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NATURAL VEGETATION OF INDIA | भारत की प्राकृतिक वनस्पति

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भारत की प्राकृतिक वनस्पति | NATURAL VEGETATION OF INDIA | RAS

वनस्पति के विकास को विभिन्न कारक प्रभावित करते है 

उच्चावच :- मैदानी क्षेत्रों में वनस्पति का विकास अधिक होता है पथरीले उबड़-खाबड़ क्षेत्रों में वनस्पति का विकास कम होता है |

तटवर्ती क्षेत्रों में विशेष प्रकार की वनस्पति पाई जाती है | e.g. मेंग्रोव (Mangrove)

मृदा :-
  • जलोढ़ उपजाऊ मृदा में वनस्पति का विकास अधिक होता है |
  • लैटराइट मृदा में वनस्पति का विकास कम होता है |
  • शुष्क मृदा में कांटेदार वनस्पति का विकास होता है |
जलवायु :-
  • तापमान तथा वर्षा वनस्पति के विकास को प्रभावित करते है |
  • अधिक तापमान वाले क्षेत्रों में उष्ण कटिबन्धीय वनस्पति का विकास होता है |

e.g. सागवान (Teak), साल

  • निम्न तापमान वाले क्षेत्रों में शीतोष्ण कटिबन्धीय वनस्पति का विकास होता है |

e.g. फर, स्प्रूस

  • > 200 cm = सदाबहार (Evergreen)

75 – 200 cm     =    पतझड़ (Deciduous) 25 – 75 cm       =    कांटेदार (Thorny) < 25 cm         =     मरुद्भिद (Xerophytes)

सूर्य का प्रकाश  (Photoperiod) :-
  • जहाँ सूर्य का प्रकाश अधिक प्राप्त होता है वहाँ वनस्पति का विकास अधिक होता है |
  • उष्ण कटिबन्धीय क्षेत्रों में शीतोष्ण कटिबन्धीय क्षेत्रों से अधिक वनस्पति का विकास होता है |
  • इसी कारण से हिमालय के दक्षिणी ढाल पर वनस्पति का विकास उत्तरी ढाल की अपेक्षा अधिक होता है|

 

वनस्पति के प्रकार

Natural vegetation of india
भारत की प्राकृतिक वनस्पति
  1. उष्ण कटिबन्धीय सदाबहार वनस्पति :-
  • यह वनस्पति अधिक तापमान (26-27°C) तथा अधिक वर्षा (>200 cm) वाले क्षेत्रों में पाई जाती है |
  • यह वनस्पति किसी एक ऋतु में एक साथ अपने पत्ते नही गिराती अत: यह सदाबहार बनी रहती है |
  • अनुकूल परिस्थितियाँ होने के कारण यहाँ सघन वनस्पति का विकास होता है एवं बहुत अधिक जैव विविधता पाई जाती है |
  • वनस्पति घनत्व अधिक होने के कारण यहाँ की वनस्पति प्रजातियाँ सौर ताप के लिए प्रतिस्पर्धा करती है अत: यहाँ ऊँचे वृक्षों (45-60 m) का विकास होता है |
  • यहाँ कठोर लकड़ी वाले वृक्ष पाए जाते है |
  • इस वनस्पति का वाणिज्यिक दोहन संभव नही है |
  • इस वनस्पति की मुख्य प्रजातियाँ है :-

         मोहगनी, एबोनी, रोजवुड, सफ़ेद केदार

  • यह वनस्पति मुख्य रूप से NE राज्यों तथा पश्चिमी घाट में पाई जाती है |
  • यह अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में भी जाती है |
  1. उष्ण कटिबन्धीय पतझड़ वनस्पति :-
  • यह वनस्पति उच्च तापमान तथा 75 – 200 cm वर्षा वाले क्षेत्रों में पाई जाती है |
  • इसे मानसून वनस्पति भी कहते है |
  • यह वनस्पति प्रजातियाँ एक साथ शुष्क ऋतु में अपनी पत्तियां गिराती है अत: इन्हें पतझड़ वनस्पति कहते है |
  • यह वाणिज्यिक रूप से अत्यधिक महत्वपूर्ण वनस्पति है |
  • वर्षा के आधार पर इस वनस्पति के दो प्रकार पाए जाते है :-
उष्ण कटिबन्धीय आर्द्र पतझड़ वनस्पति :-
  • यह वनस्पति 100 – 200 cm वर्षा वाले क्षेत्रों में पाई जाती है |
  • यहाँ की प्रमुख वनस्पति प्रजाति सागवान है |
उष्ण कटिबन्धीय शुष्क पतझड़ वनस्पति :-
  • यह वनस्पति 75 – 100 cm वर्षा वाले क्षेत्रों में पाई जाती है |
  • यहाँ की प्रमुख वनस्पति प्रजाति साल है |
  • आर्द्र पतझड़ वनस्पति शिवालिक पर्वतीय क्षेत्र, NE राज्य, झारखण्ड, पश्चिम बंगाल, पूर्वी MP, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, कोरोमण्डल तट तथा पश्चिमी घाट के पूर्वी ढालो पर पाई जाती है |
  • शुष्क पतझड़ वनस्पति पंजाब, हरियाणा, UP, पूर्वी राजस्थान, पश्चिमी MP, गुजरात तथा प्रायद्वीपीय भारत के सभी राज्यों में पाई जाती है |
  1. उष्ण कटिबन्धीय काँटेदार वनस्पति :-
  • यह वनस्पति उच्च तापमान तथा 25 – 75 cm वर्षा वाले क्षेत्रों में पाई जाती है |
  • शुष्क परिस्थितियाँ होने के कारण इस वनस्पति प्रजाति की पत्तियां छोटी होती है एवं इनमे कांटे पाए जाते है |
  • छोटी पत्तियां एवं कांटे जल के हास को कम करने के लिए होते है |
  • इस वनस्पति की प्रमुख प्रजातियाँ है :-

