मेवाड का इतिहास | HISTORY OF MEWAR | RAS |

WhatsApp
Telegram
Facebook
Twitter

राजस्थान के इतिहास में मेवाड रियासत का एक अभूतपूर्व स्थान है | इस रियासत ने अनेक वीर शासको को जन्म दिया ; अत: ऐसे में इस रियासत से सम्बंधित अनेक महत्वपूर्ण प्रश्न बनते है | आप चाहे RAS के अभ्यार्थी हो या पटवार, रीट परीक्षाओ के अभ्यार्थी, आपके लिए ये नोट्स सुनहरे अवसर की तरह है | HISTORY OF MEWAR |

मेवाड का इतिहास

  • मेवाड- उदयपुर, चित्तौडगढ, राजसमन्द, भीलवाडा |
  • मेवाड के प्राचीन नाम –

1. गेंदपाट 2. प्राग्वाट 3. शिवी जनपद

  • राजपुताना के सम्पूर्ण इतिहास में यह राजवंश सर्वाधिक गौरवपूर्ण रहा |
  • मेवाड ने गुहिल वंश का शासन था |
  • गुहिल वंश की स्थापना गुहिल ने 566ई. में की |
  • गुहिल वंश की 24 शाखाये थी |
  • इनमे से मेवाड के गुहिल सबसे प्रसिद्ध है |
  • मेवाड के गुहिल सूर्यवंशी हिन्दू थे |

बप्पा रावल

  • मूल नाम – काल भोज
  • बप्पा रावल हरित ऋषि का शिष्य था |
  • 734ई. में मानगौर्य को हराकर चित्तौड़ पर अधिकार किया |
  • राजधानी – नागदा को बनाया |
  • नागदा में एकलिंग जी के मंदिर का निर्माण कराया |
  • मेवाड के राजा खुद को एकलिंग जी का दिवान मानते है | (दिवान = प्रधानमंत्री)
  • बप्पा रावल मुस्लिम सेना को हराते हुए गजनी (अफगानिस्तान) तक चला गया |
  • गजनी के शासक स्लिम को हटाकर वहाँ का शासक अपने भांजे को बनाया | और स्वयं सलीम की पुत्री से विवाह करके मेवाड लौटा |
  • रावल पिण्डी शहर का नाम बप्पा रावल के नाम पर पड़ा |
  • इतिहासकार सी.वी.वैध ने बप्पा रावल की तुलना फ्रांसीसी सेनापति चार्ल्स मार्टेल से की थी |
  • मेवाड में सोने के सिक्के चलाये (वजन – 115ग्रेन) |
  • उपाधियाँ – हिन्दू सूरज, राजगुरु, चक्कर्वे |
  • समाधि – नागदा

अल्लट

  • अन्य नाम – आलु रावल
  • दूसरी राजधानी – आहड
  • आहड में वराह मंदिर (विष्णु भगवान) बनाया था |
  • मेवाड में नौकरशाही (प्रशासनिक) व्यवस्था की शुरुआत की |
  • अल्लट में हुण की राजकुमारी हरियादेवी से विवाह किया |

जैत्र सिंह – 1213-1250

  • भुताला का युद्ध :- 1234ई.

          जैत्रसिंह  v/s इल्तुतमिश(दिल्ली) विजय

  • जैत्रसिंह ने नई राजधानी चित्तौड़ को बनाया |
  • भुताला युद्ध की जानकारी जयसिंह सूरी की पुस्तक – हम्मीरमद मर्दन से मिलती है |
  • जैत्रसिंह का शासनकाल मध्यकालीन मेवाड का स्वर्णकाल कहा जाता है |

रतनसिंह – 1302-1303

  • इनका छोटा भाई – कुम्भकरण
  • नेपाल में राणा शाखा का शासन स्थापित किया |
  • अ. खिलजी का चित्तौड़ पर आक्रमण – 1303
  • आक्रमण के कारण:-
  1. अ.खिलजी की साम्राज्यवादी नीति |
  2. चित्तौड़ का व्यापरिक व सामरिक महत्व |
  3. सुल्तान के लिए प्रतिष्ठा का सवाल |
  4. मेवाड का बढ़ता हुआ प्रभाव |
  5. रानी पदमनी की सुन्दरता |

