निर्वाचन आयोग | ELECTION COMISSION
- निर्वाचन आयोग एक स्थायी व स्वतंत्र निकाय है |
- निर्वाचन आयोग का गठन भारत के संविधान द्वारा देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव संपन्न कराने जे उद्देश्य से किया गया था |
- संविधान के अनुच्छेद – 324 में निर्वाचन आयोग से संबंधित उपबंध दिये गये है |
- अनुच्छेद -324 के अनुसार संसद, राज्य विधानमंडल, राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति के पदों के निर्वाचन के लिये संचालन, निर्देशन व नियंत्रण की जिम्मेदारी चुनाव आयोग की होगी |
निर्वाचन आयोग की सरंचना :-
- निर्वाचन आयोग मुख्य निर्वाचन और अन्य निर्वाचन आयुक्तों से मिलकर बना होता है |
- मुख्य निर्वाचन आयुक्त और अन्य निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है |
- राष्ट्रपति, निर्वाचन आयोग की सलाह पर प्रादेशिक आयुक्तों की नियुक्ति कर सकता है | जिसे वह आवश्यक समझे |
- निर्वाचन आयोग के कार्यालय का कार्यकाल और सभी आयुक्तों की सेवा व शर्ते देश के राष्ट्रपति द्वारा निर्धारित की जाएगी |
भारतीय निर्वाचन आयोग की संवैधानिक नियुक्ति :- 1950 में अपनी स्थापना के बाद से और 15 अक्टूबर 1989 तक चुनाव आयोग एक सदस्यीय निकाय था | जिसके एकमात्र सदस्य मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) थे |
- 16 अक्टूबर, 1989 को मत देने की न्यूनतम आयु 21 से 18 वर्ष करने के बाद राष्ट्रपति ने आयोग के काम के भार को कम करने के लिये दो अन्य निर्वाचन आयुक्तों को नियुक्त किया |
- हालांकि 1990 में दो निर्वाचन आयुक्तों के पद को समाप्त कर दिया गया |
- 1993 में एक बार फिर राष्ट्रपति ने दो निर्वाचन आयुक्तों को नियुक्त किया इसके बाद से अब तक आयोग बहुसदस्यीय संस्था के रूप में काम कर रहा है |
- मुख्य निर्वाचन आयुक्त व दो अन्य निर्वाचन आयुक्तों के पास समान शक्तियाँ होती है तथा उनके वेतन भत्ते और अन्य परिलब्धियां भी समान होती है | जो सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के समान होती है |
चुनाव आयोग / निर्वाचन आयोग की स्वतंत्रता :- संविधान के अनुच्छेद- 324 में चुनाव आयोग को स्वतंत्र व निष्पक्ष कार्य करने के लिये निम्न उपबंध है :-
- मुख्य निर्वाचन आयुक्त को कार्यकाल की सुरक्षा प्रदान की जाती है | उसे उसके पद से उसी तरह से हटाया जा सकता है जैसे सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश को अर्थात् साबित कदाचार और अक्षमता के आधार पर |
उसे संसद के दोनों सदनों द्वारा विशेष बहुमत से संकल्प पारित करने के बाद राष्ट्रपति द्वारा हटाया जा सकता है|
- इस तरह वह राष्ट्रपति के प्रसादपर्यन्त पद पर नही रहता, यद्यपि वह उसके द्वारा नियुक्त किया जाता है |
- मुख्य चुनाव आयुक्त की सेवा शर्तो में उनकी नियुक्ति के बाद अलाभकारी परिवर्तन नहीं किया जा सकता है |
- अन्य निर्वाचन आयुक्त या प्रादेशिक आयुक्ति को मुख्य चुनाव आयुक्त की सिफारिश पर ही हटाया जा सकता है|
निर्वाचन आयोग की शक्तियां, कार्य और उत्तरदायित्व:-
- भारत के प्रमुख संवैधानिक निकायों में एक चुनाव आयोग एक संवैधानिक निकाय है |
- संसद के परिसीमन आयोग अधिनियम के आधार पर पुरे देश में चुनावी निर्वाचन क्षेत्रों का निर्धारण |
- मतदाता सूची तैयार करना और समय – समय अपर संशोधित करना
- चुनाव के कार्यक्रम और तारीख को अधिसूचित करना और नामांकन पत्रों की जांच करना |
- विभिन्न राजनीतिक दलों को मान्यता प्रदान करना तथा उन्हें चुनाव चिन्ह आवंटित करना |
- चुनावी व्यवस्था से संबंधित विवादों की जांच करना |
- चुनाव के दौरान उम्मीदवारों द्वारा पालन की जाने वाली आचार संहिता का निर्धारण
- चुनाव करने के लिये आवश्यक कर्मचारियों की मांग के लिये राज्यपाल या राष्ट्रपति से अनुरोध करना |
चुनाव आयोग के सामने चुनौतियाँ:-
- धन के प्रभाव व बड़ी हुई हिंसा और चुनावी कदाचार के कारण राजनीतिक अपराधीकरण हो गया ई जिसे चुनाव आयोग द्वारा ही पर्यवेक्षण किया जाता है |
- चुनाव आयोग राजनीतिक दलों को विनयमित करने के लिये पर्याप्त रूप से तैयार नही है पार्टी के आंतरिक लोकतंत्र को लागूकरने और वित्त के नियमन में इसकी कोई शक्ति नही है |
अनुच्छेद – 324 :- निर्वाचन आयोग में निर्वाचनो का अधीक्षण निर्देशन और नियंत्रण निहित है | अनुच्छेद – 325 :- धर्म, जाति या लिंग के आधार पर कोई भी व्यक्ति किसी विशेष मतदाता सूची में शामिल होने का दावा करने के लिये अपात्र नही होगा | अनुच्छेद – 326 :- लोकसभा और राज्य विधानसभाओ के निर्वाचनो का व्यसक मताधिकार के आधार होना | अनुच्छेद – 327 :- विधानसभाओ के चुनाव के संबंध में प्रावधान करने की संसद की शक्ति | अनुच्छेद – 328 :- विधानमंडल के चुनावो के संबंध में प्रावधान करने के लिये राज्य के विधानमंडल की शक्ति अनुच्छेद – 329 :- चुनावी मामलो में अदालतों के हस्तक्षेप पर रोक |