INDIAN FUNDAMENTAL DUTIES | भारत मूल कर्तव्य | मौलिक कर्तव्य | RAS | PRE | MAINS
मूल कर्तव्य / मौलिक कर्तव्य | MAULIK KARTAVYA
- मूल संविधान में मूल कर्तव्यो का उल्लेख नही था सिर्फ मूल अधिकारों का उल्लेख था |
- 1976 में 42वें संविधान संशोधन के द्वारा इन्हें संविधान में जोड़ा गया था |86वां संविधान संशोधन करके सूचि में 11वां मूल कर्तव्य जोड़ा गया |
- मौलिक कर्तव्यो की अवधारणा पूर्व सोवियत संघ के संविधान से ली गयी |
- इस समय लोकतांत्रिक देशो में भारत व जापान ही ऐसे देश है जहाँ संविधान में मूल कर्तव्यो का समावेश है |
- कर देने का कर्तव्य, चुनाव में मतदान देने का कर्तव्य, संविधान में उल्लेखित कर्तव्यो में शामिल नही है |
- मौलिक कर्तव्य, न्यायालयों को किसी विधि की संवैधानिकता व उनके परिक्षण में सहायता करते है |
- 1976 में स्वर्ण सिंह समिति ने 8 मूल कर्तव्यो को संविधान में शामिल करने की सिफारिश की थी जिनकी आवश्यकता 1975-77 के आंतरिक आपातकाल के दौरान महसूस की गई |
- 42वें संविधान संशोधन 1976 के द्वारा संविधान में नया भाग IV-A जोड़ा गया, जिसमे अनुच्छेद 51A है | इसके तहत 10 मूल कर्तव्यो को जोड़ा गया परन्तु वर्तमान में 11 मूल कर्तव्य है |
11 मूल कर्तव्य
- संविधान का पालन करे और उसके आदर्शो, संस्थाओ, राष्ट्रीयध्वज और राष्ट्रगान का सम्मान करे |
- स्वतंत्रता के लिये राष्ट्रीय आन्दोलन को प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शो को ह्रदय में संजोऐ रखे और उनका पालन करे |
- भारत की संप्रभुता, एकता, अखंडता की रक्षा करे तथा उसे ##### रखे |
- देश की रक्षा करे और आह्वान किये जाने पर राष्ट्र की सेवा करे |
- भारत के सभी लोगो में समरसता और समान #### की भावना का निर्माण करे जो धर्म, भाषा, प्रदेश या वर्ग आधारित सभी प्रकार के भेदभाव से परे हो | ऐसी प्रथाओ का त्याग करे जो स्त्रियों के सम्मान के विरुद्ध हो |
- हमारी सम्रद्ध संस्कृति की गौरवशाली परम्परा का महत्व समझे और उसका परिक्षण करे |
- प्राकृतिक पर्यावरण वन, झील, वन्य जीव, नदी आदि की रक्षा करे |
- वैज्ञानिक सोच से मानववाद और ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना का विकास करे |
- सार्वजनिक संपत्ति की रक्षा करे और हिंसा से दूर रहे |
- व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में उत्कृष्टता के लिये प्रयास करे ताकि राष्ट्र लगातार प्रयास और उपलब्धियों के उच्च अवसर तक पहुँच सके |
- माता-पिता या सरंक्षक अपने 6-14 वर्ष तक के बच्चे/वार्ड को शिक्षाके अवसर प्रदान करे (86वें संविधान संशोधन अधि.2002)
मूल कर्तव्यो की विशेषताएँ
- मूल कर्तव्यो केवल भारतीय नागरिको के लियेहै ये विदेशियों के लिये नहीं है |
- मूल कर्तव्य वाद योग्य नहीं है हालांकि संसद उपयुक्त कानून के माध्यम से इन्हें लागू कर सकती है |
मूल कर्तव्यो का महत्व
- वे भारतीय नागरिको को उनके समाज, साथी नागरिको और राष्ट्र के प्रति उनके कर्तव्यो की याद दिलाते है |
- वे नागरिको को देश-विरोधी और असमाजिक गतिविधियों के खिलाफ चेतावनी देते है |
- मूल कर्तव्य नागरिको को प्रेरित करते है और उनमे अनुशासन और प्रतिबध्दता की भावना को बढ़ावा देते है |