         खेजड़ी, बबूल, कैर etc

  • जिन क्षेत्रों में 25 cm से कम वर्षा प्राप्त होती है वहाँ मरुद्भिद वनस्पति पाई जाती है |
  • यह वनस्पति मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी राजस्थान, गुजरात तथा प्रायद्वीपीय भारत के आंतरिक भाग में पाई जाती है |
  1. मेंग्रोव वनस्पति :-
  • यह वनस्पति तटवर्ती डेल्टा क्षेत्रों में पाई जाती है |
  • यह मीठे तथा खारे दोनों प्रकार के जल में जीवित रह सकती है क्यूंकि इस वनस्पति न्यूमेटाफ़ोर्स (Pneumetaphores) पाई जाती है |
  • यह जड़े सतह से ऊपर की ओर उठती है तथा सीधे वायुमण्डल से O2 का अवशोषण करती है |
  • विश्व की कुल मेंग्रोव वनस्पति प्रजातियों का 3% भाग भारत में पाया जाता है |
  • मेंग्रोव उत्पादक पारिस्थितिकी तंत्र होते है जहाँ बहुत अधिक जैव विविधता पाई जाती है |
  • सुंदरवन डेल्टा क्षेत्र में सुन्दरी नामक मेंग्रोवप्रजाति पाई जाती है |
  • यह वनस्पति मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडू, गोवा, महाराष्ट्र एवं गुजरात में पाई जाती है |
  1. पर्वतीय वनस्पति :-
  • पर्वतीय क्षेत्रों में ऊंचाई बढने के साथ तापमान तथा वर्षा की मात्रा में परिवर्तन होता है अत: पर्वतीय क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार की वनस्पति पाई जाती है |

उपोष्ण कटिबन्धीय पर्वतीय वनस्पति :-

  • यह वनस्पति 1000 – 2000m. की ऊंचाई के बीच पाई जाती है |
  • वर्षा के आधार पर इस वनस्पति को दो प्रकारों में बांटा जाता है |

(i) उपोष्ण कटिबन्धीय चौड़ी पत्ती वाली सदाबहार वनस्पति –

  • यह वनस्पति 88°E के पूर्व में पाई जाती है |
  • यहाँ लगभग 125 cm वर्षा प्राप्त होती है |
  • यहाँ की मुख्य वनस्पति प्रजातियाँ मेपल, ओक, चेस्टनट है |

(ii) उपोष्ण कटिबन्धीय चीड़ वनस्पति –

  • यह वनस्पति 88°E के पश्चिम में पाई जाती है |
  • यहाँ लगभग 75 – 100 cm वर्षा प्राप्त होती है |
  • यहाँ की मुख्य वनस्पति प्रजातियाँ चीड़ (Pine) एवं देवदार है |

कोणधारी पर्वतीय वनस्पति :-

  • यह वनस्पति 1800 – 3000m. के बीच पाई जाती है |
  • इस ऊंचाई पर तापमान कम हो जाता है तथा वर्षा की मात्रा बढ़ जाती है |
  • यहाँ लगभग 150 – 200 cm वर्षा प्राप्त होती है |
  • यहाँ कोमल लकड़ी वाले वृक्ष पाए जाते है |
  • यह वृक्ष वाणिज्यिक दृष्टि से महत्वपूर्ण होते है |
  • इस वनस्पति को दक्षिण भारत में शोला कहते है |
  • इस वनस्पति की प्रमुख प्रजातियाँ फर, पाइन (चीड़), स्प्रूस तथा केदार है |

 

अल्पाइन पर्वतीय वनस्पति :-

  • यह वनस्पति 3000 – 4000 m. की ऊंचाई के बीच पाई जाती है |
  • इस ऊंचाई पर तापमान और वर्षा कम हो जाती है अत: इस ऊंचाई पर शीतोष्ण कटिबन्धीय घास के मैदान तथा छोटे पेड़-पौधे का विकास होता है |
  • इस क्षेत्र की प्रमुख प्रजातियाँ लाइकेन, मॉस, हनिसक्ल (Honeysuckle), जुनिपर (Juniper) है | 
 
