
संविधान संशोधन | CONSTITUTIONAL AMENDMENT | RAS | PRE | MAINS
Published on December 8, 2022 by Just Prep Raj |
Last Updated on April 7, 2023 by Just Prep Raj
CONSTITUTIONAL AMENDMENT | RAS | PRE | MAINS
संविधान संशोधन
- भारत के संविधान में संशोधन करने का मुख्य उद्देश्य देश के मौलिक कानूनों को बदलाव के माध्यम से ओर मजबूत करना है |
- संविधान के भाग XX में संशोधन की प्रक्रिया दी गई है (अनु. 368)
- संविधान संशोधन के प्रावधान दक्षिण अफ्रीका के संविधान से लिये गए है |
- संविधान संशोधन की प्रक्रिया न तो बहुत लचीली है न ही बहुत कठोर है बल्कि इनका सम्मिलित रूप है|
संसद संविधान में संशोधन तो कर सकती है लेकिन मूल ढांचे प्रावधानो को संशोधित नही कर सकती है (केशवानन्द भारतीवाद, 1973) संविधान संशोधन की प्रक्रिया (अनु. 368):-
- संविधान संशोधन विधेयक को संसद के किसी भी सदन में प्रस्तुत किया जा सकता है |
- इसे मंत्री या निजी सदस्य, किसी के भी द्वारा लाया जा सकता है |
- ऐसे विधेयक को प्रस्तुत करने के लिये राष्ट्रपति की पूर्व अनुमति की आवश्यकता नही होती है |
- विधेयक को पारित करने के लिये विशेष बहुमत की आवश्यकता होती है अर्थात् सदन के कुल सदस्यों का बहुमत + सदन में उपस्थित व मतदान करने वाले सदस्यों का 2/3 बहुमत (50% + उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों का 2/3)
- संघात्मक प्रावधानों से संबंधित संशोधन के लिये विशेष बहुमत तथा आधे राज्यों की विधानमंडल के साधारण बहुमत से संस्तुति जरुरी होती है |
- दोनों सदनों द्वारा विधेयक को विशेष बहुमत से पारित किया जाना आवश्यक होता है |
- संविधान संशोधन विधेयक पर सदनों की संयुक्त बैठक का प्रावधान नही है |
- 24 वें संविधान संशोधन के द्वारा अनुच्छेद 368 में संशोधन करके यह प्रावधान किया गया की संसद, संविधान के किसी भी प्रावधान को संशोधन कर सकती है | तथा यह भी प्रावधान किया गया की राष्ट्रपति दोनों सदनों से पारित संविधान संशोधन विधेयक पर हस्ताक्षर करने के लिये बाध्य है |
- राज्य विधानमंडल में संविधान संशोधन विधेयक प्रस्तुत नही किया जा सकता है |
बहुमत के प्रकार :-
(i) साधारण बहुमत :- प्रत्येक सदन में उपस्थित व मतदान करने वाले सदस्यों का बहुमत |
- यह एक सामान्य कानून पारित करने के ही समान है |
- ऐसे संशोधनों को अनुच्छेद 368 के तहत किया गया संशोधन नही माना जाता है |
उदाहरण :- नए राज्यों का प्रवेश / स्थापना (अनु.2)
संसद में गणपूर्ति (अनु.100)
सर्वोच्च न्यायालय में जजों की संख्या
निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन (अनु.82)
नागरिकता (अनु. 5-11)
अधिकारिक भाषा का उपयोग (अनु.343)
(ii) विशेष बहुमत :-
- सदन के कुल सदस्यों का बहुमत और प्रत्येक सदन के उपस्थित एवं मतदान करने वाले सदस्यों का 2/3 बहुमत |
उदाहरण:- मूल अधिकार में संशोधन राज्य के नीति निर्देशक तत्व हाल ही में 103वें संशोधन के माध्यम से आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिये 10% आरक्षण |
(iii) संसद का विशेष बहुमत और आधे राज्यों की सहमति :-
- विशेष बहुमत और आधे राज्यों के विधानमंडल के साधारण बहुमत |
- ज्यादातर संघीय प्रावधानों को इसी प्रक्रिया द्वारा संशोधित किया जाता है |
उदाहरण:- GST से संबधित 101 वां संशोधन अन्य:-
- राष्ट्रपति का निर्वाचन और निर्वाचन की रीति (अनु.54,55)
- सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय (अनु.124,214)
- केंद्र और राज्यों के बीच विधायी शक्तियां का वितरण
- सातवीं अनुसूची
- संसद में राज्यों का प्रतिनिधित्व
हालिया संशोधन :- 101 वां संशोधन – 1 जुलाई 2017 से GST लागू किया जाना 102 वां संशोधन – राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा 103 वां संशोधन – आर्थिक रूप से पिछड़ा वर्गों के लिये 10% आरक्षण 104 वां संशोधन – लोकसभा और राज्य विधानसभा में SC/ST के आरक्षण समय सीमा में
Frequently Asked Questions
Q.01 वर्तमान में भारत में कितने संविधान संशोधन हो चुके हैं?
Ans: अक्टूबर 2021 तक, 1950 में पहली बार अधिनियमित होने के बाद से भारत के संविधान में 105 संशोधन हुए हैं। भारत के संविधान में तीन प्रकार के संशोधन हैं जिनमें से दूसरे और तीसरे प्रकार के संशोधन अनुच्छेद 368 द्वारा शासित हैं।
Q.02 105 वां संविधान संशोधन कौन सा है?
Ans: 105वां संशोधन अधिनियम, 2021
यह सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों (SEBC) की पहचान करने और उन्हें निर्दिष्ट करने के लिए राज्य सरकारों की शक्ति को पुनर्स्थापित करता है।
Q.03 भारत के संविधान में कितने कानून है?
Ans: भारतीय संविधान में वर्तमान समय में भी केवल 395 अनुच्छेद, तथा 12 अनुसूचियाँ हैं और ये 25 भागों में विभाजित है। परन्तु इसके निर्माण के समय मूल संविधान में 395 अनुच्छेद जो 22 भागों में विभाजित थे इसमें केवल 8 अनुसूचियाँ थीं।
Q.04 प्रथम संविधान संशोधन कब हुआ था?
Ans:- Detailed Solution. सही उत्तर 1951 है। भारतीय संविधान का पहला संशोधन विधेयक वर्ष 1951 में पारित किया गया था।
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