रानी पदमिनी:-

  • सिंहल द्वीप की राजकुमारी |        
  • पिता – गन्धर्व सेन        
  • माता – चम्पादेवी        
  • राघव चेतन ने अलाउद्दीनको पदमिनी की सुन्दरता के बारे में बताया |        
  • 1303 में चित्तौड़ में पहला साका हुआ |        
  • रानी पदमिनी ने 1600 महिलाओं के साथ जौहर किया |        
  • रतनसिंह के नेतृत्व में केसरिया हुआ        
  • साका – जौहर + केसरिया |        
  • रतन सिंह के सेनापति – गौर,बादल |        
  • अ. खिलजी ने चित्तौड़ पर अधिकार कर लिया |        
  • चित्तौड़ का भार अपने पुत्र खिज्र खां को सौंप दिया तथा चित्तौड़ का नाम बदलकर खिज्राबाद कर दिया |        
  • खिज्रखान ने गंभीरी नदी पर पुल का निर्माण करवाया |        
  • खिज्रखान ने चित्तौड़ में एक मकबरे का निर्माण कराया | जिसमे एक फारसी अभिलेख है जिसमे अलाउद्दीन खिलजी को ईश्वर की छाया तथा संसार का रक्षक बताया |        
  • कुछ दिन बाद चित्तौड़ का भार मालदेव सोनगरा को डदे दिया, मालदेव सोनगरा को मूंछाला मालदेव भी कहा जाता है |        -रतनसिंह रावल उपाधि का प्रयोग करने वाला अंतिम राजा था |
  1. पदमावत:- लेखक – मलिक मोहम्मद जायसी – अव्धिमाला में 1540
  • मुहणौत नैणसी तथा जैम्स टॉड ने पदमावत की कहानी को स्वीकार किया परन्तु सूर्यमल्ल मिश्रण ने इस कहानी को स्वीकार नही किया |
  1. अमीरखुसरो :- पुस्तक – ख़जाइन-उल-फुतुह(तारीख –ए-अलाईन)

         – इस पुस्तक से अ. खिलजी के राजस्थान के आक्रमणों की जानकारी मिलती है |

  1. हेमरत्न सूरी :- पुस्तक – गौरा – बादल री चौपाई

हम्मीर  – 1326-1364

  • बनवीर सोनगरा को हराकर चित्तौड़ पर अधिकार |
  • हम्मीर सिसोदा ग्राम का था इसलिए गुहिल वंश की सिसोदिया शाखा का शासन प्रारम्भ हुआ |
  • हम्मीर ने राणा उपाधि का प्रयोग किया |
  • हम्मीर को मेवाड का उध्दारक कहा जाता है |
  • कुम्भलगढ़ प्रशस्ती में हम्मीर को विषमघाटी पंचानन कहा गया है |
  • रसिक प्रिया पुस्तक में हम्मीर को वीर राजा कहा गया है |
  • हम्मीर ने चित्तौड़ में बरबडी माता (अन्नपूर्णा माता) का मंदिर बनवाया | गुहिल वंश की ईष्ट देवी / आराध्य देवी
  • कुल देवी – वाणमाता
  • सिसोदा गावँ का संस्थापक – राहप

