राजस्थान प्रमुख भू-आकृतिक प्रदेश
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राजस्थान प्रमुख भू-आकृतिक प्रदेश एवं उनकी विशेषताएँ | GEOMORPHIC | RAS | PRE | MAINS

Published on March 20, 2023 by Just Prep Raj |
Last Updated on March 22, 2023 by Just Prep Raj

GEOMORPHIC REGIONS OF RAJASTHAN | RAS

राजस्थान प्रमुख भू-आकृतिक प्रदेश एवं उनकी विशेषताएँ

राजस्थान प्रमुख भू-आकृतिक प्रदेश एवं उनकी विशेषताएँ -राजस्थान एक विशाल राज्य है अत: यहाँ धरातलीय विविधताओ का होना स्वाभाविक है यह की अत्यधिक भौगोलिक विविधताओ , यहाँ के न केवल विकास को प्रभावित करती है, अपितु सदियों से यहाँ के जन जीवन में विविधता के साथ एकता का सूत्रपात करती रही है | -राजस्थान में विधमान उच्चावच व भौतिक स्वरूप को जलवायु व धरातल के अन्तरो के आधार पर मुख्यत: निम्न चार भागो में बाँटा गया है | भूआकृतिक प्रदेश

  1. पश्चिमी मरुस्थलीय प्रदेश : राजस्थान का अरावली श्रेणियों का पश्चिमी भाग शुष्क एवं अर्द्ध शुष्क मरुस्थलीय प्रदेश है | यह एक विशिष्ट भौगोलिक प्रदेश है जिसे ‘भारत का विशाल मरूस्थल’ अथवा ‘थार मरूस्थल’ के नाम से जाना जाता है |

        विशेषताएँ:

  1. क्षेत्रफल राज्य के कुल क्षेत्रफल का 6% भाग |
  2. जनसँख्याकुल जनसँख्या का लगभग 40% |
  3. जिलेजैसलमेर, बाड़मेर, जोधपुर, बीकानेर, गंगानगर, हनुमानगढ़, चुरू, जालौर, नागौर, झुंझुनू, सीकर, पाली |
  4. वर्षा:- 20 सेमी से 50 सेमी तक
  5. तापमान:- गर्मियों में उच्चतम 49‌‍‌##               सर्दियों में न्यूनतम 3 ###
  6. वनस्पति: मरुस्थलीय वनस्पति विधमान जैसे छोटे पौधे, कंटीली झाड़ियाँ, बबूल, खेजड़ी, कीकर, नागफनी|         -घास – सीवन और तुरडिगम
  7. मृदा:- घग्घर प्रदेश में जलोढ़ मृदा | – गंगानगर क्षेत्र में काँप मिट्टी | -अन्य क्षेत्रों में लवणीय मृदा की प्रधानता | -गाय व बैलो की भी उत्तम नस्ले पाई जाती है | -जैसे- बाड़मेर में काकरेज | -जैसलमेर में थारपारकर | -बीकानेर-गंगानगर में राठी | सम्पूर्ण पश्चिमी मरुस्थली क्षेत्र समान उच्चावच नही रखता अपितु इसमें भिन्नता है इसी भिन्नता के आधार पर क्षेत्रों को चार उप-प्रदेशो में विभक्त किया गया है | जो निम्न है :-
  8. पशुपालन:- ऊँट यहाँ का प्रमुख पशु है |

(अ) शुष्क रेतीला अथवा मरुस्थलीय प्रदेश : यह क्षेत्र शुष्क मरुस्थली क्षेत्र है जहाँ वार्षिक वर्षा का औसत 25 से.मी. से कम है | इसमें जैसलमेर, बाड़मेर, जोधपुर, बीकानेर, और चुरू जिले का पश्चिमी भाग सम्मलित है | इसे भी आगे दो उप विभागों में बाँट सकते है | (i) बालुका स्तूप युक्त प्रदेश | (ii) बालुका स्तूप मुक्त प्रदेश | (ब) लूनीजवाई बेसिन : यह एक अर्द्धशुष्क प्रदेश है जिसमे लूनी व उसकी सहायक नदियाँ लिलडी, सूकड़ी, जवाई, जोजरी और बाण्डी नदियों के बहाव क्षेत्र स्थित है | ये सभी मौसमी नदियाँ है | () अन्त: स्थलीय प्रवाह का मैदान : इसे शेखावटी प्रदेश के नाम से भी जाना जाता है इस अर्द्धशुष्क मैदान का चुरू, झुंझुनू, सीकर तथा नागौर के उत्तरी भाग है | यह प्रदेश मध्यम व निम्न ऊँचाई के बालू के टिलो से युक्त रेतीला मैदान है | इस क्षेत्र में नदी, नाले कुछ दूरबहने के बाद विलुप्त हो जाते है | मेंथा, कांतली इस क्षेत्र की मुख्य नदियाँ है | () घग्घर का मैदान : यह क्षेत्र मरूस्थल का उत्तरी भाग है जो गंगानगर व हनुमानगढ़ जिलो में फैला है | घग्घर इस क्षेत्र की अन्त: स्थलीय प्रवाह वाली नदी है जिसको पुराणों में हिमालय से निकली सरस्वती नदी का हिस्सा माना जाता है | 2. अरावली पर्वतीय प्रदेश :- अरावली पर्वतमाला राजस्थान की मुख्य व प्राचीनतम पर्वतमाला है | राजस्थान में यह खेडाब्रह्म (गुजरात सीमा) से खेतड़ी तक 550 km की लम्बाई में फैली है | यह सिरोही से खेतड़ी तक तो श्रृंखला है परन्तु इसके पश्चात यह दिल्ली तक छोटी-छोटी पहाडियों के रूप में फैली है | विस्तार: राज्य के 9 जिलो में – सिरोही, उदयपुर, राजसमन्द, अजमेर, जयपुर, दौसा, अलवर, सीकर, व झुंझुनू में है | वनस्पति: इस प्रदेश में उष्ण कटिबंधीय वन जैसे धौकड़ा, बरगद, खैर, आम, जामुन, बांस, बेल, रोहिड़ा आदि के वृक्ष पाये जाते है | मृदा: इस प्रदेश में मृदा की विविधता अत्यधिक है | (a) भूर-रेतीली कछारी मिट्टीअलवर क्षेत्र में (b) कछारी मिट्टीजयपुर-मालपुरा क्षेत्र में (c) लाल-पीली मिट्टीअजमेर, सिरोही, भीलवाडा व उदयपुर का पश्चिमी क्षेत्र (d) लाल-लौमी मिट्टीडूंगरपुर-बांसवाडा अरावली पहाड़ी क्षेत्र को तीन उप-प्रदेशो में बाँटा गया है – () दक्षिणी अरावली क्षेत्र:- इसमें सिरोही, उदयपुर, राजसमन्द जिले स्थित है |

