कहलाती है|
- चौथ माता व हनुमानजी, चौथ का बरवड़ा [जिला सवाई माधोपुर] – कंजर जनजाति के आराध्य देव व देवी है| सहरिया जनजाति के लोगो द्वारा दीपावली पर गाऐ जाने वाला गीत हीड कहलाता है| गरासिया जनजाति में स्थानांतरित कृषि को वालरा कहा जाता है|
- मानव शास्त्री [Anthropologists] भीलो को मुण्डा जनजाति का वंशज मानते है|
- एकलव्य योजना का मुख्य उद्धेश्य जनजाति के छात्रो को प्रशिक्ष्ण देना रहा है|
- रामेश्वर तीर्थ [सवाई माधोपुर] को मीणा जनजाति के लोग प्रयाग तीर्थ के बराबर महत्व देते है|
- राजस्थान जनजाति क्षेत्रीय विकास सहकारी संघ की स्थापना वर्ष 1984 में हुई|
- वर्ष 1956 में बहुउद्देशीयीय विकास खण्ड की स्थापना बांसवाडा में हुई|
- राजस्थान की कुल मीणा जनजाति का 47% भाग जयपुर , सवाई माधोपुर, व उदयपुर जिलो में निवास करता है|
- भील बालिकाओ द्वारा ओंढे जाने वाली ओढनी कटकी कहलाती है|
- मीणा जनजाति के लोग मत्स्यव्तार से भी अपना सम्बन्ध मानते है|