क्षैत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़े राज्य राजस्थान मे कई बोलियाँ बोली जाती है। यही कारण है कि राजस्थान का साहित्य एक समृद्ध साहित्य है जिसमे लेखकों ने यहाँ की भौगोलिक, आर्थिक, राजनीतिक, कलात्मक, साहित्यक इत्यादि विविधता के मोतियों को अपनी कलम से एक ही माला मे पिरो दिया है। प्रस्तुत शीर्षक से सम्बन्धित अनेक प्रश्न-उत्तर आपको दृष्टिगोचर होंगे।
लेखक |
रचना |
माध |
राजस्थान मे जन्मे प्रसिद्ध संस्कृत कवि |
चन्दर बरदाई |
पृथ्वीराज रासो |
चन्द्र शेखर |
हम्मीर हठ, सुर्जन चरित्र |
इसरदान |
हाला झाला री कुंडलिया |
कवि कल्लोम |
ढोला मारू रा दुहा |
सूर्यमल्ल मिश्रण |
वीर सतसई |
कविराज श्यामलदास |
वीर विनोद |
दलपति विजय |
खुमान रासो |
जयानक |
पृथ्वीराज विजय |
शारंगधर |
हमीर रासो व हम्मीर काव्य |
विग्रह राज चतुर्थ ख्अजमेर |
हरि केली |
हम्मीर देव चौहान |
शृंगार हार |
कन्हैयालाल सेठिया ख्चुरू |
धरती धोरा री राजस्थान कविता, रचना पाथल और पीथल |
नरपति नाल्ह |
बीसल देव रासो |
संत हनुवंत किंकर |
राजस्थानी भाषा मे रामायण |
पृथ्वीराज राठौड़ |
वेलि कृष्ण रूकमणि री |
दयाराम |
रेवती दास |
विजयदान देथा |
तौड़ोराव, तीड़ो राव |
मुहनोत नैणसी |
नैणसी री ख्यात |
सुषमा चौहान |
तलाश ढाई आखर की कतरा कतरा जिन्दगी |
सुखदा कुछवाहा |
आज री मूमल वट वृक्ष यादों के झरोखे |
मुरलीधर व्यास |
राजस्थान कहावत |
अंबिका दत्त व्यास |
अबलाओं का इंसाफ |
असाइट |
हंसावली |
कवि वृन्द |
श्रृँगार शिक्षा |
राराजमाता गायत्री देवी |
ऐ प्रिन्सेस रिमेम्बर्स ओर ए गवर्नमेंट वे |
नाथूराम खण्डावत |
राजस्थान थ्रू दी ऐज |
चन्द्रसिंह बिरकाली |
बादली, लू |
राजशेखर |
प्रबन्ध कोष |
मुरारीदान |
जसंवत जसो भूषणों |
राधाकृषण |
राग कल्पद्रूभ |
भाषाऐ
भाषा |
क्षैत्र |
मारवाड़ी |
राजस्थान की मरू भाषा |
बागड़ी/वागड़ी |
डूँगरपुर व बाँसवाड़ा |
ढूंढाड़ |
जयपुर, दौसा, टोंक |
मालवी |
झालावाड़़ कोटा व प्रतापगढ |
हाड़ौती |
बूंदी, शाहपुर व मेवाड़ का पूर्वी भाग ख्बारां व झालावाड़, |
मेवाड़ी |
उदयपुर |
ब्रज |
भरतपुर व धौलपुर |
शेखावाटी |
चुरू, सीकर व झुंझनू |
- पूवीै राजस्थान मे साहित्यिक रचना के दौरान पिंगल बोली का प्रयोग किया जाता है।
- पं॰ रामकरण आसोपा ने राजरूपक की भूमिका मे ड़िगल को राजस्थानी भाषा की उपमा दी।
- कवि बांकीदास – जोधपुर – ने सर्वप्रथम अपनी कृति कुकवि बत्तीसी मे डिंगल शब्द का प्रयोग किया।
- संत हनुवन्त किंकर ने राजस्थानी भाषा मे रामायण की रचना की।
- राजस्थानी शब्द का प्रयोग सबसे पहले जार्ज ग्रियर्सन ने 1907 – 08 मे अपनी पुस्तक “ द लिंग्वस्टिक सर्वे आॅफ इण्डिया ” मे किया।