  • यहाँ अरावली श्रेणियाँ अत्यधिक विषम व ऊँची है |
  • इस क्षेत्र में निम्न चोटियाँ स्थित है –

               गुरुशिखर (1727 मीटर)                देलवाड़ा (1442 मीटर)                जरगा (1431 मीटर)                अचलगढ़ (1380 मीटर)                कुम्भलगढ़ (1224 मीटर)

  • उदयपुर के उत्तर में कुम्भलगढ़ व गोगुन्दा के बीच का पठार भोराठ पठार के नाम से जाना जाता है |

() मध्य अरावली क्षेत्र:- यह मुख्यत: अजमेर व जयपुर के बीच फैली है |

  • तारागढ़ (885 मीटर) इस क्षेत्र की प्रमुख छोटी है |
  • पश्चिमी राजस्थान की मुख्य नदी लूनी नदी का उदगम् क्षेत्र यहाँ स्थित नाग पहाड़ से है |
  • ब्यावर तहसील में अरावली श्रेणी के चार दर्रे स्थित है, जिनके नाम है – बर, परवेरिया और शिवपुर घाट सूरा घाट दर्रा और देबारी |

() उत्तरी अरावली क्षेत्र :इस क्षेत्र का विस्तार जयपुर, अलवर तथा दौसा जिले में है | इस क्षेत्र में पर्वतमाला क्रमबद्ध न होकर छितरी हुई पायी जाती है इसमें शेखावाटी की पहाड़ियाँ, तोरावाटी की पहाड़ियाँ तथा जयपुर व अलवर की पहाड़ियां पाई जाती है | इस प्रदेश के प्रमुख उच्च शिखर निम्न है –  रघुनाथगढ़ (1055 मीटर) – सीकर  बैराठ (792 मीटर) – अलवर  खो (920 मीटर) – जयपुर 3.पूर्वी मैदानी प्रदेश : राजस्थान का पूर्वी प्रदेश एक मैदानी क्षेत्र है | इसमें बनास व मध्य माही (छप्पन का मैदान) को शामिल किया जाता है | इसके उत्तरी भाग में भरतपुर, अलवर, सवाईमाधोपुर, करौली, जयपुर, टोंक, भीलवाडा तथा दक्षिणी भाग में डूंगरपुर, बांसवाडा एवं चित्तौडगढ़ के छप्पन गाँवों का मैदानी भाग शामिल है | अरावली पर्वतमाला तथा हाडौती का पठार के इस मध्यवर्ती भाग को दो भागो में बाँटा जा सकता है – () बनासबाणगंगा बेसिन :- बनास व उसकी सहायक नदियों बेडच, खारी, #### मोरेल व बाणगंगा से निर्मित यह मैदान है जिसका ढाल उत्तर-पूर्व की और है | () मध्य माहीछप्पन बेसिन यह मैदान उदयपुर के दक्षिणी-पूर्वी भाग डूंगरपुर, बांसवाडा, चितौड़गढ़ के दक्षिणी भाग में फैला है | सलूम्बरसराड़ा क्षेत्र को स्थानीय भाषा में छप्पन, डूंगरपुर-बाँसवाड़ा क्षेत्र को ‘बागड़’ क्षेत्र कहते है |

  • नदियों की अधिकता के कारण बांसवाडा को 100 टापुओं का क्षेत्र कहते है |
  • इस आदिवासी क्षेत्र में भील व गरासिया वालरा नामक स्थानान्तरित कृषि करते है |
  1. दक्षिणीपूर्वी पठार :- राजस्थान का दक्षिणी-पूर्वी पठार ‘हाडौती के पठार’ के नाम से जाना जाता है (मालवा के पठार का विस्तार)
  • यह राजस्थान के 9% क्षेत्र तथा 13% जनसँख्या का क्षेत्र है
  • इसके तहत 4 जिले आते है – कोटा,बूंदी, बारां, झालावाड़
  • इस क्षेत्र में लाल व काली मिट्टी पायी जाती है

इस क्षेत्र को दो भागो में विभाजित कर सकते है – (अ) विंध्यन कगार (ब) दक्कन लावा पठार   

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