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ROCKS | चट्टानें | RAS EXAM

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ROCKS | चट्टानें | RAS | PRE | MAINS

ROCKS

  • चट्टानें खनिजो से बनती है तथा खनिजो का निर्माण तत्वों से होता है |
  • पृथ्वी की भू-पर्पटी का 98% भाग आठ प्रमुख तत्वों से बना है :-

         (1) Oxygen          (2) Silica          (3) Aluminium          (4) Ferrous          (5) Calcium          (6) Sodium          (7) Potassium          (8) Magnesium

  • संपूर्ण पृथ्वी में निम्न तत्व मुख्य रूप से पाए जाते है :-

         (1) Ferrous          (2) Oxygen          (3) Silica          (4) Magnesium          (5) Nickel          (6) Sulphur          (7) Calcium          (8) Aluminium

  • चट्टानों का निर्माण 6 प्रमुख खनिज करते है :-

         (1) Feldspar (फलस्पर)          (2) Quartz (क्वार्ट्ज़)          (3) Pyroxene (पायरॉक्सीन)          (4) Mica (अभ्रक)          (5) Amphibole (एम्फीबोल)

  • मुख्य रूप से चट्टानों में फलस्पर तथा क्वार्ट्ज़ पाए जाते है |
  • निर्माण की पद्धति के आधार पर चट्टानें तीन प्रकार की होती है :-

         (1) Igneous (आग्नेय)          (2) Sedimentary (अवसादी)          (3) Metamorphic (कायांतरित) (1) आग्नेय चट्टानें :-

  • इन चट्टानों का नाम लैटिन भाषा के शब्द ‘Ignis’ से बना है जिसका अर्थ होता है – आग
  • इस चट्टानों का निर्माण मेग्मा या लावा से होता है |
  • यह प्राथमिक चट्टानें होती है |
  • आग्नेय चट्टानों की विशेषताएँ निम्नलिखित है :-

         (i) इन चट्टानों में रवे (Crystal) पाए जाते है |          (ii) इन चट्टानों में धात्विक खनिज पाए जाते है |          (iii) यह चट्टानें आसानी से अपरदित नही होती |          (iv) इन चट्टानों में रंध्र (Pores), परते तथा जीवाश्म नही पाए जाते |

आग्नेय चट्टानों के प्रकार :-

Igneousrock justprepraj

(I) निर्माण की स्थिति के आधार पर :-

(A) अन्तर्वेधी चट्टानें :-
  • इन चट्टानें का निर्माण पृथ्वी के आन्तरिक भाग में होता है |
  • यह मेग्मा द्वारा बनती है |
  • आन्तरिक भाग में मेग्मा धीमी गति से जमता है अत: इन चट्टानों में बड़े खो का निर्माण करता है |
  • यह चट्टानें दो मुख्य प्रकार की होती है :-

         (a) पातालीय :- यह चट्टानें अत्यधिक गहराई में बनती है |               e.g. पेरिडोटाइट, ग्रेनाइट, गेब्रो (Gabbro)          (b) अधिवितलीय :-जब ऊपर उठता हुआ मेग्मा कम गहराई में जमकर चट्टानों का निर्माण करता है तो उन्हें अधिवितलीय चट्टानें कहते है |                e.g. डोलेराइट (Dalerite) (B) बहिर्वेधि चट्टानें :-

  • इन चट्टानों का निर्माण पृथ्वी की सतह पर लावा द्वारा होता है |
  • इन चट्टानों का निर्माण ज्वालामुखी क्रियाओ के कारण होता है इन्हें ज्वालामुखीय चट्टानें कहते है |

         e.g. बसाल्ट, एंडेसाइट, रायोलाइट

(II) रासायनिक सरंचना के आधार पर प्रकार :-

आग्नेय चट्टानों का उपयोग :-

(1) इन चट्टानों से खनिज प्राप्त होते है | (2) इन चट्टानों में बहुमूल्य पत्थर पाए जाते है जिनका उपयोग आभूषणो में किया जाता है | (3) ग्रेनाइट चट्टान का उपयोग भवन निर्माण सामग्री के रूप में किया जाता है | (4) बसाल्ट चट्टानों से काली मिट्टी का निर्माण होता है जो कपास की खेती के लिए उपयोगी होती है | (5) Pumice (झांवा / झामक) का उपयोग सौन्दर्य प्रसाधनो में किया जाता है | (2) अवसादी चट्टानें :-

