FUNDAMENTAL RIGHTS | MAULIK ADHIKAR | RAS | PRE | MAINS
मौलिक अधिकार / मूल अधिकार
- मौलिक अधिकार, भारत के संविधान में निहित बुनियादी मानवाधिकार है जो सभी नागरिको के लिये गारंटीकृत है |
 - इन्हें नस्ल, धर्म, लिंग, आदि के आधार पर बिना भेदभाव के लागू किया जाता है |
 - भारतीय संविधान के भाग III में अनुच्छेद 12-35 तक मूल अधिकारों का प्रावधान है |
 - मूल अधिकार, अमेरिकी संविधान से लिये गये है |
 - मूल अधिकार राजनितिक लोकतंत्र के लिये आदर्श तथा कार्यपालिका की निरकुंशता और विधायिका के मनमाने कानूनों पर सीमाएं लगाते है |
 - मिनर्वा मिल्स मामले (1980) के अनुसार मूल अधिकार और निति निर्देशक तत्व के बिच संतुलन संविधान के आधारभूत ढांचे का हिस्सा है |
 - मूल रूप से सात मूल अधिकार है :-
 
- समता का अधिकार (अनुच्छेद 14-18)
 - स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19-22)
 - शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 23-24)
 - धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25-28)
 - सांस्कृतिक और शिक्षा संबंधी अधिकार (अनुच्छेद 29-30)
 - संवैधानिक उपचारों का अधिकार (अनुच्छेद 32)
 - संम्पत्ति का अधिकार (अनुच्छेद 31) अव अनुच्छेद 300A (क़ानूनी अधिकार)
 
- 44वें संविधान संशोधन अधिनियम 1978 के द्वारा संपत्ति के अधिकार को क़ानूनी अधिकार बना दिया अत: वर्तमान में 6 मूल अधिकार है |
 
- समता का अधिकार (अनुच्छेद 14-18)
 
- विधि के समक्ष समानता और विधियों का समान सरंक्षण (अनुच्छेद-14)
 - धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग, जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध (अनुच्छेद-15)
 - लोक नियोजन के विषय में अवसर की समानता (अनुच्छेद-16)
 - अस्प्रश्यता का अंत (अनुच्छेद-17)
 - उपाधियो का अंत (अनुच्छेद-18)
 
- स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19-22)
 
- स्वतंत्रता के संबंधित 6 अधिकारों का सरंक्षण – (a) वाक् और अभिव्यक्ति (b) सम्मलेन (c) संघ (d) संचरण (e) निवास (f) पेशा (वृत्ति) – (अनुच्छेद -19)
 - अपराधो के लिये दोषसिद्धि के सबंध में सरंक्षण – (अनुच्छेद -20)
 - प्राण व दैहिक स्वतंत्रता का सरंक्षण – (अनुच्छेद -21)
 - प्रारंभिक शिक्षा का अधिकार – (अनुच्छेद -21A)
 - कुछ दशाओ में गिरफ़्तारी और निरोध से सरंक्षण – (अनुच्छेद -22)
 
- शोषण के विरुद्ध अधिकार – (अनुच्छेद 23-24)
 
- मानव के ############### का प्रतिषेध – (अनुच्छेद -23)
 - कारखानों आदि में बालको के नियोजन का प्रतिषेध – (अनुच्छेद -24)
 
- धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार – (अनुच्छेद 25-28)
 
- अंत:करण की और धर्म को अबाध रूप से मानने, आचरण और प्रचार करने की स्वतंत्रता – (अनुच्छेद -25)
 - धार्मिक मामलो के प्रबंधन की स्वतंत्रता – (अनुच्छेद -26)
 - किसी विशिष्ट धर्म की अभिवृद्धि के लियेकरो के संदाय के बारे में स्वतंत्रता – (अनुच्छेद -27)
 - शिक्षा संस्थाओ में धार्मिक शिक्षा या धार्मिक उपासना में उपस्थित होने के बारे में स्वतंत्रता – (अनुच्छेद -28)
 
- सांस्कृतिक और शिक्षा संबंधी अधिकार – (अनुच्छेद 29-30)
 
- भाषा, लिपि और अन्य अल्पसंख्यक वर्गों की संस्कृति का सरंक्षण – (अनुच्छेद -29)
 - शैक्षिक संस्थाओ की स्थापना और उनके प्रशासन के लिये अल्पसंख्यक वर्गों का अधिकार – (अनुच्छेद -30)
 
- संवैधानिक उपचारों का अधिकार – (अनुच्छेद -32)
 
- मूल अधिकारों के प्रवर्तन करने के लिये सर्वोच्च न्यायालय जाने का अधिकार |
 
इसके लिये सर्वोच्च न्यायालय द्वारा विभिन्न प्रकार की रिट जारी की जा सकती है – बंदी प्रत्यक्षीकरण, परमादेश, प्रतिषेध उत्प्रेषण और अधिकार-प्रच्छा |
मूल अधिकारों का महत्व :-
- देश में लोकतांत्रिक व्यवस्था की आधारशिला स्थापित करते है |
 - व्यक्तिगत स्वतंत्रता के रक्षक तथा व्यक्ति की गरिमा और सम्मान सुनिश्चित करते है |
 - भारतीय राज्य की धर्मनिरपेक्ष छवि को मजबूत करते है |
 - अल्पसंख्यक वर्गों के हितो की रक्षा करते है |
 
								