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राजस्थान की जनजातियाँ | RAS EXAMS

Published on September 17, 2021 by Just Prep Raj |
Last Updated on March 15, 2023 by Just Prep Raj
राजस्थान में अनेको जनजातियाँ रहती है जिनसे जुड़े अनेक प्रश्न अक्सर प्रतियोगी परीक्षाओ में पूछे जाते है| इसी बात को मध्य नजर रखते हुए यहाँ अनेक अतिमहत्वपूर्ण नोटस आपके अध्ययनार्थ लाये गये है| अत: अभ्यार्थी इनको कंठस्त करलें|
  • राज्य की एकमात्र आदिम जनजाति सहरिया है|
  • सहरिया जनजाति का कुम्भ सीताबाड़ी बारां में भरता है|
  • कोडिया देवी सहरिया जनजाति की कुलदेवी है|
  • राजस्थान में श्रीगंगानगर सर्वाधिक जनजाति साक्षरता वाला जिला है|
  • जालौर न्यूनतम जनजाति साक्षरता वाला जिला है|
  • राजस्थान की कालबेलिया जनजाति का मुख्य व्यवसाय सांप पकड़ना है|
  • ट्राइबल अनुसन्धान संसथान उदयपुर में बेणेश्वर धाम जिला डूंगरपुर आदिवासियों का महा मुक्तिधाम कहलाता है |
  • राजस्थान में पाई जाने वाली जनजाति सांसी दो भाग – बीज व माल  में विभक्त है|
  • हस्त्शिल्प्कला सांसी जनजाति का प्रमुख कार्य है |
  • सहरिया जनजाति अपना गुरु वाल्मीकि  को मानती है |
  • गरसिया जनजाति में घार को घेर कहा जाता है |
  • मनखारो मेला व  सीमलवाडा आदिवासी मेला डूंगरपुर गरसियो का सबसे बड़े  मेले है|
  • सहरिया जनजाति मुख्य रूप से बारां जिले में रहती है |
  • सहरिया जनजाति का मुख्य व्यवसाय खेती है |
  • सहरिया जनजाति के मकान बांस व घास – फूस के बने होते है  |
  • सहरिया गाँव की सबसे छोटी इकाई फला कहलाती है |
  • सहरिया जनजाति के गाँव को सहरोल कहा जाता है |
  • सहरिया जनजाति का मुखिया कोतवाल होता है |
  • गरासिया जनजाति का मुख्या त्यौहार होली है |
  • गरासिया जनजाति में मुख्य व्यवसाय खेती है|
  • गरासिया जनजाति राजस्थान के सिरोही जिले व मारवाड़ के दक्षिणी–पूर्वी भागो में मिलती है |
  • मीणाओ की सबसे  बड़ी पंचायत चौरासी है |
  • मीणाओ का देवता बुझ देवता है |
  • मीणा जाति के धर्म –ग्रन्थ मीणा पुराण के रचनाकार मगन सागर मुनि है |
  • इस समय जो मीणा जाति के लोग है वो मतस्य राज के शासक के वंशज है |
  • मीणा जनजाति के लोग हिन्दू धर्म में आस्था रखते है |
  • मीणा जनजाति में परम्परागत नेता को पटेल कहा जाता है |
  • मीणा शब्द का शाब्दिक अर्थ है – मीन / मछली|
  • मीणा जनजाति 24 खेपो में विभक्त है |
  • मीणा जनजाति में यदि कोई लड़की को लेकर भाग जाये तो पंचायत द्वारा दोषी व्यक्ति से  जो जुरमाना राशि वसूली जाति है उसे झगड़ा कहते है |
  • भील जनजाति के लोग तीर चलाने में कुशल होते है |
  • भील जनजाति में बहुविवाह पद्धति प्रचलित है |
  • भील जनजाति के बने छोटे छोटे झोपड़ो के समूह को फला /पाल कहा जाता है |
  • भील जनजाति में मानव शरीर पर चित्र गुदवाने की प्रथा प्रचलित है |
  • भील जनजाति में पुरुष द्वारा कमर पर जो वस्त्र लपेटा जाता है उसे फालु कहा जाता है |
  • भील जाति के लोग महुआ से बनी शराब का सेवन करते है |
  • भील जनजाति में बड़े गावों को पाल कहा जाता है |
  • भील महिलाओ द्वारा छाती से नीचे धारण किया जाने वाला वस्त्र कछाबू कहलाता है |
  • भीलो के गौत्र अटक कहलाते है |
  • भील पुरुषो द्वारा पहने जाने वाली तंग धोती को देपाडा कहा जाता है|
  • भील जनजातियो की स्त्रियों द्वारा विवाह के मौके पर पहने जाने वाला पीला लहंगा पिरिया कहलाता है |