  • इन चट्टानों का नाम लैटिन भाषा के शब्द ‘Sedimentum’ से बना है जिसका अर्थ होता है – व्यवस्थित होना |
  • यह चट्टानें अवसादो के निक्षेपण से बनती है |
  • इन चट्टानों का निर्माण शिलीभवन (Lithification) की क्रिया से होता है |
  • शिलीभवन की प्रक्रिया के दौरान पहले से स्थित चट्टानों का अपक्षय होता है | इन चट्टानों के विखण्डित खण्ड एक स्थान से दूसरे स्थान तक अपरदित होते है तथा उस स्थान पर यह खण्ड निक्षेपित होते है जिनके सघन होने से चट्टानें बनती है |

अवसादी चट्टानों की विशेषताएँ :- (i) इन चट्टानों में रंध्र, परते तथा जीवाश्म पाए जाते है | (ii) यह चट्टानें आसानी से अपरदित हो जाती है | (iii) यह चट्टानें पृथ्वी के लगभग 75% भूपर्पटी वाले क्षेत्र में पाई जाती है परन्तु यह भूपर्पटी के निर्माण में केवल 5% का योगदान करती है |

(I) निर्माण की पद्धति के आधार पर :-

(1) यांत्रिक रूप से निर्मित अवसादी चट्टान :-

  • इन चट्टानो का निर्माण यांत्रिक गतिविधियों के कारण होता है |
  • इसके अन्तर्गत पहले से स्थित चट्टान के विखण्डित खण्डो के निक्षेपण से अवसादी चट्टानों का निर्माण होता है |
  • इन चट्टानों में कोई रासायनिक परिवर्तन नही होता |
  • इन्हें खण्ड चट्टानें (Clastic Rocks) भी कहते है |

e.g. Sandstone, Shale (Clay चीका), Conglomerate (पिण्डशिला – गोल पिण्डो से निर्मित), Breccia (ब्रेशिया – कोणीय खण्डो से निर्मित) (2) जैविक रूप से निर्मित अवसादी चट्टान :-

  • वह अवसादी चट्टानें जिनमे जैविक पदार्थो की मात्रा अधिक होती है, उन्हें जैविक रूप से निर्मित चट्टान कहते है |
  • यह चट्टानें दो प्रकार की होती है :-

(i) कार्बन युक्त चट्टानें (Carbonaceous Rocks) :-

  • इन चट्टानों में पेड़ – पौधों के अवशेष पाए जाते है |
  • इस प्रकार की चट्टानों में कार्बन की मात्रा अधिक पाई जाती है |

e.g. Coal      (ii) चूना युक्त चट्टानें (Calcareous Rocks) :-

  • इन चट्टानों में जीव– जन्तु के अवशेष पाए जाते है |
  • इनमे CaCO3 की मात्रा अधिक होती है |

e.g. Limestone, Dolomite (3) रासायनिक रूप से निर्मित अवसादी चट्टानें :-

  • इन चट्टानों का निर्माण जल में घुलनशील पदार्थ के किसी जलराशि में जाकर निक्षेपित होने से होता है |
  • ऐसी चट्टानें जलराशियो के ताल में बनती है तथा कई बार जल के वाष्पीकृत हो जाने के बाद यह सतह पर नजर आती है |
  • अत: इन्हें वाष्पीकृत चट्टानें कहते है |

e.g. Chert, Halite (सेंधा नमक), Gypsum, Limestone, Dolomite

(II) निर्माण के स्रोत के आधार पर :-

(1) जलीय चट्टानें :-

  • जलराशियो में बनने वाली अवसादी चट्टानों को जलीय चट्टानें कहते है |
  • यह चट्टानें नदीकृत (Riverine), झीलकृत (Lacustrine) तथा समुद्री (Marine) चट्टानें होती है |

e.g. Chert, Halite, Gypsum, Limestone, Dolomite (2) वायु द्वारा निर्मित अवसादी चट्टानें :-

  • वायु की अपरदन एवं निक्षेपण गतिविधियों से बनने वाली चट्टानों को वायु द्वारा निर्मित चट्टान कहते है|

e.g. Loess (लोयस) (3) हिमानी चट्टानें :-

  • हिमनद की अपरदन एवं निक्षेपण गतिविधियों से बनने वाली चट्टान को हिमानी चट्टान कहते है |

e.g. हिमोढ़ (Moraine) अवसादी चट्टानों के उपयोग :- (i) इन चट्टानों में खनिज तथा जीवाश्म ईधन पाए जाते है | e.g. पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस, कोयला आदि (ii) शेल चट्टानों में शेल गैस पाई जाती है | (iii) चूना पत्थर चट्टानों का उपयोग सीमेंट निर्माण, चॅाक निर्माण तथा लौह इस्पात उद्योग में किया जाता है | (iv) जिप्सम का उपयोग उर्वरको एवं सीमेंट उद्योग में किया जाता है | (v) हैलाइट का उपयोग रासायनिक उद्योग में किया जाता है | (3) कायांतरित चट्टानें :-