राणा लाखा – 1326-1364

  • जावर में चाँदी की कहाँ प्राप्त हुई |
  • बंजारे ने पिछौला झील का निर्माण करवाया |
  • पिछौला झील के पास नटनी का चबूतरा बना हुआ है |
  • मारवाड़ के राय चून्डा की बेटी हंसा बाई की शादी मेवाड के राजा राणा लाखा से हुई | इस समय लाखा के पुत्र कुँवर चून्डा ने प्रतिज्ञा की, कि वह मेवाड का राजा नही बनेगा तथा हंसा बाई के होने वाले पुत्र को मेवाड का राजा बनाया जायेगा |
  • इसलिए चून्डा को मेवाड का भीष्म कहा जाता है |
  • राज्य के त्याग के कारण चून्डा को कई विशेषाधिकार दिए गये –
  1. मेवाड के 16 ठिकाने में से 4 प्रथम श्रेणी ठिकाने चून्डा को दिए गये, जिनमे सलूम्बर भी था |
  2. सलूम्बर का सामंत मेवाड के राजा का राजतिलक करेगा |
  3. सलूम्बर का सामंत मेवाड की सेना का सेनापति होगा |
  4. राणा की अनुपस्थिति में सलूम्बर का सामन्त राजधानी को संभालेगा तथा सलूम्बर का सामन्त मेवाड के राणा के साथ सभी कागजो पर हस्ताक्षर करेगा |

मोकल – 1421-1433

  • पिता – लाखा, माता – हंसाबाई
  • सरंक्षक – चून्डा
  • हंसाबाई के अविश्वास के कारण चून्डा मालवा चला गया |
  • हंसाबाई का भाई रणमल मोकल का सरंक्षक बना |
  • गोकल ने एकलिंग जी के मंदिर का परकोटा बनवाया |
  • चित्तौड़ में का पुननिर्माण करवाया |
  • 1433 में गुजरात के अहमदाबाद ने चित्तौड़ पर आक्रमण किया तथा जीजवाडा नामक स्थान पर चाचा, मेरा व मध्वा पंवार ने मोकल की हत्या कर दी |
  • हरावल:-सेना का अगला भाग – सलूम्बर का सामंत
  • चन्दावल:- सेना का पिछला भाग

कुम्भा 1433-1468पिता – मोकल, माता – सौभाग्यवती परमार

  • सरंक्षक – रणमल
  • कुम्भा ने रणमल की सहायता से चाचा, मेरा व मध्वा पंवार की हत्या कर दी |
  • मेवाड में रणमल का प्रभाव बढ़ गया तथा उसने सिसोदिया के नेता राघव देव को मरवा दिया |
  • हंसा बाई ने चून्डा को मालवा से वापस बुलाया तथा चून्डा ने भारगली की सहायता से रणमल को मार दिया |
  • रणमल का बेटा जोधा ने बीकानेर के पास काहुनी गावँ में शरण ली |
  • चून्डा ने राठोड़ो की राजधानी मंडौर पर अधिकार कर लिया |
  • आवंल- बावल की संधि – 1453:- 