  • भील लोग होली के मौके  पर गैर व नेजा नामक नृत्य करते है |
  • भीलों की गेठार उपजाति में राजपूतो का रक्त नही पाया जाता|
  • उदयपुर रियासत में राजसिंह के प्रतीकात्मक तथा झंडे पर भील राजा को दर्शाया गया था|
  • भील जनजाति में मृतको को जलाया जाता है जो उनके हिन्दू होने का प्रमाण देता है|
  • गरासिया जनजाति के लोग मेलो में अपना जीवन साथी चुनते है|
  • राजस्थान के भरतपुर में नरो के राजा का गावँ पाया जाता है|
  • भीलो द्वारा पहाड़ी क्षेत्रो में पेड़ो को जलाकर की जाने वाली कृषि चिमाता कहलाती है|
  • डामोर जनजाति के लोग हिन्दू धर्म में आस्था रखते है|
  • डामोर जनजाति में पुरुष व महिलाऐ समान रूप से गहने पहनती है जो पुरुष व महिलाऐ के मध्य समानता को इंगित करता है|
  • डामोर जनजाति के परिवार पितृसतात्मक होते है|
  • सांसी जनजाति के लोग अपने आप को हरिजनों से भी नीचा मानते है|
  • सांसी जनजाति के लोग  अपनी उत्पत्ति सहसमल से मानते है|
  • सांसी जनजाति में मुख्य व्यवसाय है हस्तशिल्प कार्य|
  • डामोर जनजाति का मुख्य भोजन चावल व मक्का है|
  • कंजर जनजाति के लोग मृतक के मुहँ में शराब की बुँदे डालते है|
  • कंजर जनजाति के लोगो की मुख्य पहचान चोरी/ डकैती करना है|
  • गिरफ़्तारी से बचने हेतु कंजर जाति के लोग अपने मकान के पीछे खिड़की रखते है|
  • कंजर जाति की महिलाये कमर पर जो वस्त्र धारण करती है करती है उसे खुसनी कहा जाता है|
  • कंजर जनजाति के महिलाऐ विदेशो में लोक-नृतय [धाकड़-चकरी] कला का प्रदर्शन करती है|
  • कथोड़ी जनजाति के लोगो का मुख्य व्यवसाय खैर के वृक्षों से कत्था तैयार करना है|
  • गाड़िया लुहार जनजाति के लोग अपने आप को महाराणा प्रताप की प्रतिज्ञा से बंधा मानकर आज भी खानाबदोश की तरह जीवन जीते है| कालबेलिया दक्षिण- भारत की गाने- बजाने वाली जनजाति है|
  • बाप ने इश्क किया– यह कालबेलिया जनजाति में नृत्य का नाम है|
  • भीलो के सिर पर धारण किया जाने वाले सफ़ेद साफा पोत्या कहलाता है|
  • कंजर जनजाति के लोग हाकम राजा का प्याला पीकर यदि सौगंध ले तो झूठ नही बोलते|
  • भील जनजाति का रणघोष फाइरे कहलाता है|
  • सहरिया जनजाति में बस्ती को सहराना कहा जाता है|
  • सहरिया जनजाति में पुरुष की अंगरखी सलूका कहलाती है|
  • चौथ माता व हनुमानजी, चौथ का बरवड़ा [जिला सवाई माधोपुर] – कंजर जनजाति के आराध्य देव व देवी है| सहरिया जनजाति के लोगो द्वारा दीपावली पर गाऐ जाने वाला गीत हीड कहलाता है| गरासिया जनजाति में स्थानांतरित कृषि को वालरा कहा जाता है|
  • मानव शास्त्री [Anthropologists] भीलो को मुण्डा जनजाति का वंशज मानते है|
  • एकलव्य योजना का मुख्य उद्धेश्य जनजाति के छात्रो को प्रशिक्ष्ण देना रहा है|
  • रामेश्वर तीर्थ [सवाई माधोपुर] को मीणा जनजाति के लोग प्रयाग तीर्थ के बराबर महत्व देते है|
  • राजस्थान जनजाति क्षेत्रीय विकास सहकारी संघ की स्थापना वर्ष 1984 में हुई|
  • वर्ष 1956 में बहुउद्देशीयीय विकास खण्ड की स्थापना बांसवाडा में हुई|
  • राजस्थान की कुल मीणा जनजाति का 47% भाग जयपुर , सवाई माधोपुर, व उदयपुर जिलो में निवास करता है|
  • भील बालिकाओ द्वारा ओंढे जाने वाली ओढनी कटकी कहलाती है|
  • मीणा जनजाति के लोग मत्स्यव्तार से भी अपना सम्बन्ध मानते है|
 

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