
INDIAN FUNDAMENTAL DUTIES | भारत मूल कर्तव्य | मौलिक कर्तव्य | RAS
Published on December 4, 2022 by Just Prep Raj |
Last Updated on April 7, 2023 by Just Prep Raj
INDIAN FUNDAMENTAL DUTIES | भारत मूल कर्तव्य | मौलिक कर्तव्य | RAS | PRE | MAINS
मूल कर्तव्य / मौलिक कर्तव्य | MAULIK KARTAVYA
- मूल संविधान में मूल कर्तव्यो का उल्लेख नही था सिर्फ मूल अधिकारों का उल्लेख था |
- 1976 में 42वें संविधान संशोधन के द्वारा इन्हें संविधान में जोड़ा गया था |86वां संविधान संशोधन करके सूचि में 11वां मूल कर्तव्य जोड़ा गया |
- मौलिक कर्तव्यो की अवधारणा पूर्व सोवियत संघ के संविधान से ली गयी |
- इस समय लोकतांत्रिक देशो में भारत व जापान ही ऐसे देश है जहाँ संविधान में मूल कर्तव्यो का समावेश है |
- कर देने का कर्तव्य, चुनाव में मतदान देने का कर्तव्य, संविधान में उल्लेखित कर्तव्यो में शामिल नही है |
- मौलिक कर्तव्य, न्यायालयों को किसी विधि की संवैधानिकता व उनके परिक्षण में सहायता करते है |
- 1976 में स्वर्ण सिंह समिति ने 8 मूल कर्तव्यो को संविधान में शामिल करने की सिफारिश की थी जिनकी आवश्यकता 1975-77 के आंतरिक आपातकाल के दौरान महसूस की गई |
- 42वें संविधान संशोधन 1976 के द्वारा संविधान में नया भाग IV-A जोड़ा गया, जिसमे अनुच्छेद 51A है | इसके तहत 10 मूल कर्तव्यो को जोड़ा गया परन्तु वर्तमान में 11 मूल कर्तव्य है |
11 मूल कर्तव्य
- संविधान का पालन करे और उसके आदर्शो, संस्थाओ, राष्ट्रीयध्वज और राष्ट्रगान का सम्मान करे |
- स्वतंत्रता के लिये राष्ट्रीय आन्दोलन को प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शो को ह्रदय में संजोऐ रखे और उनका पालन करे |
- भारत की संप्रभुता, एकता, अखंडता की रक्षा करे तथा उसे ##### रखे |
- देश की रक्षा करे और आह्वान किये जाने पर राष्ट्र की सेवा करे |
- भारत के सभी लोगो में समरसता और समान #### की भावना का निर्माण करे जो धर्म, भाषा, प्रदेश या वर्ग आधारित सभी प्रकार के भेदभाव से परे हो | ऐसी प्रथाओ का त्याग करे जो स्त्रियों के सम्मान के विरुद्ध हो |
- हमारी सम्रद्ध संस्कृति की गौरवशाली परम्परा का महत्व समझे और उसका परिक्षण करे |
- प्राकृतिक पर्यावरण वन, झील, वन्य जीव, नदी आदि की रक्षा करे |
- वैज्ञानिक सोच से मानववाद और ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना का विकास करे |
- सार्वजनिक संपत्ति की रक्षा करे और हिंसा से दूर रहे |
- व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में उत्कृष्टता के लिये प्रयास करे ताकि राष्ट्र लगातार प्रयास और उपलब्धियों के उच्च अवसर तक पहुँच सके |
- माता-पिता या सरंक्षक अपने 6-14 वर्ष तक के बच्चे/वार्ड को शिक्षाके अवसर प्रदान करे (86वें संविधान संशोधन अधि.2002)
मूल कर्तव्यो की विशेषताएँ
- मूल कर्तव्यो केवल भारतीय नागरिको के लियेहै ये विदेशियों के लिये नहीं है |
- मूल कर्तव्य वाद योग्य नहीं है हालांकि संसद उपयुक्त कानून के माध्यम से इन्हें लागू कर सकती है |
मूल कर्तव्यो का महत्व
- वे भारतीय नागरिको को उनके समाज, साथी नागरिको और राष्ट्र के प्रति उनके कर्तव्यो की याद दिलाते है |
- वे नागरिको को देश-विरोधी और असमाजिक गतिविधियों के खिलाफ चेतावनी देते है |
- मूल कर्तव्य नागरिको को प्रेरित करते है और उनमे अनुशासन और प्रतिबध्दता की भावना को बढ़ावा देते है |
Frequently Asked Questions
Q.01 मूल कर्तव्य क्या है वर्णन करें?
Ans: मौलिक कर्तव्यों को देशभक्ति की भावना को बढ़ावा देने तथा भारत की एकता को बनाए रखने के लिए भारत के सभी नागरिकों के नैतिक दायित्वों के रूप में परिभाषित किया गया है। संविधान के चतुर्थ भाग में वर्णित ये कर्तव्य व्यक्तियों और राष्ट्र से संबंधित हैं। निदेशक सिद्धांतों की तरह, इन्हें कानूनी रूप से लागू नहीं किया जा सकता।
Q.02 मूल कर्तव्य कहाँ से लिया गया है?
Ans: Detailed Solution. मौलिक कर्तव्य: मौलिक कर्तव्यों का विचार रूस के संविधान से प्रेरित है। इन्हें 42वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा स्वर्ण सिंह समिति की सिफारिशों पर संविधान के भाग IV-A में शामिल किया गया था।
Q.03 कर्तव्य का उदाहरण क्या है?
Ans: सीधे शब्दों में कहें, एक कर्तव्य कुछ करने या न करने का कानूनी दायित्व है। आपका कर्तव्य है कि आप अपने करों का भुगतान करें और चोरी न करने का कर्तव्य, उदाहरण के लिए।
Q.04 भारत में कितने मौलिक कर्तव्य हैं?
Ans: मूल रूप से दस मौलिक कर्तव्यों को सूचीबद्ध किया गया था। बाद में 86वें संविधान के आधार पर वर्ष 2002 में संशोधन कर 11वां कर्तव्य जोड़ा गया।