         -> कुम्भा + जोधा

         ->मंडौर जोधा को वापस दे दिया गया |        

         ->सोजत को मेवाड व मारवाड़ की सीमा बनाया |

         ->कुम्भा के बेटे रायमल की शादी जोधा की बेटी श्रंगार कँवर से की |

  • सारंगपुर का युद्ध – 1437

->कुम्भा v/s महमूद खिलजी (मालवा) विजय

->युद्ध का कारण – महमूद खिलजी ने मोकल के हत्यारो को शरण दी थी |

->इस युद्ध की जीत में कुम्भा ने चित्तौड़ में विजय स्तम्भ का निर्माण करवाया |

  • चम्पारन की संधि :- 1456

->कुतुबुद्दीन (गुजरात) + महमूद खिलजी (मालवा)|

 ->उद्देश्य – कुम्भा को हराना |

  • बदनौर का युद्ध – 1457:-

 ->कुम्भा ने मालवा और गुजरात की संयुक्त सेना को हराया |

 ->कुम्भा ने सहसमल देवड़ा को हराया |

  • कुम्भा की सांस्कृतिक उपलब्धियाँ :-

 -> संगीत में निपुण

 -> वीणा बजाते थे |

 -> कुम्भा के संगीत गुरु – सारंग व्यास

 -> पुस्तके :- 1. सुधा प्रबन्ध

                           2.कामराज रतिसार – 7 भाग

                           3.संगीत सुधा

                           4.संगीत मीगांसा

                           5.संगीत राज  – 5 भाग :-

                                                    1. पाठ्य रत्न कोस

                                                    2. गीत रत्न कोस

                                                    3. नृत्य रत्न कोस

                                                     4. वाघ रत्न कोस

                                                     5. रस रत्न कोस

  • कुम्भा की टीकाये:-

-> जयदेव की गीत गोविन्द पर रसिक प्रिया नाम से टीका लिखी |

-> सारंग धर की संगीत रत्नाकर पर टीका लिखी |

-> बाणभट्ट की चण्डी शतक पर टीका लिखी |

  • कुम्भा ने 4 नाटको की रचना की |
  • कुम्भा मेवाड़ी, मराठी. तथा कन्नड़ भाषा का विद्धमान थे |
  • स्थापत्य कला:-

->कुम्भा को राजस्थान की स्थापत्य कला का जनक कहा जाता है |

->कवि राजा श्यामल दास की पुस्तक वीर विनोद के अनुसार कुम्भा ने मेवाड के 84 किलो में से 32 किलो का निर्माण करवाया |

  1. कुम्भलगढ़:-

->राजसमंद में

->वास्तुकार – मंडन

->इस किले को मेवाड – मारवाड़ का सीमा प्रहरी कहा जाता है |

 ->इस किले का सबसे ऊँचा स्थान कटारगढ़ कहा जाता है |

 ->यह कुम्भा की आँख कहा जाता है |

  • कुम्भलगढ़ प्रशस्ति का लेखक महेश था |

 -इस प्रशस्ति में कुम्भा को धर्म एवं पवित्रता का अवतार बताया है |

 -राणा हम्मीर को कुम्भलगढ़ प्रशस्ति में विसमघाटी पंचानन कहा है |

  1. अचलगढ़ :-

 ->सिरोही

 ->कुम्भा ने 1452ई. में पुन निर्माण करवाया |

  1. बसंत गढ़ (बसंती किला ):-

 ->सिरोही

  1. मचान किला :-

->गेर जनजाति को नियंत्रित करने हेतु |

  1. भोमट  किला :-

->भील जनजाति को नियंत्रित करने हेतु  

मंदिर :-

  1. कुम्भश्याम मंदिर :

    – तीन जगह पर बनवाये

            ->चित्तौड़गढ़

            ->कुम्भलगढ़

            ->अचलगढ़

  1. श्रंगार चंवरी मंदिर

    (शांति नाथ जैन मंदिर)

->वेला भण्डारी ने चित्तौड़ में बनवाया |

  1. रणकपुर जैन मंदिर :-

->1439 में धरणकशाह ने

->इनमे चौमुखा मंदिर प्रसिद्ध है | वास्तुकार – दीपक

->इसमें आदिनाथ (ऋषभदेव) की मूर्ति है |

->इस मंदिर में 1444 स्तम्भ है

->इसे स्तम्भों का अजायबघर कहते है |

  • विजय स्तम्भ:-

->अन्य नाम – कीर्ति स्तम्भ

->भारतीय मूर्तिकला का विश्व कोष

->विष्णु ध्वज  

->गरुड ध्वज  

->मूर्तियों का अजायबघर

->यह 9 मंजिला इमारत है |

->लम्बाई -122 फीट, चौड़ाई – 30फीट

->8वी मंजिल पर कोई मूर्ति नही है |

->3 वी मंजिल में 9 बार अल्लाह, अरबी भाषा में लिखा है |  

->वास्तुकार – जैता, पूजा, नापा, पौमा |

->कीर्ति स्तम्भ प्रशस्ति का लेखक – अत्रि व महेश |  

->महाराणा स्वरुप सिंह ने इसका पुननिर्माण करवाया था |

->प्रतीक चिन्ह –

  1. राजस्थान पुलिस  

  2. RBSE

  3.अभिनव भारत (वीर सावरकर का क्रान्तिकारी संगठन)