- राजस्थानी भाषा की लिपि है – देवनागरी/महाजनी जार्ज ग्रियर्सन के अनुसार राजस्थानी भाषा की उत्पति नागर अपभ्रंश से हुई है।
- गोड़वाडी बोली सिरोही मे बोली जाती है जो कि मारवाड़ी की उपबोली है।
- राजस्थानी बोलियों का प्रथम वर्गीकरण जार्ज इब्राहिम ग्रियर्सन ने किया।
- राजस्थानी भाषा का उत्पति काल 12 वीं शताब्दी का अन्तिम चरण माना जाता है।
- मारवाडी $ मालवी भाषाओं से उत्पन्न बोली है रांगडी
- आइने अकबरी मे अबुल फजल ने मारवाड़ी को राजस्थान की मानक बोली माना है।
- राजस्थानी भाषा दिवस 21 फरवरी को मनाया जाता है।
- राज्य सरकार ने अरबी – फारसी भाषाओं के लिए शोध संस्थान की स्थापना दिसम्बर 1978 टोंक मे की।
- बूँदी के राजकीय प्रेस से सर्वहित नामक पत्रिका का प्रकाशन श्री लज्जाराम शर्मा ने किया जिसे राजस्थान का प्रथम समाचार माना जाता है।
- राजेन्द्र सिंह राठौड़ ने अपनी पुस्तक राजस्थान के रण बांकूरे मे कारगिल युद्ध के 92 शहीदों का उल्लेख किया है।
- राव जैतसी रो छंद मे बीकानेर के शासक जैतसी के कामरान युद्ध का उल्लेख मिलता है।
- गीगला का बापू उपनाम से प्रसिद्ध नाम से प्रसिद्ध गणपत लाल डांगी ने माणक मंडल की स्थापना की।
- जीम हुई झील जिसकी रचना सावित्री परमार ने की थी जिसके लिऐ उन्हे राजस्थान साहित्य अकादमी, उदयपुर द्वारा मीरा पुरस्कार दिया गया था।
- 1866 मे जोधपुर के बाबू हीरालाल ने मारवाड का गजट का सम्पादन किया।
- राजस्थानी साहित्य मे पवाड़ा वीरों के विशेष कार्यो को वर्णन करने वाली रचना है।
- राजस्थान नव जागरण के प्रथम कवि सूर्यमल मिश्रण [बूंदी], थे।
- प्रत्यक्ष जीव शास्त्र के रचनाकार हीरा लाल शास्त्री थे।
- शिशुपाल वधम संस्कृत महाकाव्य के रचनाकार महाकवि माध भीनमाल [जालौर], के निवासी थे।
- डाॅ॰ एल टैसीटोर का सम्बन्ध चारण साहित्य से है।
- विजयदान देथा के दुविधा उपन्यास पर पहेली फिल्म का निर्माण हुआ।
- राजस्थानी साहित्य अकादमी का मुख्यालय उदयपुर है।
- राजस्थान का सबसे प्राचीन ग्रन्थ भरतेश्वर बाहुबलि घोर [धनपाल], है।
- हिन्दी का मूल ग्रन्थ पृथ्वीराज रासो है जो डिंगल ख्ंप्राचीन राजस्थानी, मे है।
- राजस्थान लोक साहित्य को लिपिबद्ध करने का श्रैय जैनियों को है।
- राज वल्लभ शिल्पी मण्डन की रचना है जिन्हे महाराणा कुम्भा का संरक्षण प्राप्त था।
- गिरधर आसिया ने डिंगल भाषा मे संगत रासो नाम का ग्रन्थ लिखा।
- राजस्थान मे राणी जी के नाम से प्रसिद्ध लेखिका लक्ष्मी कुमारी चुड़ावत को जाना जाता है।
- फिल्म गीतकार भरत व्यास का जन्म बीकानेर मे हुआ।
- साहित्य शैलियों की तीर्थ-स्थली अरबी-फारसी शोध संस्थान, टोंक को कहा जाता हेै।
- राजस्थानी भवन राजस्थानी साहित्य को बढावा देने के लिऐ चन्द्रवर वाई नगर अजमेंर मे स्थापित किया गया है।
- राजस्थान राज्य अभिलेखागार का मुख्यालय बीकानेर मे है।