वनों का प्रशासनिक वर्गीकरण :-
  1. आरक्षित : सभी प्रकार की मानव गतिविधियाँ प्रतिबंधित है|
  2. सरंक्षित : सरकार की अनुमति से सीमित मानव गतिविधियाँ की जा सकती है|
  3. अवर्गीकृत :  इन वनों को काटने पर या वन उत्पाद प्राप्त करने पर सरकार को भुगतान करना होता है|
  4. राजकीय वन : इसका नियंत्रण, प्रबंधन तथा सरंक्षण सरकार के द्वारा किया जाता है |
  5. व्यक्तिगत वन : इसका नियंत्रण, प्रबंधन तथा सरंक्षण स्थानीय निकाय के द्वारा किया जाता है |
  6. सामुदायिक वन: इसमें निजी क्षेत्र के अन्तर्गत आने वाले वन सम्मिलित है |

FREQUENTLY ASKED QUESTIONS

Q.01 आज भारत की प्राकृतिक वनस्पति कितनी प्राकृतिक है?

Ans: भारत में मुख्य रूप से पाँच प्रकार की प्राकृतिक वनस्पति पाई जाती है, इन सभी का उल्लेख नीचे किया गया है: उष्णकटिबंधीय सदाबहार वन।

Q.02 प्राकृतिक वनस्पति कौन कौन सी है?

Ans: हुर्रा, महुआ, आँवला, सेमल, कुसुम और चंदन आदि प्रजातियों के वृक्ष इन वनों में पाए जाते हैं। कारण प्राकृतिक वनस्पति बहुत विरल है । उष्ण कटिबंधीय काँटेदार वन उन भागों में पाए जाते हैं, जहाँ वर्षा 50 सेंटीमीटर से कम होती है। इन वनों में कई प्रकार के घास और झाड़ियाँ शामिल हैं।

Q.03 भारत की प्राकृतिक वनस्पति को कितने भागों में बांटा गया है?

Ans: भारत को आठ वनस्‍पति क्षेत्रों में बांटा जा सकता है- पश्चिमी हिमाचल, पूर्वी हिमाचल, असम, सिंधु नदी का मैदानी क्षेत्र, दक्कन, गंगा का मैदानी क्षेत्र, मालाबार और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह। पश्चिमी हिमाचल क्षेत्र कश्‍मीर के कुमाऊं तक फैला है।

Q.04 भारत में कौन सी प्राकृतिक वनस्पति सबसे अधिक मिलती है?

  • उष्णकटिबंधीय सदाबहार वन ये वन सालभर हरे-भरे रहते हैं। …
  • उष्णकटिबंधीय आर्द्र पर्णपाती वन इन्हें पतझड़ या पर्णपाती वन भी कहा जाता है। …
  • उष्णकटिबंधीय शुष्क पर्णपाती वन ये वनस्पतियां 70 से 100 सेमी. …
  • कंटीले वन व झाड़ियां …
  • पर्वतीय वन …
  • ज्वारीय वन या मैंग्रोव वन

Q.05 भारत का मुख्य वनस्पति कौन सा है?

Ans: प्रमुख वृक्ष शीशम, साल, सागौन, साखू, आम, आंवला, चंदन। इन वृक्षों का इमारती प्रयोग सर्वाधिक होता है। अतः आर्थिक उपयोगिता सबसे अच्छी है। चंदन मुख्य रूप से कर्नाटक तथा नीलगिरी पहाड़ी क्षेत्र में पाया जाता है।

Q.06 प्राकृतिक वनस्पति की कुल कितनी श्रेणियां है?

Ans: आमतौर पर प्राकृतिक वनस्पति को निम्न तीन मुख्य श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है : (क) वन : जो वृक्षों के लिए उपयुक्त तापमान एवं परिपूर्ण वर्षा वाले क्षेत्रों में उगते हैं। इन कारकों के आधार पर सघन एवं खुले वन विकसित होते हैं।

Q.07 भारत में मूल वनस्पति आवरण का क्या हुआ?

Ans: भारत की प्राकृतिक वनस्पति में कई कारकों के कारण कई परिवर्तन हुए हैं, जैसे खेती की भूमि की बढ़ती मांग, उद्योगों और खनन का विकास, शहरीकरण और चरागाहों की अत्यधिक चराई।

Q.08 प्राकृतिक वनस्पति के तीन प्रकार कौन से हैं?

Ans: प्राकृतिक वनस्पति की तीन व्यापक श्रेणियों में वन, घास के मैदान और झाड़ियाँ शामिल हैं।

Q.09 भारत में सबसे ज्यादा कौन से वन पाए जाते हैं?

Ans: सही उत्तर उष्णकटिबंधीय पर्णपाती वन है। उष्णकटिबंधीय नम पर्णपाती वन भारत के सबसे बड़े क्षेत्र में पाए जाते हैं।

Q.10 भारत में कितना आरक्षित वन है?

Ans: वन आवरण सरकार द्वारा वन के रूप में घोषित कुल भौगोलिक क्षेत्र है। 2021 तक, भारत में कुल वन आवरण 80.9 मिलियन हेक्टेयर है, जो कुल भौगोलिक क्षेत्र का 24.62 प्रतिशत है।

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