->विजय स्तम्भ राजस्थान की पहली इमारत है, जिस पर डाक टिकट जारी किया गया |

->जेम्स टॉड ने इसकी तुलना कुतुबमीनार से की |

->फर्ग्यूसन ने इसकी तुलना रोम के टार्जन टावर से की |

  • जैन कीर्ति स्तम्भ :-

->12वी शताब्दी में जैन व्यापारी जीजाशाह बघेरवाल ने बनाया था |

->यह चित्तौड़ के किले में 7 मंजिला ईमारत है |

->यह भगवान आदिनाथ को समर्पित है | इसलिए इसे आदिनाथ स्तम्भ भी कहते है|

  • कुम्भा के दरबारी विध्दान :-
  1. कान्ह व्यास – एकलिंग महाकाव्य

-> एकलिंग महाकाव्य का पहला भाग, राज वर्णन कुम्भा ने लिखा |

      2. मेहाजी – तीर्थमाला

      3. मंडन – 1. वास्तुकार

                     2. देवमूर्ति प्रकरण  

                     3. राज वल्लभ  

                     4. रूप मंडन – मूर्तिकला की जानकारी

                     5. कोदंड मंडन – धनुस निर्माण की जानकारी

  1. नाथा – वास्तु मंजरी

 -> यह मंडन का भाई था |

  1. गोविन्द – 1. द्वार दीपिका

                       2. उध्दार धोरिणी  

                       3. कलानिधि – शिखर निर्माण की जानकारी

                       4. सार समुच्चय – आयुर्वेद की जानकारी

                      ->यह मंडन का बेटा था |

  1. रमाबाई :- – मुम्भा की पुत्री

        ->पिता की तरह संगीत में रूचि |

       ->उपाधि – वागीश्वरी |

       ->रमाबाई को जावर परगना दिया गया |

  1. हीरानन्द मुनि :- कुम्भा के गुरु
  2. तिला भट्ट:-

कुम्भा के जैन विद्धान :-  1. सोमदेव सूरि

                                     2.सोमसुन्दर सूरि

                                     3. जय शेखर

                                     4.भुवन कीर्ति

->कुम्भा ने जैनों से तीर्थ यात्रा कर समाप्त कर दिया था |

->कुम्भा की उपाधियाँ:-   1. हिन्दू सुरताण

                                        2. अभिनव भरताचार्य – संगीत से  

                                        3. राणा रासो – साहित्य

                                        4. हाल गुरु – पहाड़ी किले जीतने के कारण  

                                        5.चाप गुरु – धनुर्धर  

                                        6. परम भागवत – गुप्त वंश उपाधि

                                        7. आदि वराह – गुर्जर प्रतिहार उपाधि

->कुम्भा की हत्या, उसके बेटे उदा ने कुम्भलगढ़ किले में की थी |

रायमल  1473-1509
  • एकलिंग मंदिर का वर्तमान स्वरुप बनवाया |
  • रानी श्रंगार कँवर ने घोसुण्डी में बावड़ी का निर्माण करवाया |

  धोसुण्डी अभिलेख :-    

->यह दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व का अभिलेख है |

->वैष्णव धर्म की जानकारी देने वाला राजस्थान का प्राचीनतम अभिलेख |  

->इसके अनुसार राजा सर्वतात् ने अश्वमेघ यग्य का आयोजन करवाया |

पृथ्वीराज :-

->यह रायमल का बेटा है |

->इसे उड़ना राजकुमार कहा जाता है |

->अपनी रानी तारा के नाम पर अजमेर दुर्ग का नाम बदलकर तारागढ़ कर दिया |

->कुम्भलगढ़ में 12 खम्भों की छतरी |

जयमल :-

->रायमल का बेटा |

->सोलंकियों से लड़ता हुआ मारा गया |  

राणा सांगा / संग्राम सिंह  1509-1528

  • पिता – रायमल
  • अपने भाइयो से विवाद होने का वाद श्रीनगर (अजमेर) के कर्मचन्द पंवार के पास शरण ली |
सांगा v/s इब्राहिम लोदी (दिल्ली)

1.खातोली (कोटा) युद्ध (1517)       2.बाड़ी (धौलपुर) युद्ध (1518)

