
Abhishek Shekhawat
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सर्वोच्च न्यायालय | RAS | PRE | MAINS
Published on December 21, 2022 by Abhishek Shekhawat |
Last Updated on March 14, 2023 by Abhishek Shekhawat
सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court)
उच्चतम न्यायालय
- भारतीय संविधान के भाग V में अनुच्छेद 124-147 तक उच्चतम न्यायालय के गठन का प्रावधान है |
- न्यायालय की यह एकल व्यवस्था भारत सरकार अधिनियम 1935 से ली गई है |
- स्वतंत्रता के पश्चात् संघीय न्यायालय और प्रिवी परिषद् को सर्वोच्च न्यायालय से प्रतिस्थापित किया गया| इस तरह भारत के उच्चतम न्यायालय का उद्घाटन 26 जनवरी 1950 को किया गया था |
- 1950 में संविधान में एक मुख्य न्यायाधीश और 7 अन्य न्यायाधीशो की कल्पना की गई थी |
- इन्हें वित्तीय आपात की स्थिति के अलावा कम नहीं किया जा सकता |
- वह 65 वर्ष की आयु तक इस पद पर बना रह सकता है |
- वह राष्ट्रपति को लिखित त्यागपत्र दे सकता है |
- संसद की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा उसे पद से हटाया जा सकता है |
- उसे राष्ट्रपति के आदेश द्वारा उसके पद से हटाया जा सकता है |
- राष्ट्रपति ऐसा तभी कर सकता है, जब इस प्रकार हटाये जाने हेतु संसद द्वारा उसी सत्र में ऐसा संबोधन किया गया हो |
- न्यायाधीश जांच अधिनियम (1968) उच्चतम न्यायालय के न्यायधीशो को हटाने के संबध में महाभियोग की प्रक्रिया का उपबंध करता है |
- 100 सदस्य (लोकसभा) या 50 सदस्य (राज्यसभा) द्वारा हस्ताक्षर करने के बाद निष्कासन प्रस्ताव अध्यक्ष / सभापति को दिया जाना चाहिए |
- अगर अध्यक्ष / सभापति इस प्रस्ताव को शामिल कर लेते है तो इसकी जांच के लिये तीन सदस्यीय समिति का गठन किया जाएगा
- समिति अगर दोषी पाती है तो सदन इस प्रस्ताव पर आगे विचार करती है |
- विशेष बहुमत से दोनों सदनों में प्रस्ताव पारित कर राष्ट्रपति को भेजा जाता है |
- अंत में राष्ट्रपति द्वारा न्यायाधीश को हटाने का आदेश जारी कर दिया जाता है |
- उच्चतम न्यायालय के किसी भी न्यायाधीश पर अभी तक महाभियोग नहीं लगाया गया है |
- संविधान के अनुसार उच्चतम न्यायालय का स्थान दिल्ली निर्धारित
- मुख्य न्यायाधीश को यह अधिकार है की उच्चतम न्यायालय का स्थान कही ओर निर्धारित कर सकता है, परन्तु इसके लिये राष्ट्रपति की पूर्व अनुमति जरूरी होती है |
- राज्य व केंद्र के मध्य विवाद
- दो या अधिक राज्यों के बीच
- केंद्र और एक से अधिक राज्यों का दूसरी तरफ होना
- दीवानी मामले
- अपराधिक मामले
- उच्चतम न्यायालय की कार्यवाही व फैसले सार्वकालिक अभिलेख / साक्ष्य के रूप में रखे जाएगे |
- उच्चतम न्यायालय के पास न्यायालय की अवमानना पर दंडित करने का अधिकार है |
- उच्चतम न्यायालय अपने स्वयं के फैसले या आदेशो की समीक्षा कर सकता है |