  • पहले से स्थित चट्टानों के स्वरुप में परिवर्तन होने से कायांतरित चट्टानें बनती है |
  • कायान्तरण दाब तथा तापमान के कारण होता है |
  • इसके अन्तर्गत पहले से स्थित चट्टानों में खनिज पुन: संगठित या पुन: क्रिस्टलीकृत होते है |
  1. गतिशील कायान्तरण :-
  • कायान्तरण की वह प्रक्रिया जिसमे चट्टानों के खनिजो की व्यवस्था बदलती है एवं खनिज पुन: संगठित होते है | इस प्रक्रिया के दौरान कोई रासायनिक परिवर्तन नही होता |
  1. उष्मीय कायान्तरण :-
  • कायान्तरण की यह प्रक्रिया तापमान के कारण होती है |
  • इस प्रकार के कायान्तरण में पहले से स्थित चट्टानों में पुन: क्रिस्टलीकरण होता है |
  • इस प्रक्रिया के दौरान रासायनिक परिवर्तन होते है |
  • यह प्रक्रिया दो प्रकार की होती है :-

(i) सम्पर्क कायान्तरण (ii) प्रादेशिक कायान्तरण

(i) सम्पर्क कायान्तरण :-
  • जब कायान्तरण लावा या मेग्मा के सम्पर्क में आने से होता है तो उसे सम्पर्क कायान्तरण कहते है |
(ii) प्रादेशिक कायान्तरण :-

जब चट्टानों में कायान्तरण किसी क्षेत्र विशेष में होने के कारण होता है तो उसे प्रादेशिक कायान्तरण कहते है | यह सामान्यत: प्लेट किनारों वाले क्षेत्र में होता है |

  1. जलीय कायान्तरण :-
  • कायान्तरण की वह प्रक्रिया जो जल में होती है, जलीय कायान्तरण कहलाती है |
  • यह दो प्रकार का होता है :-
(i) जलीय उष्मीय कायान्तरण :-
  • जल का तापमान बढने के कारण जल में स्थित चट्टानों के स्वरुप में होने वाले परिवर्तन को जलीय उष्मीय कायान्तरण कहते है |
(ii) जलीय रासायनिक कायान्तरण :-
  • जल में रासायनिक तत्व अधिक होने पर जल में स्थित चट्टानें रासायनिक क्रिया के कारण स्वरुप परिवर्तित कर लेती है, जिसे जलीय रासायनिक कायान्तरण कहते है |

(I) कायान्तरित चट्टानों के प्रकार :-

(i) पत्रित चट्टानें :-
  • कायान्तरण की प्रक्रिया के दौरान जब चट्टानों में स्थित खनिज रेखाओ के रूप में व्यवस्थित होने लगते है तो उसे रेखांकन कहते है |
  • रेखांकन वाली चट्टानों को पत्रित चट्टानें कहते है |

e.g. Slate, Phylite, Schist

  • कायान्तरण के दौरान कई बार खनिज समूह अलग होकर चट्टानों में गहरी – हल्की पट्टीयों के रूप में व्यवस्थित हो जाते है जिसे बैडिंग कहते है तथा ऐसी चट्टानों को बैंडेड चट्टानें कहते है |

         e.g. नीस

(ii) अपत्रित चट्टानें :-
  • कायान्तरण के दौरान जब घटनाओ में रेखांकन की प्रक्रिया नही होती तो उससे अपत्रित चट्टानो का निर्माण होता है |

         e.g. Graphite, Marble

(1) आग्नेयकायान्तरित चट्टान :-

e.g. ग्रेनाइट – नीस e.g. बसाल्ट – एम्फीबोलाइट

(2) अवसादी –  कायान्तरित चट्टान :-

e.g. शेल – स्लेट        चूनापत्थर – संगमरमर       बालूपत्थर – क्वार्ट्जजाइट       कोयला – ग्रेफाइट  –  (हीरा)

(3) कायान्तरितकायान्तरित चट्टान :-

e.g. स्लेट – फाइलाइट        फाइलाइट – सिस्ट        सिस्ट – नीस

कायान्तरित चट्टानो के उपयोग :-

(i) इन चट्टानों में खनिज पाए जाते है | (ii) बहुमूल्य पत्थर – हीरा आदि भी इन चट्टानों से प्राप्त होता है जिनका उपयोग आभूषणो में किया जाता है | (iii) संगमरमर आदि चट्टानों का उपयोग भवन निर्माण एवं सजावट की सामग्री के रूप में किया जाता है | (iv) ग्रेफाइट का उपयोग पेन्सिल में किया जाता है | (v) स्लेट का उपयोग छत निर्माण सामग्री में किया जाता है |

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