  • दोनों में सांगा की विजय हुई |

सांगा v/s महमूद खिलजी – II (मालवा)

->गागरोण का युद्ध – 1519

->सांगा जीत गये |

->इस समय गागरोण (झालवाड) का किला चन्देरी के राजा में दिनी राय के पास था |

->हरिदास चारण ने महमूद खिलजी–II को पकड़ा इसलिए सांगा ने उसे 12गावँ दिए |

->राणा सांगा ने राज. के सभी राजाओ को पत्र लिखा |

->तथा बाबर के खिलाफ सहायता की मांग की |(पाती – परवन)

->आगेर – पृथ्वीराज |

->मारवाड़ – मालदेव (राजा – गंगा)|

->बीकानेर – कल्याणमल  (राजा – जैतसी) |

->मेड़ता – वीरमदेव |

->सिरोही – अखेराज देवड़ा

->ईडर – भारमल

->वागड – उदयसिंह

->देवलिया(प्रतापगढ़) – बाघ सिंह

->सलूम्बर – रतनसिंह चूण्डावत

->सादडी – झाला अज्जा

->मेवात – हसन खां मेवाती

->अफगानी – महमूद लोढ़ी(इब्राहिम लोदी का भाई)

->बाबर ने जीत के बाद गाजी की उपाधि धारण की |

->सांगा के घायल होने के बाद झाला अज्जा ने युद्ध का नेतृत्व किया |  

खानवा युद्ध के कारण :-

       1. महत्वकांक्षाओ का टकराव |

       2. राजपूत – अफगान गठबंधन |

       3. सांगा ने दिल्ली के आस पास के क्षैत्रो पर अधिकार कर लिया था |

       4. बाबर ने सांगा पर वादा तोड़ने का आरोप लगाया |  

सांगा की हार के कारण :-

       1. सांगा की सेना में एकता की कमी

 ->सांगा की सेना अलग – अलग सेनापतियो के नेतृत्व में लड़ रही थी |

       2. बाबर का तोपखाना |

       3. बाबर की तुलुगमा युद्ध पद्धति |

       4. सांगा ने बाबर को युद्ध की तैयारी का पर्याप्त समय दे दिया |

       5. सांगा खुद युद्ध के मैदान में चले गये |

       6. सांगा के साथियों ने सांगा से विश्वश्घात किया तथा युद्ध के दौरान बाबर से मिल गये |

  ->जैसे – रायसीन का सलहदी तवर

  ->नागौर के खान जादे मुस्लिम

      7. सांगा की सेना ने हाथियों का प्रयोग किया जबकि बाबर की सेना ने घोड़ो का प्रयोग किया |

      8. मुगल सैना ने राजपूत सैना की अपेक्षा हल्के हथियारों का प्रयोग किया |

खानवा युद्ध के परिणाम :-

       1. अफगानों तथा राजपूतो को हराने के बाद बाबर के लिए भारत में राज करना आसान हो गया |

       2. खानवा अंतिम युद्ध था जिसमे राज. के राजपूतो राजाओ में एकता देखी गई |

       3. सांगा अंतिम राजपूतो राजा था जिसने दिल्ली को चुनौती दी थी |

       4. सांगा के बाद बड़े हिन्दू राजा नही बचे, जिससे हिन्दू संस्कृति को नुकसान पहुचा |

       5. राजपूतो की सामरिक कमजोरिया उजागर हो गई |

       6. खानवा युद्ध के बाद मुगलों की राजपूतो के प्रति भविष्य की नीति निर्धारित हुई |

-> कालांतर में अकबर ने मित्रता की नीति अपनाई |

-> बसबा – यहाँ पर घायल सांगा का इलाज किया गया |

-> ईरिच (M.P)  – यहाँ पर सांगा को जहर दिया गया |

-> काल्पी – सांगा की मृत्यु |

-> माण्डलगढ़ – सांगा की छतरी |  

सांगा की उपाधियाँ :-

 1. हिन्दुपती

 2. सैनिको का भग्नावशेज (80 घाव)

  • बाबर नामा के आनुसार सांगा के दरबार में –

    -> 7 – राजा थे |

    -> 9 – राव थे |

    -> 104 – सरदार थे |

  • सांगा के बड़े बेटे भोजराज की शादी मीराबाई से हुई |
  • सांगा की मृत्यु के बाद रतनसिंह मेवाड का राजा बना | वह बूंदी के सूरजमल के खिलाफ लड़ता हुआ मारा गया |
विक्रमादित्य 1531-1536
  • पिता – सांगा, माता – कर्मावती (सरंक्षिका) |
  • 1583 ई. में गुजरात के बहादुरशाह ने मेवाड पर आक्रमण किया | कर्मावती ने रणथम्भौर का किला देकर संधि कर ली |
  • 1534-35 में बहादुर ने मेवाड पर दुबारा आक्रमण किया | कर्मावती ने मुगल बादशाह हुमायु को राखी भेजी तथा सहायता की मांग की |
  • 1535 में चित्तौड़ का दूसरा साका हुआ |

     -> रानी कर्मावती ने जौहर किया |

     -> देवलिया के बाघ सिंह के नेतृत्व में केसरिया हुआ |

  • बनवीर को मेवाड का प्रशासक बनाया गया |
  • बनवीर उड़ना राजकुमार पृथ्वीराज की दासी का पुत्र था |
  • बनवीर ने विक्रमादित्य की हत्या कर दी |
  • पन्ना धाय ने अपने पुत्र चन्दन का बलिदान देकर उदयसिंह को बचा लिया | पन्ना धाय तथा उदयसिंह ने कुम्भलगढ़ में आशा देवपुरा के पास शरण ली |

Frequently Asked Questions

1.What is the old name of Mewar?
Ans:- Medapata
2.Who founded the city of Mewar?
Ans:- Mewar was founded by Bappa Rawal
3.Who is the famous King of Mewar?

Ans- Pratap Singh I, popularly known as Maharana Pratap (c. 9 May 1540 – 19 January 1597)

  1.  

Other Popular Articles

HISTORY OF CHAUHAN DYNASTY PART – 1

HISTORY OF CHAUHAN DYNASTY PART- 2

HISTORY OF CHAUHAN DYNASTY PART – 3

faq

Frequently Asked Questions

Get answers to the most common queries

FAQ content not found.

Crack Railway Exam with RAS Insider

Get free access to unlimited live and recorded courses from India’s best educators

Structured syllabus

Daily live classes

Ask doubts

Tests & practice

Notifications

Get all the important information related to the RPSC & RAS Exam including the process of application, important calendar dates, eligibility criteria, exam centers etc.

Related articles

Learn more topics related to RPSC & RAS Exam Study Materials

RAJASTHAN RIGHT TO HEALTH BILL | RAS EXAM

स्वास्थ्य का अधिकार | RAS EXAM प्रदेशवासियों को मिला स्वास्थ्य का अधिकार प्रावधान :- Frequently Asked Questions Q.01 What is in right to health bill? Ans: The Act gives every

राजस्थान प्रमुख भू-आकृतिक प्रदेश एवं उनकी विशेषताएँ | GEOMORPHIC | RAS | PRE | MAINS

GEOMORPHIC REGIONS OF RAJASTHAN | RAS राजस्थान प्रमुख भू-आकृतिक प्रदेश एवं उनकी विशेषताएँ राजस्थान प्रमुख भू-आकृतिक प्रदेश एवं उनकी विशेषताएँ -राजस्थान एक विशाल राज्य है अत: यहाँ धरातलीय विविधताओ का

राजस्थान के प्रतीक चिन्ह | RAS EXAM

राजस्थान के प्रतीक चिन्ह | RAS | PRE | MAINS राज्य पक्षी ‘गोडावण’ :- राज्य पशु ‘चिंकारा’ (वन्य जीव श्रेणी) :- राज्य पुष्प ‘रोहिड़ा’ :- राज्य वृक्ष ‘खेजड़ी’ :- राज्य

Access more than

100+ courses for RPSC & RAS Exams